जलवायु परिवर्तन के कारण एशिया के कई बड़े शहर जाएंगे डूब

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जलवायु परिवर्तन के वजह से लगातार महासागरों के जलस्तर में इजाफा हो रहा है. जिसके कारण दुनिया के कई देशों के तटीय शहरों के डूबने का खतरा पैदा हो गया है. नेचर क्लाइमेट में प्रकाशित हुए अध्ययन में उन इलाको की पहचान कर ली है जो डूब में आ सकते हैं. अमेरिका नेशनल साइंस फाउंडेशन से समर्थित और नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फियरिक रिसर्च (एनसीएआर) के वैज्ञानिक के सहलेखन वाले शोध में दुनिया के नक्शे में जिन इलाकों की पहचान की गई है उनमें एशिया के कई बड़े शहर हैं, जिनमें भारत के भी बड़े शहर शामिल हैं.

एशिया के इन देशो में होगा सीधा असर…

इस अध्ययन में एशिया के बड़े शहर हैं जो खास तौर पर इस समस्या के लिहाज से बहुत ही नाजुक या कमजोर हैं. इनमें भारत, म्यांमार, थाईलैंड, वियतनाम, और फिलिपीन्स के तटीय शहर प्रमुख हैं. शोधकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि ये शहर साल 2100 तक बहुत ज्यादा जोखिम का सामना करेंगे अगर दुनिया लगातार उच्च स्तर की ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित करती रही.

भारत के इन शहर में पड़ेगा असर…

इस सूची में भारत के चेन्नई और कोलकता प्रमुख रूप से शामिल हैं लेकिन मुबई भी खतरे से दूर नहीं है. भारत में ही और बात की जाए तो खतरा लक्ष्यद्वीप पर भी है. शोधकर्ताओं का कहना है कि आंतरिक जलवायु विविधता और जलवायु परिवर्तन कई भारत सहित कई देशों के समुद्री जलस्तर को ऊंचा करने बड़ी भूमिका निभाएंगे. बुरी से बुरी हालात में स्थनीय समुद्री जलस्तर बाढ़ के कारण भी बढ़ेगी जिसेस तटीय ,बड़े शहरों के लाखों करोड़ों लोग पर खतरा आ जाएगा

भारत के पूर्वी तरफ जाने पर म्यांमार के यूंगन शहर भी ऐसी ही समस्या का शिकार हो सकता है हां यंगून नदी बंगाल की खाड़ी में मिलती है. कम्प्यूटर प्रतिमान का उपयोगकर शोधकर्ता ने पता लगाया कि प्राकृतिक उतार चढ़ाव बढ़ सकते हैं और जलवायु परिवर्तन का असर कम हो सकता है. आंतरिक जलवायु विविधता समुद्री जल स्तर 20 से 30 फीसद तक बढ़ा सकता है. लेकिन चर बाढ़ की घटनाएं बढ़ा सकता है.

एशिया के इन देशों पर पड़ेगा असर…

फिलीपींस की राजधानी मनीला की बनावट कुछ ऐसी है कि वहां समुद्र के जलस्तर बढ़ने से शहर को बड़ा खतरा है. अगर जलवायु परिवर्तन बढ़ गया तो समुद्र के पास स्थित इंटरनेशनल एयरपोर्ट की जद में है! अगर जलवायु के कारण समुद्री जलस्तर बढ़ता है तो, 2100 तक मनीला में 2006 की तुलना में 18 गुना ज्यादा बाढ़ आएगी और ऐसा केवल जलवायु परिवर्तन के कारण होगा. वहीं बुरी से बुरी हालत में ऐस 96 गुना ज्यादा हो सकता है जिसमें जलवायु परिवर्तन के अलावा आंतरिक जलवायु विविधता भी कारण होगी.

थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक दुनिया भर में अपने पर्यटन के लिए प्रख्यात है. लेकिन यह शहर दुनियाभर में जलवायु परिवर्तन के कारण डूबने वालों की लिस्ट में सबसे अवल नंबर पर है. यहां चाओ फराया नदी और उसकी नहरों के जाल के अलावा यहां के बीच भी कम प्रसिद्ध नहीं हैं. अध्ययन में बताया गया है कि बढ़ते समुद्र जलस्तर के इजाफे का आंकलन आसान नहीं हैं क्योंकि प्रति के जलवायु तंत्रों की अंतरक्रिया और पूर्वानुमान लगाने बहुत जटिल और मुश्किल है.

वियतनाम का हो चि मिन्ह शहर चारों तरफ से साइगोन नदी से घिरा है और समुद्र तल से केवल 5 मीटर ऊंचा है. मीकोंग डेल्टा पर स्थिति होने की वजह से इस पर ज्वार भाटा का भी प्रभाव होता है. यह शहर जलवायु परिवर्तन साथ ही बाढ़ के खतरे का भी सामना कर रहा है. अध्ययन में हो चि मिन्ह शहर को भी प्रमुखता से शामिल किया गया है. समुद्र तल की बढ़ना एक धीमी प्रक्रिया है, लेकिन चरम मौसमी घटनाओं के कारण यह प्रभाव तेजी से दिखाई दे सकता है और विशेष तौर पर हो चि मिन्ह पर इस तरह के खतरा ज्यादा है. बारिश के मौसम में तूफान आना बहुत अनोखी बात नहीं है. मानसून और अल नीनो के प्रभाव यहां चरम बारिश का प्रभाव भी देते हैं.

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