मणिपुर हिंसा शांत फिर भी डरे-सहमे दिखे लोग, कर्फ्यू के बाद भी पसरा सन्नाटा

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मणिपुर पिछले कुछ दिनों से मैतेई समुदाय की जनजाति को एसटी का दर्जा दिए जाने की मांग के विरोध की आग में सुलग रहा है। 3 मई को शुरू हुआ विरोध आठवें दिन शांत हुआ। इस विरोध में 221 गांव और 1700 घर जलकर राख हो गएं। देखते ही देखते लोगों का जीवन शमशान के ढेर में विस्थापित हो गया। आगजनि व हिंसा से डरे लोग ने अपने घरों के बाहर जनजातीय लिख रहे हैं। कहने को तो आठवे दिन राज्य में कोई भी हिंसात्मक घटना सामने नहीं आई है। लेकिन फिर भी हिंसा का मंजर आंखों से देखने के बाद लोगों के जहन से डर नहीं निकल पा रहा है। कर्फ्यू से 6 घंटे की राहत मिलने के बाद भी लोग घरों से बाहर निकलने से घबरा रहे हैं। पूरे प्रदेश में स्थित काबू में जरूर हो गई है लेकिन लोगों की जीवनशैली पटरी पर आने में अभी वक्त लगेगा।

मणिपुर सरकार की ओर से बताया गया है कि हिंसा प्रभावित मणिपुर की स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। बीते दो दिनों में राज्य में हिंसा की कोई नई घटना सामने नहीं आई है। अधिकारियों ने बताया कि इंफाल पश्चिम, बिष्णुपुर, चुराचांदपुर और जिरिबाम सहित 11 प्रभावित जिलों में बुधवार (10 मई) को सुबह पांच बजे से छह घंटे के लिए कर्फ्यू में ढील दी गई। वहीं, मंगलवार (9 मई) को इन जिलों में कर्फ्यू में चार घंटे की ढील दी गई थी।

जनजातीय लोगों ने घरों के बाहर लगाएं निशान

तनाव और हिंसक माहौल के बीच मणिपुर में लोग शांतिबहाल होने का इंतजार कर रहे हैं। मणिपुर के चुराचांदपुर जिले में जगह-जगह हिंसा के निशान देखें जा सकते हैं। जिले में कर्फ्यू लगा है। बहुसंख्यक इलाकों में जनजातीय लोगों ने अपने घरों के बाहर निशान लगाए हैं।

तबाही का मंजर देख पलायन कर रहें लोग

मणिपुर में हुई भारी हिंसा के बाद से बड़ी संख्या में पलायन भी शुरू हो गया है। बाहर से आकर यहां काम करने वाले लोग और पढ़ने वाले छात्र अपने घर लौटने लगे हैं। इसी बीच दिल्ली और हरियाणा सरकार मणिपुर में फंसे छात्रों को फ्लाइट से दिल्ली वापस ले आई है। दिल्ली एयरपोर्ट पर छात्रों को रिसीव करने के लिए पेरेंट्स के साथ-साथ दिल्ली और हरियाणा सरकार के अधिकारी भी मौजूद थे।

हिंसा की आग में सुलग गए 1700 घर

मणिपुर हिंसा को लेकर राज्य के सीएम ने पूरा आंकड़ा सार्वजनिक किया है। सीएम के मुताबिक 3 मई की घटना में लगभग 60 निर्दोष लोगों की जान चली गई, 231 लोगों को चोटें आईं और लगभग 1700 घर जल गए। हिंसा के बाद राज्य की तस्वीर कुछ यूं बन गई है कि जिधर भी नजर पड़ रही है, तबाही का मंजर दिख रहा है।

मणिपुर हिंसा से बिगड़ी अर्थवस्था

मणिपुर में हुई हिंसा से प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर भारी प्रभाव पड़ेगा। आमजन की जीवनशैली को दोबारा पटरी पर लाने के लिए सरकार को अहम कदम उठाना पड़ेगा। विद्रोह की आग में गांव-घर के साथ शहरों में गिरिजा घर, सरकारी दफ्तर जलकर राख हो गए हैं। आंकड़ों के मुताबिक, 221 गांव जल चुके हैं, जिनमें 1700 घर शामिल हैं। साथ ही 25 से अधिक गिरिजाघर की गिनती की गई है। हिंसा में कुल 60 लोगों की जान गई है जबकि 200 से अधिक लोगों के घायल होने की जानकारी है। इस हिंसा में सरकारी प्रॉपर्टी का भी भारी नुकसान हुआ है। दूसरी ओर पीड़ित नागरिक भी सरकार से नुकसान की भरपाई की आस लगाए बैठे हैं। जिससे मणिपुर प्रदेश की अर्थव्यस्था चरमरा सकती है।

 

 

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