मणिपुर हिंसा : इंफाल में अमित शाह बोले- हो जाओ सरेंडर… HC को बताया हिंसा का जिम्मेदार

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मणिपुर में बढ़की हिंसा को लेकर  केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह मणिपुर के दौरे पर हैं। अमित शाह इंफाल में रुके हुए हैं। इसी बीच बुधवार को हिंसक उद्रवियों ने दर्जनों घरों को आग के हवाले कर दिया। इस दौरान दो गुटों में गोलीबारी भी हुई। जिससे राज्य की शांति व्यवस्था फिर डगमगा गई। मणिपुर हिंसा के लिए अमित शाह ने मणिपुर हाईकोर्ट को जिम्मेदार बताया है।

अमित शाह ने हाईकोर्ट को बताया हिंसा का जिम्मेदार

गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह दौरे के चौथे दिन इंफाल पहुंचे । यहां अमित शाह ने सैन्य अधिकारियों के साथ एक बैठक भी की। अमित शाह ने कहा कि 29 अप्रैल को मणिपुर हाईकोर्ट के एक जल्दबाज फैसले के कारण यहां पर जातीय हिंसा और दो ग्रुप के बीच में हिंसा की शुरुआत हुई। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मणिपुर हिंसा की वजह गलतफहमी है। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में कमीशन हिंसा की जांच करेगी। सीबीआई भी हिंसा से जुड़े केस की जांच करेगी।

अमित शाह ने उपद्रवियों को हथियार सहित सरेंडर होने का कहा

गृहमंत्री अमित शाह ने भी कहा, ‘मणिपुर के लोग अफवाहों पर ध्यान न दें। हथियार रखने वालों को पुलिस के सामने सरेंडर करना होगा। कल से सर्च ऑपरेशन शुरू होगा, अगर किसी के पास हथियार मिले तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।’

अमित शाह ने पक्षपात नहीं होने की दी गारंटी

अमित शाह ने कहा, ‘मणिपुर की गवर्नर की अध्यक्षता में शांति समिति बनाई जाएगी। 6 केस की जांच सीबीआई करेगा। हम यह गारंटी देते ही कि जांच में पक्षपात नहीं होगा।’

3 मई से आग में झुलस रहा है मणिपुर

गौरतलब है कि मणिपुर में 3 मई 2023 को मेइतेई लोगों के बीच एक जातीय संघर्ष छिड़ गई थी। मैईतेई जाति के लोग इंफाल घाटी में रहने वाले बहुसंख्यक और कुकी और ज़ो लोगों सहित आसपास की पहाड़ियों के आदिवासी समुदाय हैं। इस हिंसा में 70 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और सैकड़ों घायल हो गए थे। वहीं हिंसा के बाद अब तक 40 विद्रोहिंयों को भी मार गिराया गया है। साथ ही अभी भी कई इलाकों में तनाव का माहौल है।

हिंसा की वजह

मैतेई लोगों ने दावा किया कि आदिवासी समुदाय ने उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया है, जबकि आदिवासी समुदाय का दावा है कि वे पीढ़ियों से जमीन पर रह रहे हैं। विवाद कुछ समय से उबल रहा था, लेकिन यह 3 मई को उस समय चरम पर पहुंच गया जब मेइती लोगों के एक समूह ने एक आदिवासी गांव पर हमला कर दिया।

 

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