समाज में बढ़ती नकारात्मकता की प्रतिक्रिया है राजसमंद में हुई हत्या और विरोध

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आशीष बागची

राजस्थान के राजसमंद में लव जिहाद के नाम पर बंगाल के एक मुस्लिम मजदूर की हत्या के बाद आरोपी शंभूलाल की गिरफ्तारी के खिलाफ गुरुवार-शुक्रवार को जो उग्र प्रदर्शन किए गए, वे अपने आप में कई कहानियां कह रहे हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या हम गांधी, अटल जी के भारत में रह रहे हैं या कहीं और। राजसमंद की घटना भी आंखें खोलने वाली थीं, उससे भी अधिक आरोपी की गिरफ्तारी का जैसा विरोध हुआ, वह आश्चर्य पैदा करने वाला रहा। इस विरोध में भीड़ और पुलिस के बीच झड़प में कई लोगों सहित 12 पुलिसवाले घायल हो गए। आरोपी के समर्थन में सड़कों पर भीड़ उमड़ आयी और पुलिस को 175 से अधिक लोगों को गिरफ्तार करना पड़ा। यही नहीं आरोपी की पत्नी के एकाउंट में लोगों द्वारा पैसे जमा कराया जाना भी कम आश्चर्यजनक नहीं है, ताकि उसकी कानूनी पैरवी कमजोर न पड़े। ज्ञात हो कि लव जेहाद की बात कहते हुए आरोपी शंभूनाथ ने एक मुस्लिम मजदूर की कुल्हाड़ी मारकर हत्या कर दी थी। सोशल मीडिया पर हत्या कर शव जलाने का यह वीडियो वायरल भी किया गया था।

देश को हिला कर रख देने वाले इस हत्याकांड और उससे उपजी स्थितियों पर सवाल उठते हैं कि लव जिहाद के नाम पर की गई पश्चिम बंगाल के एक मुस्लिम मजदूर की हत्या व आरोपी के पक्ष में लोगों के उमड़ने की घटना लोकतांत्रिक भारत में कौन सा नया वातावरण सृजित कर रही है। इस घटना में भगवा पट्टे लगाए युवाओं की भीड़ नारे लगाते हुए इमारतों के ऊपर चढ़ पत्थरबाजी करती रही। हुजूम को रोकने के लिए इंटरनेट सेवा पर रोक लगानी पड़ी। इसके बावजूद भीड़ उमड़ी और कानून व्यपवस्था तार-तार हुई।

वीडियो में हत्या करते दिख रहे शख्स शंभूलाल को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। इस मामले ने राजस्थान के साथ-साथ पूरे देश में सनसनी फैला दी थी। घटना पर समर्थन जताने पर हिंदूवादी नेता उपदेश राणा को राजस्थान पुलिस द्वारा पकड़े जाने को लेकर हिंदू नौजवानों ने भी रोष व्यक्त किया। हिंदू युवा शक्ति संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्भय सिंह ने वाराणसी में हुई बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि जिस तरीके से राजस्थान में हिंदू धर्म को नीचा दिखाने का काम चल रहा है वह असहनीय है।

इसके अलावा देश के विभिन्नो हिस्सों में हुई ऐसी ही अनेक बैठकों में संगठनों ने सीधी चेतावनी जारी की, कि हिंदू समाज हिंदुत्व के मुद्दे पर राष्ट्रवादी ताकतों को मजबूत करने के लिए राष्ट्र की संस्कृति और सभ्यता को बचाने को निरंतर भारतीय जनता पार्टी को वोट दे रहा है और अगर इसी तरह हिंदू नेताओं की गिरफ्तारी होती रही और हिंदू धर्म के खिलाफ खड़े होने वालों का मनोबल बढ़ता रहा तो उसके परिणाम बड़े भयानक होंगे|

दरअसल जब से राजसमंद की घटना हुई है, कुछ लोग सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए लगातार मुस्लिमों के खिलाफ कहीं न कहीं नारे लिख रहे हैं। यह पूरी घटना लव जिहाद से शुरू हुई। अबतक कभी कभार देश में लव जिहाद के किस्से सुनाई पड़ते रहे। लेकिन जब से सुप्रीम कोर्ट ने लव जिहाद को मान्यता प्रदान की है, तब से ये शब्द चारों तरफ चर्चा और बहस का ज्वलंत विषय बना हुआ है। यह केरल में एक हिंदू लड़की और एक मुस्लिम लड़के के प्रेम विवाह से पैदा हुआ है, जिसकी जांच देश में आतंकवादी घटनाओं की पड़ताल करने वाली नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी यानी एनआईए को सौंपी गई।

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बंगलुरु में गौरी लंकेश की हत्या को अनेक लोग उग्र हिंदूवाद से जोड़कर देख रहे हैं। इस घटना में एक साहसी आवाज़ को समाज सुरक्षित न रख पाया और उसकी जान चली गयी। किसी ने राजसमंद में हुई हत्या के बारे में लिखा, सनसनीख़ेज़ हत्या। सनसनी अब ऐसी हत्याओं से नहीं होती, क्योंकि हम ऐसी हत्याओं का शायद इंतज़ार कर रहे होते हैं।

तो क्या राजसमंद में हुई हत्या और उसकी प्रतिक्रिया में हुआ हिंसक तांडव अब उत्‍तरोत्‍तर प्रत्याशित होता जा रहा है? राजसमंद में हुई हिंसक प्रतिक्रिया हत्या की संस्कृति का उत्सव मनाने जैसा क्यों लग रहा है? क्याा शंभूनाथ जैसों को अपना अभिभावक चुनने जैसी परिस्थिति कायम हो रही है?

जिसने मुस्लिम मजदूर को मारा, उसने सिर्फ एक संस्कृति की ओर से कुल्हाड़ी चलाई है। हमें समझना होगा कि समाज में नकारात्मकता फैल रही है। हम जिस समाज को स्वस्थ समझ रहे हैं, वह एक विकार का शिकार हो रहा है।भारतीयता के पैरोकारों को सोचना होगा कि क्यों भारतीय समाज पानसरे, दाभोलकर, कलबुर्गी और लंकेश के साथ ही एक मुस्लिम मजदूर जैसों की हिफ़ाज़त नहीं कर पा रहा है?

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