लश्कर का खूंखार आतंकी सैफुल्लाह का खात्मा, कभी रची थी RSS और CPRF मुख्यालय हमले की साजिश

नई दिल्ली: लश्कर- ए तैयबा- का खूंखार आतंकवादी सैफुल्लाह कल पाकिस्तान में अज्ञात हमलावरों के हाथों मारा गया. सैफुल्लाह भारत में हुए कई आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड था. सैफुल्लाह को कल अज्ञात हमलावरों ने सिंधु प्रान्त में गोलियों से छलनी कर दिया. सैफुल्लाह ने 2006 में नागपुर में RSS मुख्यालय, 2005 में बेंगलुरु में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) और 2001 में रामपुर में CRPF कैंप पर हुए आतंकी हमलों की साजिश रची थी.

भारत में इन हमलों का था मास्टरमाइंड…

अबू सैफुल्लाह कोई साधारण आतंकी नहीं था. वह लश्कर-ए-तैयबा का एक अहम कमांडर था, जिसने भारत में कई बड़े आतंकी हमलों को अंजाम देने की योजना बनाई. अबू सैफुल्लाह भारत में इन हमलों का मास्टरमाइंड था.

साल 2006: कहा जा रहा है कि साल 2006 में नागपुर स्थित RSS मुख्यालय को निशाना बनाने की साजिश सैफुल्लाह ने ही रची थी. इस हमले का मकसद देश में सांप्रदायिक तनाव को भड़काना था.हालांकि, सुरक्षा बलों की सतर्कता से बड़ा नुकसान टल गया था.

साल 2005 IISc हमला: बेंगलुरु के प्रतिष्ठित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस पर हुए आतंकी हमले में अबू सैफुल्लाह का अहम रोल था. इस हमले में एक प्रोफेसर की मौत हुई थी और कई लोग घायल हुए थे. इसका उद्देश्य भारत की वैज्ञानिक प्रगति को नुकसान पहुंचाना था.

साल 2001 CRPF कैंप हमला: उत्तर प्रदेश के रामपुर में सीआरपीएफ कैंप पर हुए हमले की साजिश भी अबू सैफुल्लाह ने रची थी. इस हमले में कई जवान शहीद हुए थे. यह हमला सुरक्षा बलों पर आतंकियों की बढ़ती हिम्मत को दर्शाता था.

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पाकिस्तान आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह…

गौरतलब है कि सैफुल्लाह की मौत ने इस बात को फिर से साफ़ कर दिया है कि, पाकिस्तान आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह बना हुआ है. भारतीय अधिकारियों का कहना है कि सैफुल्लाह को न केवल पाकिस्तान में सुरक्षा दी गई बल्कि उसे खुलेआम अपनी गतिविधियां चलाने की अनुमति दी गई थी. उसकी मौत भले की एक झटका हो लेकिन सवाल यह पैदा हो रहा है कि अभी भी पाक में कितने आतंकी छिपे हैं.

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आतंकवाद शांति के लिए चुनौती…

यह घटना न केवल भारत- पाकिस्तान के लिए महत्वपूर्ण है बल्कि, दक्षिण एशिया में शांति और स्थिरता के लिए भी एक बड़ी चुनौती पेश करती है. अबू सैफुल्लाह जैसे आतंकियों का खात्मा जरूरी है, लेकिन इसके साथ ही आतंकवाद को जड़ से खत्म करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग और कड़े कदमों की जरूरत है.