देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा ने शुक्रवार को सख्त भू-कानून विधेयक पारित कर दिया. नए कानून के तहत अब बाहरी लोग हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर को छोड़कर राज्य के 11 जिलों में खेती और बागवानी के लिए जमीन नहीं खरीद सकेंगे. इसके अलावा, उद्योग और अन्य प्रयोजनों के लिए भूमि खरीदने के लिए भी अब सरकार से भूमि अनिवार्यता प्रमाणपत्र लेना अनिवार्य होगा. आवासीय उपयोग के लिए 250 वर्गमीटर भूमि खरीदने के लिए शपथ पत्र देना होगा.
मुख्यमंत्री धामी ने बताया ऐतिहासिक कदम
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि यह कानून प्रदेश की भूमि और संसाधनों को भू-माफियाओं से बचाने के लिए लाया गया है. उन्होंने इसे भू-सुधारों की शुरुआत बताते हुए कहा कि सरकार ने जनभावनाओं के अनुरूप यह कदम उठाया है. धामी ने सदन में सभी विपक्षी विधायकों से इस विधेयक को सर्वसम्मति से पारित करने का अनुरोध किया, जिसे कांग्रेस ने खारिज कर दिया. नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य और विधायक काजी निजामुद्दीन ने विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने की मांग की.
ALSO READ: वाराणसी रोपवे प्रोजेक्ट पर लगी सुप्रीम रोक
नए भू-कानून की खास बातें
कृषि भूमि पर प्रतिबंध: बाहरी व्यक्ति अब हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर को छोड़कर 11 जिलों में कृषि और बागवानी के लिए भूमि नहीं खरीद सकेंगे.
आवासीय भूमि के लिए शपथ पत्र: आवासीय उपयोग के लिए 250 वर्गमीटर भूमि खरीदने के लिए शपथ पत्र देना अनिवार्य होगा. गलत जानकारी देने पर भूमि सरकार में निहित कर दी जाएगी.
उद्योग और अन्य प्रयोजन: उद्योग, होटल, चिकित्सा और अन्य प्रयोजनों के लिए भूमि खरीदने के लिए संबंधित विभागों से भूमि अनिवार्यता प्रमाणपत्र लेना होगा.
भूमि खरीद की अनुमति: पहले जिलाधिकारी के स्तर पर दी जाने वाली अनुमति अब शासन स्तर पर दी जाएगी. हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर में यह निर्णय राज्य सरकार के स्तर पर लिया जाएगा.
भूमि अंतरण सीमा: किसी भी व्यक्ति के पक्ष में स्वीकृत सीमा में 12.5 एकड़ से अधिक भूमि अंतरण की अनुमति केवल हरिद्वार और ऊधम सिंह नगर में ही दी जाएगी.
ALSO READ: फ्लाइट मामले में कूद पड़ी कांग्रेस, कहा-मोदी सरकार ने हर सेक्टर का भट्ठा बैठाया
भूमि के दुरुपयोग पर सरकार सख्त
मुख्यमंत्री ने कहा कि बीते वर्षों में रोजगार देने के नाम पर बाहरी लोगों द्वारा जमीनें खरीदी गईं, जिनका दुरुपयोग हुआ. इस नए कानून से असली निवेशकों और भूमाफियाओं के बीच अंतर स्पष्ट हो जाएगा. उन्होंने बताया कि प्रदेश में 3461.74 एकड़ वन भूमि से अवैध कब्जा हटाया गया है, जो पहली बार हुआ है. इससे प्रदेश की इकोलॉजी और इकोनॉमी दोनों को लाभ मिला है.
सुझाव लेकर बनाया गया कानून
उत्तराखंड में नए भू-कानून को बनाने के लिए गैरसैंण सहित विभिन्न जिलों के तहसील स्तर तक हितधारकों और अधिकारियों से सुझाव लिए गए. इसका उद्देश्य राज्य के मूल स्वरूप और डेमोग्राफी को बचाए रखना है.
धामी ने कहा कि औद्योगिक, पर्यटन, शैक्षणिक और स्वास्थ्य क्षेत्रों के लिए अब राज्य सरकार और कलेक्टर के स्तर से भूमि खरीद की अनुमति दी जाएगी. बीते वर्षों में कुल 1883 भूमि खरीद की अनुमति दी गई, जिनमें से 599 मामलों में भू-उपयोग उल्लंघन पाया गया. इनमें से 572 प्रकरणों में न्यायालय में वाद दायर किए गए और 16 मामलों में 9.47 हेक्टेयर भूमि राज्य सरकार में निहित कर दी गई है. शेष मामलों में कार्यवाही जारी है.
ALSO READ: काशी-तमिल संगमम उत्तर और दक्षिण की संस्कृतियों का संगम- नड्डा