बनारस के लक्ष्मणाचार्य बने सिक्किम के राज्यपाल, जानें राजनैतिक सफर के बारे में
भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष और एमएलसी रह चुके लक्ष्मण प्रसाद आचार्य को सिक्किम के राज्यपाल की जिम्मेदारी सौंपकर उन्हें पांच दशक से ज्यादा भाजपा की सेवा की सौगात दी गई है। जिले रामनगर के रहने वाले लक्ष्मण प्रसाद पर पार्टी की हमेशा से ही भरोसा जताया गया है। वर्ष 1973 से भारतीय शिशु मंदिर के आचार्य के रुप में अपना कॅरियर शुरू करने वाले लक्ष्मण प्रसाद ने शिमला समझौता रद्द करने की मांग से संबंधित आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी। महज 17 वर्ष की उम्र में पहली बार गिरफ्तारी दी थी। वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में सक्रिय रहे और जनजातीय उत्थान के लिए अभियान की शुरुआत की।
संघर्ष भरा रहा जीवन…
रामनगर के एक सामान्य से परिवार से नाता रखने वाले आचार्य शिशु मंदिर में 35 रुपये प्रति महा की नौकरी से शुरुआत की और दो वर्ष तक पैदल ही घर से स्कूल जाते रहे। आचार्य का जन्म वर्ष 1954 में वाराणसी स्थित रामनगर में हुआ। वह छात्र जीवन में ही स्वयंसेवक के रूप में संघ से जुड़े और वर्ष 1973 से 1975 तक भारतीय शिशु मंदिर रामनगर में आचार्य का दायित्व संभाला। इन्होने विश्व हिन्दू परिसद रामनागर इकाई के महामंत्री रहते हुए रामभूमि आंदोलन में भाग लिया, इस मामले में गिरफ्तारी भी हुई। समाज सेवा को अपना कर्तव्य बनाया और सेवा अभियान के तहत कई आदिवासी क्षेत्रों में स्कूल की शुरुआत की और वंचित वर्ग को शिक्षा से जोड़ने को अभियान चलाया।
साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चुनावी तैयारियों में और 2019 के चुनावों में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका देखने को मिली थी. लगातार सक्रिय राजनीति का हिस्सा रहने के कारण उन्हें पार्टी ने यह बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. वह सिक्किम के वर्तमान राज्यपाल गंगा प्रसाद का स्थान लेंगे. उनका कार्यकाल 7 फरवरी को ही समाप्त हो चुका है.
इस तरह से हुई राजनीति की शुरुआत…
लक्ष्मण आचार्य ने भाजपा में राजनीति की शुरूआत मंडल अध्यक्ष से की थी। वर्ष 1990 में रामनगर इकाई के मंडल अध्यक्ष, फिर वर्ष 1995 में वाराणसी-चंदौली के संयुक्त जिला महामंत्री का दायित्व मिला। उनके समर्पण भाव को देखते हुए ही पार्टी ने वर्ष 1996 में वाराणसी का जिलाध्यक्ष बना दिया। तत्कालीन कल्याण सिंह की सरकार में उत्तर प्रदेश मत्स्य विकास निगम के चेयरमैन बनाए गए। वर्ष 2002 में भाजपा काशी क्षेत्र के क्षेत्रीय मंत्री बने और 2004 में भाजपा के प्रदेश अनुसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त किए गए। 2013 में भाजपा काशी क्षेत्र के अध्यक्ष नियुक्त किए गए। 2015 में विधान परिषद सदस्य बनाए गए।