Koudi & Rupya: क्रिप्टो करेंसी से रुपया तो क्या फूटी कौड़ी तक नहीं मिलेगी!

रुपया-कौड़ी (Koudi & Rupya) का क्या है नाता?, कहावतें कौड़ी, दमड़ी, पाई-पाई और सोलह आने सच वाली

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रुपया-कौड़ी (Koudi & Rupya), चार आना, आठ आना, बारह या सोहल आना जैसी नकद मुद्रा या प्रचलित भाषा में जिसे आजकल करेंसी (Currency) कहा जाता है, के बारे में तो आपने सुना होगा. क्या आप फूटी कौड़ी (Footie Koudi), रुपया, धेला (Dhela), दमड़ी (Damri), पाई के हिसाब को जानते हैं?

चलिये गौर करते हैं भारत की पूर्व में प्रचलित ऐसी ही मुद्राओं के बारे में जिनके बूते कई कहावतें फट लोगों की जुबान से टपक पड़ती हैं.

मालूम हमारे दादा के समय न लोग कौड़ियों से चीजें खरीदते थे! कौड़ियों ही नहीं बल्कि, फूटी कौड़ी (Footie Koudi), धेला (Dhela), दमड़ी (Damri), पाई का भी अपना हिसाब था. रुपया-कौड़ी (Koudi & Rupya) के ऐसे किस्से, दावे आपने सुने होंगे.

सुनकर अजीब लगता है न! नदियों से निकला यह शीप कौड़ी कैसे लेन-देन का गवाह बना?, लेकिन इस कौड़ी के कारण इतनी नसीहतें बनीं कि कहावतें अमर हो गईं.

मर जाऊँगा लेकिन एक ‘फूटी कौड़ीभी नहीं दूंगा” –

डायलॉग जरूर फिल्मी लगे लेकिन बात सोलह आने (बराबर एक रुपया) टंच है. जी हां फूटी कौड़ी की भी अपनी हैसियत थी कभी किसी जमाने में. जब मुद्रा (करेंसी) के तौर पर वस्तुओँ के क्रय-विक्रय में फूटी कौड़ी ली-दी जाती थी तब तीन फूटी कौड़ियां एक कौड़ी के बराबर गिनी, मापी, आंकी जाती थीं।

कहावतें समझाएं कौड़ी-रुपया (Koudi & Rupya) की कीमत –

काम धेले’भर का नहीं, सेलरी चाहिये फाइव डिजिट लेकिन हम भी इस उसूल के पक्के हैं कि; चमड़ी जाये पर ‘दमड़ी’न जाये!…फूटी कौड़ी भी नहीं दूंगा, ‘पाई-पाई’का हिसाब रखना जो जरूरी है. बात सोलह आनेसच भी है. इन कहावतों में एक बात उभय-निष्ठ है मौद्रिक हैसियत. कौड़ी, धेला, दमड़ी, पाई, आना यह सब रुपये के वह प्राथमिक रूप हैं जिनकी गणना से रुपये का रसूख तय होता है.

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फूटी कौड़ी से शुरू हुआ भारतीय मुद्रा का सफर आज रुपये तक कैसे पहुंचा? तुलनात्मक रूप से किस मुद्रा (Koudi & Rupya) का कितना दर्जा है? आइये जानते हैं.

भारत के इतिहास में प्रचलित रही मुद्राओं को क्रम में रखने पर कुछ ऐसी श्रृंखला निर्मित होगी. फूटी कौड़ी से कौड़ी, कौड़ी से दमड़ी, दमड़ी से धेला बना. फिर धेला से पाई,  पाई से पैसा,  पैसा से आना बना. वही आना जिससे रुपया (Rupya) बना है.

प्रचलन से बाहर –

फूटी कौड़ी, धेला, दमड़ी, पाई और पैसा भारतीय मुद्रा की वो इकाइयां हैं जो बाजार में प्रचलन से बहुत पहले बाहर हो चुकी हैं. आर्थिक मौद्रिक मान से किस मुद्रा की वैल्यू कितनी है? एक रुपये के लिए कितनी कौड़ियां देना होंगी? यह सवाल कौंधना लाजिमी है.

Indian Currency History

धरती पर मनुष्य के आर्थिक विकास में मुद्रा सबसे अधिक अहमियत रखने वाला आविष्कार है. शेयर बाजारों की तमाम ऊंचाई नीचाई तय करने वाले डॉलर, येन, रुपया जैसी वैश्विक करेंसी प्रचलन में हैं.

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विनिमय विकास क्रम

हमारे ग्रह पृथ्वी पर मानव के बीच फल, मांस, बांस, भाला जैसी चीजों के आदान-प्रदान से वस्तु विनिमय की शुरुआत हुई. हिसाब-किताब में असमानता के कारण आगे चलकर कौड़ियों से लेनदेन की परंपरा विकसित हुई. आगे चलकर कौड़ियों का स्थान धातुओँ के सिक्कों ने ले लिया.

भारत में मौजूदा समय में चार, आठ आना और एक रुपये के सिक्के के विकास के पीछे दूर कौड़ी ही छिपी है. कौड़ी कैसे रुपया बनी (Koudi & Rupya) इसे इन 6 क्रमों से समझें. –

1- कौड़ी से दमड़ी बनी

2- दमड़ी से धेला बना

3- धेला से पाई बनी

4- पाई से पैसा बना

5- पैसे से आना बना

6- आना से रुपया बना

अब क्रेडिट कार्ड और वर्चुअल क्रिप्टो करेंसी बिटकॉइन मौजूदा जमाने में प्रचलित हैं.

प्राचीन मुद्रा विनिमय मूल्य –

भारत में प्रचलित प्राचीन मुद्रा का विनिमय मूल्य यानी एक्सचेंज वैल्यू निर्धारित थी. मतलब 256 दमड़ी =192 पाई=128 धेला =64 पैसा =16 आना =1 रुपया हुआ. इस मान से 256 दमड़ी की वैल्यू आज के एक रुपये के बराबर हुई.

इसी तरह रुपये का विकास क्रम कुछ इस तरह विस्तारित है- 

3 फूटी कौड़ी =1 कौड़ी

10 कौड़ी =1 दमड़ी

2 दमड़ी=1 धेला

1.5 पाई =1 धेला

3 पाई =1 पैसा (पुराना)

4 पैसा =1 आना

16 आना =1 रुपया

1 रुपया =100 पैसा

पुराने समय में मुद्रा की सबसे छोटी इकाई जहां फूटी कौड़ी थी जो मौजूदा कालखंड में पैसा है. गणित के मान से एक रुपया हासिल करने के लिए 2560 कौड़ियां देना होंगी.

यह सिक्के चलन से बाहर –

भारतीय वित्त मंत्रालय ने 30 जून 2011 को चलन से बाहर होने वाले सिक्कों की जानकारी दी. बहुत कम कीमत के 1, 2, 3, 5, 10, 20 और 25 पैसे मूल्य वर्ग के सिक्के प्रचलन से वापस ले लिये गए हैं. अब भारत में इन मुद्राओं को दुकानों/बैंकों में स्वीकार नहीं किया जाता.

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आपको बता दें अभी 50 पैसे का सिक्का अधिकृत रूप से पूरी तरह चलन में है. संस्थान इन्हें लेने से मना करते हैं तो वे कानूनन दंड के भागी होंगे.

हमारी सलाह है कि इंटरनेट भी टटोलते रहें क्योंकि कुछ पुराने और खास नोटों, सिक्कों की इन दिनों जमकर डिमांड है हो सकता है आपकी फूटी कौड़ी आपके लिए करोड़ों की बिग डील साबित हो जाए.

कहते हैं न फूटी कौड़ी भी किसी दिन काम आ जाती है. हालांकि क्रिप्टो करेंसी के मामले में जरा संभलकर निवेश करें क्योंकि आधुनिक दौर में कहावत अब बदली सी नजर आ रही है. मार्केट के कुछ जानकारों की नसीहत है…क्रिप्टो करेंसी से रुपया तो क्या फूटी कौड़ी तक नहीं मिलेगी!

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