अगर आप भी स्मार्टफोन पर देखते हैं पॉर्न, तो हो जाइये सावधान!

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स्मार्टफोन पर पॉर्न देखने वाले यूजर सावधान हो जाएं, क्योंकि ऐसे यूजर्स हैकर्स के सबसे आसान टारगेट हो गए हैं। साल 2018 के मुकाबले पिछले साल मोबाइल पॉर्न से जुड़े साइबर अटैक्स की संख्या दोगुनी हो गई थी।

यूजर्स को अपना शिकार बनाने के लिए हैकर्स ने पॉर्न से जुड़े पॉप्युलर टैग्स का इस्तेमाल किया। शनिवार को आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2019 में मोबाइल पॉर्न और उससे जुड़े खतरों के शिकार यूजर्स की संख्या 42,973 हो गई थी, जो साल 2018 में केवल 19,699 ही थी।

कंप्यूटर पर पॉर्न साइबर अटैक के मामले में कमी

एंटीवायरस कैसपर्सकी के मुताबिक, पर्सनल कंप्यूटर पर पॉर्न साइबर अटैक के मामलों में 2018 से 2019 के बीच 40 प्रतिशत की कमी आई है। रिसर्च फर्म ने बताया कि डिवाइसेज में मैलवेयर या वायरस पहुंचाने के लिए अडल्ट कॉन्टेंट, एंटरटेनमेंट या दूसरे कॉन्टेंट जितना ही पॉप्युलर है।

कोरोना के चलते बढ़ी यूजर्स की संख्या

कोरोना महामारी से बचाव के लिए लागू लॉकडाउन के कारण इस साल काफी यूजर घर में ही हैं और इसी कारण अडल्ट कॉन्टेंट प्लैटफॉर्म्स पर विडिटर्स की संख्या काफी बढ़ गई है। इससे यूजर सिक्यॉरिटी पर भी खतरा बढ़ा है और हैकर्स इसी का फायदा उठा सकते हैं। रिसर्चर्स ने ऐसे कई फाइल्स की पहचान की है, जो एंड्रॉयड ओएस के लिए फर्जी पॉर्न वीडियो और अडल्ट कॉन्टेंट से जुड़े इंस्टॉलेशन पैकेज के तौर पर यूजर्स को अपने जाल में फंसाते हैं।

ऐक्सेस किया जाता है डेटाबेस

इसमें 200 पॉप्युलर पॉर्न टैग्स का इस्तेमाल करके डेटाबेस को ऐक्सेस किया जाता है। रिसर्चर्स ने पाया है कि साल 2018 में 105 टैग्स और 2019 में 99 पॉर्न टैग्स का इस्तेमाल किया गया। इसका मतलब यह हुआ कि साइबर क्रिमिनल यूजर्स के डिवाइस को हैक करने के लिए सारे पॉर्न टैग्स का इस्तेमाल नहीं करते हैं।

मोबाइल मैलवेयर डिस्ट्रीब्यूशन में तेजी

इस बारे में Kaspersky के सिक्यॉरिटी रिसर्चर दिमित्री गैलॉव ने कहा, ‘जिस तरह आजकल मोबाइल यूजर ज्यादा हो रहे हैं, ठीक उसी तरह साइबर क्रिमिनल्स भी मोबाइल को ही टारगेट कर रहे हैं। हमने पाया है कि हाल के दिनों में पीसी मैलवेयर डिस्ट्रीब्यूशन में कमी आई है और मोबाइल मैलवेयर डिस्ट्रीब्यूशन में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है।’

ऐडवर्टाइजिंग सॉफ्टवेयर से बनाते हैं शिकार

यूजर्स को शिकार बनाने के लिए सबसे ज्यादा ऐडवर्टाइजिंग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होता है। रिसर्चर्स ने बताया कि मोबाइल पॉर्न देखने वाले यूजर्स को हैकर्स ऐडवर्टाइजिंग सॉफ्टवेयर के जरिए अपने झांसे में फंसाते हैं और अनचाहे पेजेस पर रीडायरेक्ट कर देते हैं। साल 2019 में हुए टॉप-10 पॉर्न से जुड़े साइबर अटैक्स में सात इसी कैटिगरी के थे। साभार

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