इसरो की बड़ी सफलता: एक हजार घंटे का किया सफल परीक्षण

इसरो की बड़ी सफलता

बेंगलुरु: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. इसरो ने 300 मिलिन्यूटन स्टेशनरी प्लाजमा थ्रस्टर का एक हजार घंटे का सफल परीक्षण पूरा कर लिया है. इस उपलब्धि से उपग्रहों की ट्रांसपोर्ट क्षमता कई गुना बढ़ जाएगी और मिशन की लागत भी कम होगी.

प्लाज्मा थ्रस्टर की मापी क्षमता

इसरो ने एक्स पर जानकारी साझा करते हुए बताया कि परीक्षण के दौरान थ्रस्टर की कुल 5.4 किलोवॉट क्षमता का इस्तेमाल किया गया. यह थ्रस्टर उपग्रहों के इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन में इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे संचार उपग्रहों की विश्वसनीयता और शक्ति में इजाफा होगा.

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केमिकल प्रोपल्शन की जगह लेगा इलेक्ट्रिक सिस्टम

वर्तमान में उपग्रहों में केमिकल प्रोपल्शन सिस्टम का उपयोग किया जाता है, लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम भविष्य के उपग्रहों के लिए ज्यादा कारगर होगा. इस प्रणाली से मिशनों की सटीकता भी बढ़ेगी.

जेनॉन केमिकल का प्रयोग

इसरो के अनुसार, इस थ्रस्टर में प्रोपेलेंट के रूप में कैमिकल एलिमेंट ‘जेनॉन’ का उपयोग किया गया है. यह तकनीक अंतरिक्ष में उपग्रहों की दक्षता और स्थायित्व बढ़ाने में सहायक होगी.

समी-क्रायोजेनिक इंजन में भी बड़ी प्रगति

इसरो ने समी-क्रायोजेनिक इंजन विकसित करने की दिशा में भी महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है. दो हजार किलोन्यूटन की हाई थ्रस्ट क्षमता वाला यह इंजन ऑक्सीजन और मिट्टी के तेल से संचालित होगा.

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इंजन की खासियत:

  • मौजूदा L110 स्टेज से अधिक उन्नत
  • पेलोड क्षमता पांच टन तक बढ़ेगी
  • अत्यधिक तापमान में भी प्रभावी संचालन
    इसरो का दावा है कि इस तकनीक का उपयोग आगामी उपग्रह मिशनों में किया जाएगा. इससे अंतरिक्ष में कक्षा में घूम रहे उपग्रहों के प्रबंधन में भी सहायता मिलेगी, जिससे संचार और नेविगेशन सिस्टम और मजबूत होंगे.