मुंबईः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार नीतियों को लेकर बढ़ती चिंताओं और चौतरफा बिकवाली के कारण भारतीय शेयर बाजार में मंगलवार को भारी गिरावट देखने को मिली. सेंसेक्स एक बार फिर 1,235.08 अंकों की भारी गिरावट के साथ 75,838.36 पर बंद हुआ, जो पिछले सात महीनों का निचला स्तर है.
कारोबार के दौरान सेंसेक्स एक समय 1,431.57 अंक गिरकर 75,641.87 पर पहुंच गया था. निफ्टी भी 320.10 अंक गिरकर 23,024.65 पर बंद हुआ. दिनभर की ट्रेडिंग में निफ्टी ने 367.90 अंक की गिरावट के साथ 22,976.85 का स्तर छुआ.
आज मिल रहे तेजी के संकेत
आज विदेशी बाजारों में तेजी के चलते पॉजिटिव संकेत मिल रहे हैं. आज सेंसेक्स में 305.33 अंक की बढ़त देखने को मिल रही है वहीं निफ्टी भी 50 अंक से बढ़ रहा हैं.
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48 कंपनियां लाल निशान में हुई थी बंद
बता दें कि सेंसेक्स की 50 कंपनियों में से सिर्फ अल्ट्राटेक सीमेंट और एचसीएल टेक्नोलॉजीज ने लाभ दर्ज किया, जबकि बाकी 48 कंपनियां गिरावट के साथ बंद हुईं.
निवेशकों को 7.52 लाख करोड़ रुपये का नुकसान
बीएसई में सूचीबद्ध कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण 431.6 लाख करोड़ रुपये से घटकर 424.8 लाख करोड़ रुपये पर आ गया. इससे निवेशकों को 7.52 लाख करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ.
गिरावट के प्रमुख कारण
1. अमेरिकी व्यापार नीतियों को लेकर अनिश्चितता.
2. विदेशी पूंजी का लगातार बाहर जाना.
3. तीसरी तिमाही के कमजोर नतीजे
4. डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट.
5. बजट से पहले बाजार की सतर्कता.
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सभी सेक्टर्स पर गिरावट का असर
एनएसई के सभी सेक्टोरल इंडेक्स नुकसान के साथ बंद हुए. निफ्टी रियल्टी और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में 4% से अधिक की गिरावट दर्ज की गई.
विशेषज्ञों की राय
वित्तीय सेवा समूह और वैश्विक निवेश बैंक (नोमुरा)के विश्लेषकों का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था घरेलू मांग पर निर्भर होने के कारण अमेरिकी मंदी से ज्यादा प्रभावित नहीं होगी. हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से बीपीसीएल, आईओसीएल और एचपीसीएल को फायदा होगा, जबकि ओएनजीसी और ऑयल इंडिया पर इसका नकारात्मक असर पड़ सकता है.
पिछले कार्यकाल में कैसा हुआ था असर
बराक ओबामा के कार्यकाल में भारतीय शेयर बाजार में 55% की बढ़त हुई थी, जो ट्रंप के कार्यकाल में बढ़कर 63% हो गई. वहीं, जो बाइडेन के शासनकाल में अब तक बाजार ने 89% की बढ़त दर्ज की है.
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से भारतीय शेयर बाजार में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है, जिससे बाजार में अस्थिरता बनी रह सकती है.