अफगान शांति वार्ता में भारत-तालिबान एक मंच पर
आतंकवाद के खिलाफ भारत ने एक बड़ा कदम उठाया है। भारत शुक्रवार को रूस में अफगानिस्तान मुद्दे पर होने वाली बैठक में हिस्सा ले रहा है। हालाकि भारत की तरफ से साफ कह दिया गया है कि उसकी हिस्सेदारी गैर-आधिकारिक स्तर पर होगी। सरकार ने इसके साथ ही भारत कि स्थित स्पष्ट करते हुए कहा कि शांति के प्रयासों का नेतृत्व अफगान के हाथ में है। इसके साथ ही भारत पहली बार तालिबान (taliban )के साथ मंच साझा कर रहा है।
तालिबान के साथ भारत-
मॉस्को में होने वाली बैठक में भारत की उपस्थिति गैर-आधिकारिक ही है लेकिन इससे भी कई लोगों को हैरानी हो सकती है। यह पहली बार होगा जब भारत तालिबान के साथ मंच साझा करेगा। भारत की ओर से इस बैठक में रिटायर्ड डिप्लोमैट टीसीए राघवन और अमर सिन्हा भाग लेंगे।
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अफगानिस्तान में सुलह चाहता है भारत-
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा, ‘हमें पता है कि रूसी प्रशासन 9 नवंबर को मॉस्को में एक बैठक की मेजबानी कर रहा है।उन्होंने कहा, ‘भारत ऐसे सभी प्रयासों का समर्थन करता है जिससे अफगानिस्तान में शांति और सुलह के साथ एकता, विविधता, सुरक्षा, स्थायित्व और खुशहाली आए।
भारत की यह नीति रही है कि इस तरह के प्रयास अफगान-नेतृत्व, अफगान-मालिकाना हक और अफगान-नियंत्रित होनी चाहिए और इसमें अफगानिस्तान की सरकार की भागीदारी होनी चाहिए। हमारी हिस्सेदारी गैर-अधिकारी स्तर पर होगी।
पहली तालिबान शांति वार्ता में हिस्सा ले रहा है-
पहले मॉस्को फॉर्मेट में भारत की ओर से संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी शामिल हुए थे लेकिन उसमें तालिबान नहीं था। मॉस्को की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति ने कहा गया, ‘पहली बार दोहा स्थित तालिबान मूवमेंट के राजनीतिक दफ्तर से एक दल भाग ले रहा है।
हालांकि अफगान सरकार इसमें सीधे तौर पर भाग नहीं ले रही है लेकिन देश की हाई पीस काउंसिल इसमें भाग ले सकती है। रूसी उच्चायोग ने कहा है कि वह भारत और अन्य देशों का स्वागत करता है और शांति प्रक्रिया में भारत के प्रयासों का समर्थन करता है।
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