क्या आपको पता है कौन थे देश के पहले IAS अफसर ? अंग्रेजों का गुरूर तोड़ने में हुए थे सफल

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यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) नेसिविल सेवा मुख्य परीक्षा 2020 के लिए अंतिम परिणाम में कुल 761 उम्मीदवारों ने क्वालीफाई किया।

बिहार के कटिहार जिले के रहने वाले शुभम कुमार सिविल सर्विसेज मेन एग्जाम 2020 में टॉप किया और IAS बनने तक का सफर तय किया।

यूपीएससी सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्‍व में सबसे महत्वपूर्ण परीक्षाओं में से एक है, यह भारत के शीर्ष सरकारी अधिकारियों को भर्ती करती है।

क्या आप जानते हैं कि भारत का पहला आईएएस अधिकारी कौन था ? बता दें कि सिविल सर्विस एग्जाम की शुरूआत अंग्रेजों ने की थी।

1854 में हुई थी सिविल सर्विस एग्जाम की शुरुआत-

upsc.gov.in के अनुसार, साल 1854 में अंग्रेजों ने भारत में सिविल सर्विस एग्जाम की शुरुआत की थी।

1854 में सिविल सेवा आयोग की स्थापना की गई और 1855 में लंदन में प्रतियोगी परीक्षा शुरू की गई।

इसके लिए न्यूनतम उम्र 18 साल और अधिकतम उम्र 23 साल थी, लेकिन भारतीयों के लिए ये परीक्षाएं काफी कठिन थी।

कौन थे भारत के पहले IAS अफसर ?-

आपको यह जानकार हैरानी होगी कि रवींद्रनाथ टैगोर के बड़े भाई सत्येंद्रनाथ टैगोर पहले भारतीय थे, जिन्होंने 1864 में सिविस सेवा परीक्षा में सफलता हासिल की।

सत्येंद्रनाथ टैगोर आईएएस अफसर बनने वाले पहले भारतीय है।

इस तरह क्वालीफाई किया था ये एग्जाम-

सत्येंद्रनाथ टैगोर परीक्षा की तैयारी करने के लिए 1862 में भारत से इंग्लैंड के लिए रवाना हुए थे। उन्हें 1863 में सिविल सेवाओं के लिए चुना गया।

1864 में इंग्लैंड में अपनी ट्रेनिंग की अवधि पूरी करने के बाद भारत लौटे। वह आधिकारिक तौर पर भारत के पहले आईएएस अधिकारी थे।

इसके बाद उन्हें बॉम्बे प्रेसीडेंसी में तैनात किया गया था और कुछ महीनों के बाद अहमदाबाद शहर में तैनात किया गया।

सिविल सर्विस एग्जाम क्या होता है ?-

यह सिविल सेवा परीक्षा सम्मिलित रक्षा सेवा के साथ अन्‍य परीक्षा शीर्ष भर्ती परीक्षा आयोजित करती है।

यह परीक्षा तीन चरण में आयोजित की जाती है। पहला चरण प्रारंभिक परीक्षा को प्रीलिम कहा जाता है, दूसरा चरण मुख्य परीक्षा मेन कहा जाता है, वहीं तीसरे चरण में साक्षात्कार होता है।

यूपीएससी में हर साल लाखों लोग भाग लेते हैं।

इस परीक्षा में पास होने वालों का प्रतिशत बहुत कम है, लाखों उम्मीदवारों में से केवल 0.1 से 0.4 प्रतिशत ही इस एग्जाम को क्रैक कर पाते हैं।

लगभग 3 लाख छात्र उपस्थित होते है और शायद ही उनमें से सिर्फ कुछ सौ चुने जाते हैं।

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