बेटी है, तो कल है: क्यों जरूरी है डॉटर्स डे मनाना? जानिए इसका इतिहास और महत्त्व..

कहते हैं बेटा भाग्य से पैदा होते हैं तो बेटियां सौभाग्य से। बेटी के प्यार और समर्पण को देखते हुए पूरी तरह बेटियों को समर्पित यह खास दिन है 'डाटर्स डे'।

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कहते हैं बेटा भाग्य से पैदा होते हैं तो बेटियां सौभाग्य से। बेटियां पैदा होती हैं तो अपने मां-बाप के घर को रोशन करती हैं और दूसरे घर जाती हैं तो पति के घर की किस्मत बदल देती हैं। बेटी के मासूम और चंचल मन को देखकर माता-पिता सारे गम और परेशानी भूल जाते हैं। घर-आंगन को खुशियों से भर देने वाली बेटियां कुदरत का दिया हुआ अनमोल तोहफा होती हैं। बेटियों की मौजूदगी से घर में चहल-पहल और रौनक बनी रहती है। मां की लाडली और पिता की गुरुर बेटी की अहमियत को उसके पेरेंट्स से ज्यादा कोई नहीं समझ सकता। बेटी के प्यार, समर्पण और त्याग को देखते हुए दुनिया में हर साल पूरी तरह बेटियों को समर्पित यह खास दिन है ‘डाटर्स डे’। अंतर्राष्ट्रीय डॉटर्स डे हर साल सितंबर के चौथे रविवार को सेलीब्रेट किया जाता है। इस बार रविवार 26 सितंबर को यानी आज मनाया जा रहा है।

डॉटर्स डे का इतिहास:

हमारे समाज में बेटीयों ने हर भूमिका में खुद की काबिलियत को साबित किया है। गुजरते वक्त के साथ ‘बेटी है, तो कल है’ पर भरोसा बढ़ता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र ने लड़कियों के महत्व को समझते हुए, समाज में लड़कों और लड़कियों के बिच भेदभाव को समाप्त करने के लिए यह दिन बेटियों को समर्पित किया। संयुक्त राष्ट ने पहली बार 11 अक्टूबर 2012 को एक दिन बेटियों को समर्पित किया। जिसका स्वागत दुनिया भर के लोगों ने किया। दुनिया के हर देश में में डाटर्स डे अलग-अलग दिन मनाया जाता है।

क्यों जरूरी है डॉटर्स डे मनाना:

पुत्रप्रधान समाज में आज भी बेटियों को लड़कों से कमतर आंका जाता है। हालांकि कई बड़े शहरों में बेटियों को बराबर के अवसर मिलते हैं लेकिन अभी नही कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां ऐसा नहीं है। नीति आयोग की रिपोर्ट 2020-21 के अनुसार जन्म के लिंगानुपात 906 से घटकर 899 हो गए है। तो वही राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (2019) के आंकडों के मुताबिक देशभर में रोजाना औसतन 87 मामले बलात्कार के दर्ज हुए हैं। वही राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (2017 से 2018) के आंकड़ों पर आधारित एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 84.7 फीसदी पुरुषों के मुकाबले में 70.3 फीसदी महिलाएं ही साक्षर हैं। बेटियों को समर्पित यह दिन समाज में बदलाव लाने के लिए महत्वपूर्ण है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य बेटियों को लड़कों की तरह सामान अवसर और समानता का अधिकार देने के प्रति जागरूकता प्रदान करने का है।

 

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