उत्तर प्रदेश विधानमंडल के बजट सत्र के छठे दिन बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने स्पष्ट किया कि प्रदेश में शिक्षामित्रों का मानदेय फिलहाल नहीं बढ़ाया जाएगा. हालांकि, उन्होंने शिक्षामित्रों के लिए राहत भरी घोषणा करते हुए कहा कि अगले शिक्षा सत्र में उन्हें उनकी मर्जी का तबादला दिया जाएगा, जिससे उन्हें अनावश्यक भागदौड़ से बचाया जा सकेगा.
2017 के बाद शिक्षामित्रों के मानदेय में हुआ इजाफा
मंत्री ने सदन में यह भी बताया कि जब 2017 में भाजपा सरकार सत्ता में आई थी, तब शिक्षामित्रों का मानदेय मात्र 3,500 रुपये था जिसे वर्तमान सरकार ने बढ़ाकर 10,000 रुपये कर दिया. उन्होंने कहा कि सरकार शिक्षामित्रों की स्थिति को लेकर गंभीर है और उनके सम्मान और अधिकारों की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है.
विपक्ष ने सरकार को घेरा, शिक्षामित्रों के वेतन पर उठाए सवाल
सपा सदस्य डॉ. आरके. वर्मा ने शिक्षामित्रों के मानदेय की तुलना अन्य सेवाओं से करते हुए सरकार पर कटाक्ष किया. उन्होंने सवाल उठाया कि जितना वेतन किसी मंत्री के निजी कर्मचारी को मिलता है, उतना शिक्षामित्रों को भी नहीं दिया जाता. उन्होंने कहा, “जो व्यक्ति मंत्री के कुत्ते को टहलाता है, नहलाता है, उसे 20,000 रुपये महीना वेतन मिलता है, जबकि शिक्षामित्र, जो देश के भविष्य को संवारते हैं, उन्हें मात्र 10,000 रुपये मिलते हैं. यह कहां का न्याय है ?”
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सत्ता पक्ष ने जताई कड़ी आपत्ति
इस बयान पर सत्ता पक्ष भड़क उठा और सदन में हंगामा मच गया. बेसिक शिक्षा मंत्री ने इसे शिक्षामित्रों का अपमान करार दिया और विपक्ष से माफी की मांग की. उन्होंने सपा पर हमला करते हुए कहा कि विपक्ष का इतिहास हमेशा से शिक्षामित्रों के प्रति असंवेदनशील रहा है. उन्होंने याद दिलाया कि सपा शासनकाल में शिक्षामित्रों की स्थिति और भी दयनीय थी.
बेसिक शिक्षा की गुणवत्ता पर भी हुई बहस
बजट सत्र के दौरान बेसिक शिक्षा के स्तर पर भी चर्चा हुई. सपा विधायक समरपाल सिंह ने आरोप लगाया कि प्रदेश के बेसिक स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम की पढ़ाई ठीक से नहीं हो रही है. उन्होंने दिल्ली मॉडल का उदाहरण देते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में भी अरविंद केजरीवाल की तरह स्कूलों को आधुनिक बनाया जाना चाहिए.
मंत्री संदीप सिंह ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि 2017 से पहले बेसिक स्कूलों की स्थिति दयनीय थी, जिसे सुधारने के लिए सरकार ने मिशन कायाकल्प शुरू किया. उन्होंने दावा किया कि अब स्कूलों में 16 बिंदुओं पर काम कर आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं. उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश में 13,250 स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा दी जा रही है.
क्या शिक्षामित्रों को मिलेगा न्याय ?
शिक्षामित्रों के मानदेय में बढ़ोतरी को लेकर सरकार की उदासीनता और विपक्ष के कड़े सवालों के बीच यह बहस राजनीतिक रूप से गरमा गई है. जहां एक ओर सरकार शिक्षामित्रों को तबादले में छूट देने की बात कर रही है, वहीं दूसरी ओर शिक्षामित्रों की आर्थिक स्थिति में सुधार को लेकर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. सवाल यह है कि क्या शिक्षामित्रों को भविष्य में आर्थिक राहत मिलेगी, या फिर यह मुद्दा राजनीतिक बहस तक ही सीमित रहेगा ?