श्रीहरिकोटाः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज अपना ऐतिहासिक 100वां उपग्रह सफलतापूर्वक लांच किया. श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से जीएसएलवी-एफ 15 (GSLV-F15) रॉकेट के माध्यम से नेविगेशन सैटेलाइट एनवीएस-02 (NVS-02) को प्रक्षेपित किया गया. यह उपग्रह भारतीय उपमहाद्वीप और उसके आसपास के क्षेत्रों में सटीक स्थिति, समय और वेग की जानकारी प्रदान करेगा, जिससे जमीन, हवा और समुद्र पर पैनी निगरानी रखी जा सकेगी.
स्मार्ट टेक्नोलॉजी से मजबूती के नए आयाम: इसरो
इसरो का यह 100वां उपग्रह एनवीएस-02, भारतीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (INSS) की सीरीज में दूसरी पीढ़ी का उपग्रह है. इसमें रुविडियम एटॉमिक फ्रीक्वेंसी स्टैंडर्ड परमाणु घड़ियां शामिल हैं, जो सटीक समय अनुमान को सक्षम बनाएंगी.
🌍 A view like no other! Watch onboard footage from GSLV-F15 during the launch of NVS-02.
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— ISRO (@isro) January 29, 2025
इसरो प्रमुख का पहला मिशन
यह मिशन इसरो प्रमुख वी नारायणन का पहला मिशन था, जिन्होंने 13 जनवरी को पदभार सम्भाला था. इस सैटेलाइट का उद्देश्य भारतीय नेविगेशन प्रणाली को और बेहतर बनाना है.
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46 साल बाद…100वां उपग्रह
इसरो का यह 100वां उपग्रह मिशन 46 साल पहले 10 अगस्त, 1979 को श्रीहरिकोटा से किए गए पहले रॉकेट लॉन्च के बाद एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. इससे पहले, 29 मई 2023 को जीएसएलवी-एफ 12 ने नेविगेशन उपग्रह एनवीएस-01 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था.
जीएसएलवी-एफ 15 रॉकेट की लंबाई 50.9 मीटर है जो जीएसएलवी रॉकेट की 17 वीं उड़ान है और यह स्वदेशी क्रायोजेनिक चरण वाली 11वीं उड़ान है.
नये सैटेलाइट से क्या होगा फ़ायदा
यह सैटेलाइट भूमि, हवा और समुद्र में नेविगेशन सेवाओं को बेहतर बनाएगा. इस उपग्रह से सुरक्षा क्षेत्र, खेती, इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT), आपातकाल सेवाओं, पावर ग्रिड और मोबाइल लोकेशन सेवाओं को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी. यह भारतीय उपमहाद्वीप के अलावा भारतीय भूभाग से लगभग 1500 किलोमीटर दूर के क्षेत्रों में भी सटीक स्थिति और समय की जानकारी देगी.
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NVS-02 में क्या है खास
एनवीएस-02 का वजन 2,250 किलोग्राम है और इसकी ऊर्जा क्षमता लगभग 3 किलोवाट है. यह एल1, एल2 और एस बैंड में नेविगेशन पेलोड से सुसज्जित है और इसमें एनवीएस-01 के समान सी-बैंड रेजिंग पेलोड शामिल है.