हिमांगी सखी बनी देश की प्रथम किन्नर जगतगुरु…

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उत्तर प्रदेश के प्रयागराज महाकुंभ की पावन स्थली पर एक ऐतिहासिक घटना हुई है, जिसमें देश की पहली किन्नर कथा वाचक हिमांगी सखी को जगतगुरु की उपाधि से सम्मानित किया गया है. हिमांगी सखी को यह उपाधि परी अखाड़े ने दी और उनके पट्टाभिषेक का आयोजन महाकुंभ क्षेत्र में हुआ. वह अब महिलाओं के परी अखाड़े में शामिल हो गई हैं और इस सम्मान के साथ उन्हें शंकराचार्य के पद पर भी विभूषित किया जाएगा.

जगतगुरु बनने के बाद शुरू की सनातन रक्षा यात्रा

जगतगुरु की उपाधि मिलने के बाद हिमांगी सखी ने अपनी जिम्मेदारी को और बढ़ा लिया है.उन्होंने ‘सनातन रक्षा यात्रा’ की शुरुआत की घोषणा की है, जिसके तहत वह देशभर में यात्रा करके सनातन धर्म के अनुयायियों को एकजुट करेंगी. उनका उद्देश्य धर्म के अनुयायियों को आपसी बंटवारे से बचाने और उनके बीच एकता की भावना को मजबूत करना है. वह इस यात्रा के दौरान लोगों को धर्म की रक्षा के महत्व के बारे में बताएंगी और यह समझाएंगी कि बंटने से क्या परिणाम हो सकते हैं. हिमांगी सखी ने कहा कि, ”इस सम्मान के बाद उनकी जिम्मेदारी बढ़ गई है और अब वह सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार और उसकी रक्षा के लिए और अधिक सक्रिय होकर काम करेंगी. उनका मानना है कि धर्म के प्रचार में महिला संतों की भूमिका महत्वपूर्ण है और वह इस जिम्मेदारी को पूरी निष्ठा से निभाएंगी.”

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पट्टाभिषेक समारोह का आयोजन

हिमांगी सखी के पट्टाभिषेक का कार्यक्रम महाकुंभ क्षेत्र के परी अखाड़े के आश्रम में आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में प्रमुख साध्वी त्रिकाल भवंता ने उन्हें फूलों की माला और चादर पहनाकर पट्टाभिषेक की शुरुआत की है. इसके बाद अन्य साध्वियों ने भी उन्हें सम्मानित किया. समारोह में अन्य संत महात्मा और समाज के विभिन्न लोग भी उपस्थित थे, जिन्होंने हिमांगी सखी का सम्मान किया. जगतगुरु की उपाधि मिलने के बाद भक्तों ने आरती करके हिमांगी सखी का अभिनंदन किया और उन्हें आशीर्वाद दिया.

इस मौके पर साध्वी त्रिकाल भवंता ने कहा कि, ”परी अखाड़ा महाकुंभ में नारी सशक्तिकरण का बड़ा संदेश दे रहा है. महाकुंभ के आयोजन के दौरान देश भर की महिला संतों को सम्मानित किया जाएगा और उन्हें विभिन्न पदों पर विभूषित किया जाएगा. साध्वी त्रिकाल भवंता और हिमांगी सखी ने यह स्पष्ट किया कि महिला संत सनातन धर्म के प्रचार और उसकी रक्षा में किसी भी तरह से पीछे नहीं रहेंगी, बल्कि वे अपनी जिम्मेदारियों को और भी अधिक गंभीरता से निभाएंगी”

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