पढ़े कौन हैं आसिया बीबी, और क्यों मचा है इतना बवाल
पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने ईसाई महिला आसिया बीबी को ईशनिंदा के एक मामले में बरी कर दिया है। उनपर पैगंबर मोहम्मद के अपमान का आरोप था। निचली अदालत और फिर हाईकोर्ट ने इस मामले में आसिया बीबी को मौत की सज़ा ( sentenced) सुनाई थी।
2010 में सजा सुनाए जाने के बाद से ही आसिया जेल में थीं। फ़ैसला सुनाते हुए चीफ़ जस्टिस मियां साक़िब निसार ने कहा, ‘उनकी (आसिया बीबी की) सज़ा वाले फ़ैसले को नामंजूर किया जाता है। अगर अन्य किसी मामले में उनपर मुक़दमा नहीं है तो उन्हें तुरंत रिहा किया जाए।
इसके बाद से लाहौर, इस्लामाबाद और कराची आदि पाकिस्तान के कई बड़े शहरों में कट्टरपंथियों ने आसिया को रिहा किए जाने के विरोध में प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं। उन्होंने बरी करने वाले जजों को मारने की बातें भी कही है।
क्या था पूरा मामला?
जून, 2009 में आसिया नूरीन अपने घर के पास फालसे के बाग में दूसरी महिलाओं के साथ काम कर रहीं थीं। वहीं उनका झगड़ा हुआ। आसिया ने अपनी किताब ‘ब्लासफेमी’ में इस घटना का बाकायदा जिक्र है। 14 जून की इस घटना के बारे में वे न्यूयॉर्क पोस्ट में छपे एक लेख में लिखती हैं, “मुझे आज भी 14 जून, 2009 की तारीख याद है। इस तारीख से जुड़ी हर चीज याद है।
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मैं उस दिन फालसा बटोरने के लिए गई थी। उस दिन आसमान से आग बरस रही थी। दोपहर होते-होते गरमी इतनी तेज हो गई कि भट्टी में काम करने जैसा लग रहा था। मैं पसीने से तरबतर थी। गर्मी इतनी ज्यादा थी कि मेरे शरीर ने काम करना बंद कर दिया।”वे आगे लिखती हैं, “मैं झाड़ियों से निकलकर पास ही में बने हुए एक कुएं के पास पहुंची और कुएं में बाल्टी डालकर पानी निकाल लिया।
इसके बाद मैंने कुएं पर रखे हुए एक गिलास को बाल्टी में डालकर पानी पिया। लेकिन जब मैंने एक महिला को देखा जिसकी हालत मेरी जैसी थी तो मैंने उसे भी पानी निकालकर दिया। तभी एक महिला ने चिल्लाकर कहा कि ये पानी मत पियो क्योंकि ‘ये हराम है’ क्योंकि एक ईसाई महिला ने इसे अशुद्ध कर दिया है।
आसिया लिखती हैं, “मैंने इसके जवाब में कहा कि मुझे लगता है कि ईसा मसीह इस काम को पैग़ंबर मोहम्मद से अलग नज़र से देखेंगे। इसके बाद उन्होंने कहा कि तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई, पैग़ंबर मोहम्मद के बारे में कुछ बोलने की। मुझे ये भी कहा गया कि अगर तुम इस पाप से मुक्ति चाहती हो तो तुम्हें इस्लाम स्वीकार करना होगा।
“मुझे ये सुनकर बहुत बुरा लगा क्योंकि मुझे अपने धर्म पर विश्वास है। इसके बाद मैंने कहा – मैं धर्म परिवर्तन नहीं करूंगी क्योंकि मुझे ईसाई धर्म पर भरोसा है। ईसा मसीह ने मानवता के लिए सलीब पर अपनी जान दी। आपके पैग़ंबर मोहम्मद ने मानवता के लिए क्या किया है?” इसी लेख में आसिया ने लिखा था कि मुझे प्यास लगने के चलते मौत की सजा दी गई है।
आसिया बीबी को सजा दिए जाने के बाद उनसे मिलने पंजाब के तत्कालीन राज्यपाल सलमान तासीर गए और उन्होंने पाकिस्तान के ईशनिंदा कानून की निंदा की। सलमान तासीर खुले विचारों के लिए जाने जाते थे। इसके कुछ दिन बाद सलमान के अंगरक्षक मुमताज़ क़ादरी ने ही उनकी हत्या कर दी। हालांकि उसे बाद में फांसी हुई लेकिन उसे पाकिस्तान के कट्टरपंथियों ने ‘हीरो’ बना दिया था।
परिवार और उनके वकील की सुरक्षा का बंदोबस्त
यही नहीं, दो महीने बाद जब अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री शाहबाज़ भट्टी ने ईशनिंदा कानून की निंदा की तो उन पर भी जानलेवा हमला किया गया, जिसमें उनकी जान चली गई। यही वजह है कि कुछ मानवाधिकार संगठनों ने पाकिस्तान सरकार से अनुरोध किया है कि आसिया बीबी के परिवार और उनके वकील की सुरक्षा का बंदोबस्त किया जाए।
वैसे तो ईशनिंदा का यह कानून अंग्रेजों के वक्त से ही चला आ रहा है लेकिन जिया उल हक के शासन के दौरान जब पाकिस्तान का इस्लामीकरण बढ़ा तबसे इस कानून का प्रयोग बहुत होने लगा। उसके बाद से हज़ारों लोगों पर इस कानून के तहत केस दर्ज किए जा चुके हैं। पाकिस्तान में ऐसे ही केसों में पिछले 28 वर्षों में 62 अभियुक्तों को अदालत का फ़ैसला आने से पहले ही क़त्ल कर दिया गया है।
पंजाब प्रांत में धारा-144 लागू कर दी गई है
मीडिया कि एक रिपोर्ट के मुताबिक फिलहाल पाकिस्तान में अलग-अलग मस्जिदों से ऐलान किया जा रहा कि लोग सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ अपने घरों से निकलें और इस फ़ैसले का खुलकर विरोध करें। वहीं विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए पूरे पंजाब प्रांत में धारा-144 लागू कर दी गई है। पुलिस की गाड़ियों से ये ऐलान किया जा रहा है कि पांच से ज़्यादा लोग एक साथ खड़े दिखाई न दें।
वहीं दूसरे दिन भी पाकिस्तान में फैसले के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के खिलाफ प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी बयान जारी किया है जिसमें उन्होंने जनता से गुमराह न होने की अपील की है और प्रदर्शनकारियों को कड़ी कार्रवाई की धमकी दी है। उधर कट्टरपंथी तहरीक़ लब्बैक पाकिस्तान ने पूरे पाकिस्तान में विरोध प्रदर्शन का आह्वान किया है। लाहौर की मॉल रोड पर उनके समर्थक भारी संख्या में जमा हो गए हैं।
पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर भी इस मामले में बिल्कुल एक दूसरे के विरोधी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं। एक तरफ़ लोग इसे क़ानून और इंसाफ़ की जीत क़रार दे रहे हैं तो दूसरी तरफ़ धमकी भरे बयान आ रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट के जजों को अपशब्द कहे जा रहे हैं। साभार
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