ज्ञानवापी मामला: SC ने वाराणसी जिला जज को ट्रांसफर किया केस, 2 महीने में सुनवाई पूरी करने के आदेश

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वाराणसी में चल रहे ज्ञानवापी मामले को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लेते हुए इस मामले को वाराणसी जिला जज को ट्रांसफर कर दिया है. इससे पहले इस मामले की सुनवाई सिविल जज सीनियर डिवीजन वाराणसी कर रहे थे. सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए यह जिला जज वाराणसी को ट्रांसफर किया गया है. इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत को ऑर्डर 7 रूल 11 मामले की सुनवाई 2 महीने में पूरी करने का आदेश दिया है.

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्य कांत और जस्टिस पीएस नरसिम्ह की पीठ ने कहा कि वह वाराणसी दीवानी न्यायाधीश (सीनियर डिवीजन) पर कोई आक्षेप नहीं लगा रही है, जो पहले से मुकदमे पर सुनवाई कर रहे थे.

उधर, सुप्रीम कोर्ट ने कहा ‘हम एक संदेश देना चाहते हैं कि देश में एकता का माहौल बना रहना चाहिए.’ किसी समुदाय का नाम लिए बिना जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा ‘एक हीलिंग टच देने यानी मरहम रखने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत की कार्रवाई पर कोई टिप्पणी नहीं की, लेकिन कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट लीक होने पर चिंता जताई है.’

बता दें सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अपने आदेश में निचली अदालत के 16 मई के उस आदेश रद्द कर दिया, जिसमें मस्जिद के एक बड़े इलाके को सील करने का आदेश दिया था और सर्द 20 नमाजियों को नमाज पढ़ने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई को उस आदेश पर रोक लगा दी थी और कहा था कि सिर्फ उस जगह को सुरक्षित किया जायेगा जहा शिवलिंग मिलने का दावा किया जा रहा है. साथ ही ये भी कहा था कि नमाजियों के मस्जिद में जाने या नमाज पढ़ने की कोई पाबंदी नहीं होगी. किसी भी तादाद में नमाजी मस्जिद में जायेंगे.

सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को अपने आदेश में कहा ‘वाराणसी जिला जज इस बात पर सुनवाई करेंगे कि हिंदू पक्षकारों की याचिका सुनने लायक है या नहीं. उसे स्वीकार किया जाना चाहिए या नहीं.’

उधर, मुस्लिम पक्षकारों ने कहा ‘हिंदू पक्ष की याचिका स्वीकार नहीं होनी चाहिए, क्योंकि धर्मस्थल कानून 1991 के अनुसार किसी धार्मिक स्थल का चरित्र जैसा 15 अगस्त 1947 में था वैसा ही रहेगा.’

ज्ञानवापी मामले पर हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा ‘सुप्रीम कोर्ट का 17 मई का जो अंतरिम आदेश था, जो एरिया सील किया गया है जहां शिवलिंग पाया गया है वो बरकरार रहेगा. ज्ञानवापी मस्जिद में वजू खाने के लिए अलग से व्यवस्था की जाएगी.’

मस्जिद पक्ष के वकील हुजाफा अहमदी ने कहा ‘हमारी एसएलपी आयोग की नियुक्ति के खिलाफ है. इस प्रकार की शरारत को रोकने के लिए ही 1991 का अधिनियम बनाया गया था. कहानी बनाने के लिए आयोग की रिपोर्ट को चुनिंदा रूप से लीक किया गया है. वाराणसी कोर्ट ने अभी तक जो भी आदेश दिया है,वह गैरकानूनी है और इसे अवैध घोषित किया जाना चाहिए.’

इसके अलावा मस्जिद कमेटी की तरफ से दलील में कहा गया ‘लोकल कोर्ट के आदेश का आधार पर 5 और मस्जिदों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. अगर आज इसे अनुमति दी जाती है तो कल कोई इसी तरह से मस्जिद के नीचे मंदिर होने का नैरेटिव सेट किया जायेगा. इससे देश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ेगा.’

इसके साथ कमेटी ने कहा ‘हमें मौका दिया जाए कि एक नैरेटिव सेट किया जा रहा है. ये मामला इतना आसान नहीं है. मेरी मांग है कि यदि मामला वाराणसी कोर्ट जाता है फिर भी यथास्थिति बनाए रखी जाए.’ बता दें इस पूरे मामले में अब सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जुलाई के दूसरे हफ्ते में होगी.

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