वोडाफोन आइडिया पर सरकार की हिस्सेदारी बढ़ी, ₹36,950 करोड़ का कर्ज बदला शेयरों में

वोडाफोन आइडिया पर सरकार की हिस्सेदारी बढ़ी

नई दिल्ली: वोडाफोन आइडिया को सरकार से बड़ी राहत मिली है. कंपनी पर बकाया ₹36,950 करोड़ के स्पेक्ट्रम भुगतान को सरकार ने शेयरों में बदलने का फैसला किया है. इस फैसले के बाद सरकार की हिस्सेदारी कंपनी में 22.60% से बढ़कर 48.99% हो जाएगी. हालांकि, प्रमोटर्स कंपनी के संचालन का नियंत्रण बनाए रखेंगे.

कैसे बदला कर्ज शेयरों में?

सितंबर 2021 में टेलीकॉम सेक्टर के लिए सुधार पैकेज की घोषणा की गई थी, जिसके तहत कंपनियों को कर्ज चुकाने के लिए राहत दी गई थी. इसी के तहत, सरकार ने अब वोडाफोन आइडिया के बकाया स्पेक्ट्रम शुल्क को कंपनी के शेयरों में बदलने का आदेश दिया है. यह आदेश 29 मार्च 2025 को जारी हुआ, जिसे कंपनी को 30 मार्च 2025 को प्राप्त हुआ.
सरकार के इस फैसले के तहत वोडाफोन आइडिया को ₹10 प्रति शेयर की दर से 3,695 करोड़ नए शेयर जारी करने होंगे. यह प्रक्रिया 30 दिनों में पूरी करनी होगी.

क्या होगा असर?

सरकार की हिस्सेदारी अब लगभग 49% हो जाएगी, जिससे वह वोडाफोन आइडिया की सबसे बड़ी हिस्सेदार बन जाएगी. कंपनी को इस बड़े कर्ज को चुकाने की जरूरत नहीं होगी, जिससे उसकी वित्तीय स्थिति सुधर सकती है.
प्रमोटर्स यानी अदित्य बिड़ला ग्रुप और वोडाफोन ग्रुप अभी भी कंपनी के ऑपरेशनल कंट्रोल में रहेंगे.
शेयरधारकों पर इसका असर यह होगा कि कंपनी का स्वामित्व सरकार की ओर ज्यादा झुक जाएगा, लेकिन इससे कंपनी को स्थिरता मिल सकती है.

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इस तरह बढ़ी सरकार की हिस्सेदारी

वोडाफोन आइडिया पर भारी कर्ज का मुख्य कारण सरकार को स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए देय बकाया राशि है. स्पेक्ट्रम, यानी रेडियो फ्रीक्वेंसी बैंड, का उपयोग टेलीकॉम कंपनियां अपने नेटवर्क सेवाओं के लिए करती हैं, और इसके लिए उन्हें सरकार को भुगतान करना होता है. वोडाफोन आइडिया इन स्पेक्ट्रम नीलामी में बड़ी रकम की देनदार हो गई, जिसे वह समय पर चुका नहीं सकी. इसके परिणामस्वरूप, कंपनी पर बकाया बढ़ता गया, और वह वित्तीय संकट में फंस गई. इस स्थिति को सुधारने के लिए, सरकार ने कंपनी के बकाया ₹36,950 करोड़ को इक्विटी में बदलने का निर्णय लिया, जिससे सरकार की हिस्सेदारी बढ़कर 48.99% हो गई.

आगे क्या?

वोडाफोन आइडिया अब इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए जरूरी कानूनी औपचारिकताएं पूरी करेगी. इसमें SEBI और अन्य नियामकों की मंजूरी जरूरी होगी.
इस फैसले से टेलीकॉम सेक्टर में एक बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है, क्योंकि सरकार अब एक निजी टेलीकॉम कंपनी में सबसे बड़ी हिस्सेदार बन गई है. इससे कंपनी को अपने नेटवर्क विस्तार और सेवाओं में सुधार करने का मौका मिलेगा.