नई दिल्ली. आभूषण और खुदरा विक्रेताओं की मजबूत मांग के चलते मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी के सर्राफा बाजार में सोने की कीमतों में लगातार पांचवें दिन तेजी दर्ज की गई. सोना 500 रुपये की बढ़त के साथ 85,800 रुपये प्रति 10 ग्राम के नए उच्चतम स्तर पर पहुंच गया. इस साल की शुरुआत से अब तक सोना 6,410 रुपये (8.07%) महंगा हो चुका है. 1 जनवरी को सोने की कीमत 79,390 रुपये प्रति 10 ग्राम थी, जो अब बढ़कर 85,800 रुपये हो गई है.
हालांकि, चांदी की कीमतों में आई लगातार पांच दिनों की तेजी पर मंगलवार को ब्रेक लग गया. चांदी 500 रुपये की गिरावट के साथ 95,500 रुपये प्रति किलोग्राम पर पहुंच गई, जबकि सोमवार को यह 96,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई थी.
बता दें कि पिछले वर्ष की तुलना में सोने और चांदी की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. वर्ष 2023-24 में सोने ने लगभग 32% और चांदी ने लगभग 39% का रिटर्न दिया. यह वृद्धि 2011 के बाद से सबसे अधिक है.
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भारत में सोने की कीमतें क्यों बढ़ रही हैं?
भारत में सोना को हमेशा एक मूल्यवान संपत्ति माना गया है और यह एक महँगी धातु भी है जिसकी कीमत बढ़ती रहती है, लेकिन इसकी कीमत हमेशा उतनी नहीं रही जितनी आज है.
अगर हम ध्यान दें तो ऐतिहासिक रूप से, जब भी आर्थिक अस्थिरता, सामाजिक अशांति या वित्तीय अनिश्चितता बढ़ी है, तब सोने की कीमतों में उछाल देखा गया है. भारत-चीन युद्ध, 1971 का वित्तीय संकट और 2008 की वैश्विक मंदी जैसी घटनाओं ने कीमतों में बढ़ोतरी की है.
वर्ष 2023-24 में सोने की कीमत
अगर हम पिछले दो सालों की बात करें तो 2023-24 में भी सोने की कीमतों में उल्लेखनीय तेजी देखी गई.
2023 में सोने की कीमत में 13% वृद्धि हुई, जो ₹64,460 प्रति 10 ग्राम तक पहुंच गई. यूएस फेड द्वारा ब्याज दरों में कटौती के संकेत, अमेरिकी बैंकिंग संकट और वैश्विक अनिश्चितता के कारण निवेशकों ने इसे सुरक्षित विकल्प माना. केंद्रीय बैंकों ने 800 मीट्रिक टन सोना खरीदा, जिससे इसकी मांग और बढ़ी.
वहीं 2024 में भी सोने की कीमतों में मजबूती देखने को मिली और यह ₹74,350 प्रति दस ग्राम रहा.
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ये फैक्टर्स सोने की कीमतों को कर रहे प्रभावित
- सोना एक ऐसी धातु है, जिसकी कीमत वैश्विक वित्तीय बाजारों से प्रभावित होती हैं. यदि दुनिया भर में सोने की मांग बढ़ती है, तो इसकी कीमत भी बढ़ जाती है. इसके विपरीत, जब सोने की आपूर्ति अधिक होती है, तो कीमतें गिर सकती हैं.
- अस्थिर वित्तीय बाजार या आर्थिक मंदी का डर, युद्ध या अंतरराष्ट्रीय संकट के समय निवेशक जोखिम भरी संपत्तियों से बचते हैं और सुरक्षित विकल्पों की तलाश में सोने की ओर रुख करते हैं.
जैसे रूस-यूक्रेन और इजराइल-हमास संघर्ष के कारण भी हाल के दिनों में सोने की कीमतें बढ़ी हैं. - बता दें कि सोने का व्यापार आमतौर पर अमेरिकी डॉलर (USD) में होता है. अगर डॉलर कमजोर होता है, तो सोना महंगा हो जाता है, जिससे इसकी कीमत बढ़ती है. इसके विपरीत, जब डॉलर मजबूत होता है, तो सोने की कीमतों में गिरावट आती है. सोने की कीमतें कई कारकों से प्रभावित होती हैं, जिनमें मांग-आपूर्ति, निवेश प्रवृत्ति, वैश्विक अस्थिरता और मुद्रा विनिमय दरें शामिल हैं.
वर्तमान में भी, भू-राजनीतिक तनाव और वैश्विक मुद्रास्फीति सोने की कीमत को ऊपर ले जा रहे हैं, जिससे यह आर्थिक अस्थिरता के खिलाफ एक सुरक्षित निवेश बना हुआ है.
1. भूराजनीतिक तनाव:
पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और अमेरिका में ट्रंप के कई कड़े फैसले जैसे टैरिफ प्लान के कारण भारतीय और एशियाई शेयर बाजार में लगातार अस्थिरता बनी हुई है, जिसके कारण निवेशकों ने सुरक्षित निवेश के रूप में सोने और चांदी की ओर रुख किया, जिससे इनकी मांग में वृद्धि हुई.
2. केंद्रीय बैंकों की खरीदारी:
दुनिया भर के केंद्रीय बैंकों, विशेष रूप से चीन के केंद्रीय बैंक, ने अपने स्वर्ण भंडार में वृद्धि की है. चीन के स्वर्ण भंडार में पिछले 15 महीनों से लगातार वृद्धि हो रही है, जो सोने की कीमतों में बढ़ोतरी का एक प्रमुख कारण है.
3. मांग और आपूर्ति का संतुलन:
भारत, चीन और मध्य पूर्व जैसे क्षेत्रों में आभूषणों की मजबूत मांग के कारण सोने और चांदी की कीमतों में वृद्धि हुई है. इसके अलावा, औद्योगिक उपयोग में वृद्धि के कारण चांदी की मांग भी बढ़ी है.
4. मुद्रास्फीति और आर्थिक अनिश्चितता:
वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और मुद्रास्फीति के दबाव के कारण निवेशकों ने सोने और चांदी में निवेश को प्राथमिकता दी है, जिससे इनकी कीमतों में वृद्धि हुई है.
इन सभी कारकों के संयुक्त प्रभाव से पिछले वर्ष की तुलना में सोने और चांदी की कीमतों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है.