ग़ाज़ीपुर में अचानक सपाइयों के निशाने पर क्यों आ गए योगी आदित्यनाथ ?

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बुधवार की सुबह 10.44 मिनट पर समाजवादी पार्टी के ऑफिशियल ट्वीटर हैंडल से सीएम योगी आदित्यनाथ को लेकर ट्वीट किया गया। इस ट्वीट में योगी आदित्यनाथ पर जाति देखकर शहीदों के परिजनों को मुआवजा देने का आरोप लगाया गया। इस ट्वीट के बाद सपाइयों ने सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ सोशल मीडिया पर मोर्चा खोल दिया। अब सवाल ये है की क्या वाकई योगी सरकार में शहीदों की जाति देखकर मुआवजा बांटा जा रहा है ? आखिर समाजवादी पार्टी के ट्वीट में कितनी सच्चाई है ?

ग़ाज़ीपुर के नोनहरा क्षेत्र स्थित चकदाउद गांव के रहने वाले सीआरपीएफ के जवान अश्विनी यादव पिछले दिनों हंदवाड़ा में आतंकियों के साथ हुए मुठभेड़ में शहीद हो गए थे। अश्विनी यादव के साथ बुलंदशहर के रहने वाले जवान आशुतोष शर्मा सहित कुछ अन्य जवान भी वीरगति को प्राप्त हुए थे।

इस तरह उठा विवाद-

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को हंदवाड़ा आतंकी हमले में शहीद सभी जवानों को नमन करते हुए ट्वीट किया। इस दौरान दो और ट्वीट किए गए। एक ट्वीट में उन्होंने बुलंदशहर के जवान आशुतोष शर्मा के प्रति संवेदना व्यक्त करते हुए परिजनों को 50 लाख रुपये मुआवजा और उनके घर तक सड़क बनाने के साथ गांव के मुख्य द्वार पर ‘गौरव गेट’ बनाने की बात की। वहीं दूसरे ट्वीट में उन्होंने गाजीपुर के जवान अश्विनी यादव को याद तो किया लेकिन मुआवजे का जिक्र नहीं किया।

योगी आदित्यनाथ का यही ट्वीट समाजवादी पार्टी के नेताओं को अखर गया। देखते ही देखते सपाइयों ने इसे मुद्दा बना दिया। सुबद 10.44 मिनट पर समाजवादी पार्टी के ऑफिशियल ट्वीटर हैंडल से योगी पर जाति देखकर मुआवजा बांटने आ आरोप लगाया गया। सपा ने योगी के दोनों ट्वीट का स्क्रीन शॉट्स भी लगाया।

CMO ने किया खंडन-

हालांकि इसके कुछ घंटे बाद सीएम दफ्तर की ओर से इन आरोपों का खंडन किया गया। इसमें बताया गया कि राज्य सरकार बगैर भेदभाव के शहीदों को मुआवजा बांटती है। इस ट्वीट में बताया गया कि सभी शहीदों के परिजनों को पहले ही 50 लाख रुपये मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने का एलान किया जा चुका है।

दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर योगी सरकार के खिलाफ चले कैम्पेन का असर ग़ाज़ीपुर में भी देखने को मिला। शहीद को श्रद्धांजलि देने पहुंचे डीएम ओम प्रकाश आर्य ने खुले तौर पर सरकार की ओर से दिए गए मुआवजे का जिक्र किया गया, लेकिन परिजनों को उनकी बातों पर एतबार नहीं था। परिजन जिला प्रशासन से लिखित आश्वासन पर अड़े थे। हालांकि बाद में काफी मान मनौव्वल के बाद परिजन अंतिम संस्कार के लिए राजी हुए।

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