BHU में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का कल उद्घाटन करेंगे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
‘भारतीय गाय, जैविक कृषि एवं पंचगव्य चिकित्सा‘ विषयक अखिल भारतीय संगोष्ठी 21 और 22 सितम्बर को
वाराणसी में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शताब्दी कृषि विज्ञान प्रेक्षागृह में 21- 22 सितम्बर 2024 तक ‘भारतीय गाय, जैविक कृषि एवं पंचगव्य चिकित्सा‘ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी (National Seminar on Indigenous Cow, Organic Farming and Panchagavya Chikitsa) का आयोजन किया गया है. इस संगोष्ठी का उद्घाटन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 21 सितम्बर शनिवार को करेंगे. इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए पूर्व राष्ट्रपति वाराणसी पहुंच चुके हैं. वह बीएचयू परिसर में प्रवास करेंगे.
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राष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन अध्यक्ष एवं आयुर्वेद संकाय, कायचिकित्सा विभाग के विभागाध्क्ष प्रो. के.एन. मूर्ति, आयोजन सचिव प्रो. ओ.पी. सिंह एवं प्रो. सुनंदा पेढेकर ने बताया कि इस संगोष्ठी के दौरान उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, केरल, असोम, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश आदि प्रदेशों से लगभग 300 प्रतिभागी हिस्सा लेंगे और शोध पत्र प्रस्तुत करेंगें. इसके अलावा नेपाल के भी विशेषज्ञ शामिल होंगे. इनमें गो-विज्ञान अनुसंधान केंद्र, देवलापार नागपुर के समन्वयक सुनील मानसिंहका, वैद्य नंदिनी भोजराज, डॉ. संजय वाते, गोविंद वल्लभ पंत कृषि, भारतीय गो.र.सं. के अध्यक्ष प्रो. गुरु प्रसाद सिंह, प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय पंतनगर से डॉ. आर एस चौहान, राज मदनकर और अहमदाबाद के वंशी गिर गोशाला के गोपाल भाई सुतारिया भी शामिल होंगे. साथ ही महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर ए.के. सिंह, परीक्षा नियंता प्रोफेसर सी. के. राजपूत, प्रयागराज से राष्ट्रीय आयुर्वेद विद्यापीठ के राष्ट्रीय गुरु प्रोफेसर जी. एस. तोमर, मुंबई से पंचकर्म विशेषज्ञ प्रोफेसर यू.एस. निगम, भोपाल से पंडित खुशीलाल शर्मा आयुर्वेद महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रोफेसर उमेश शुक्ला, राजकीय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज पपरौला के प्रधानाचार्य एवं डीन प्रोफेसर विजय चौधरी, दिल्ली से प्रोफ़ेसर दिलीप वर्मा, पश्चिम बंगाल से प्रोफेसर सुकुमार घोष, कृषि विशेषज्ञ सिवनी मध्य प्रदेश से डॉक्टर एन.के. सिंह, आई.आई. वी. आर. सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी से डॉक्टर ए.बी. सिंह, ICAR रिसर्च कॉम्प्लेक्स फॉर ईस्टर्न रिसर्च, रांची से डॉक्टर ए. के. सिंह के अलावा लगभग 200 एमडी एवं पीएचडी छात्र अपना शोधपत्र प्रस्तुत करेंगे.
दूध उत्पादन में भारत दुनिया में शीर्ष स्थान पर
उन्होने बताया कि संगोष्ठी का उद्देश्य देशी गाय, गोपालन एवं पंचगव्य चिकित्सा द्वारा जनमानस को होने वाली जीवन शैलीजन्य व्याधियों का उपचार जैसे कैंसर, मधुमेह, अवसाद, रक्तचाप, एलर्जी आदि के उपचार के साथ-साथ जैविक खेती (आर्गेनिक फार्मिंग) पर चर्चा की जायेगी. दूध उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में शीर्ष स्थान पर है. आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020 में वैश्विक स्तर पर सालाना 880 मिलियन टन से अधिक दूध का उत्पादन हुआ था. इसमें से 184 मिलियन टन से अधिक दूध का भारत में हुआ था, जो कुल दूध उत्पादन का सबसे अधिक 22 फीसदी था. दूध उत्पादन के मामले को भारत को विश्व में शीर्ष पर पहुंचाने वाले राज्यों की भूमिका की बात की जाय तो इसमें उत्तर प्रदेश और राजस्थान का नाम सबसे अव्वल है. वर्ष 2000 से 2020 तक देश में कुल दूध उत्पादन में उत्तर प्रदेश का स्थान पहला रहा है, जबकि इन 20 सालों में दूसरे स्थान पर राजस्थान काबिज रहा है. संगोष्ठी के दौरान वंशी गिर गोशाला, अहमदाबाद की गोशाला के गोकृपामृतम उत्पाद का निशुल्क वितरण भी किया जाएगा.
भारतीय नस्ल की गायों का दूध है लाभकारी
पश्चिमी नस्ल की गायों जैसे जर्सी, होल्स्टीन और फ्राइजियन गायों से प्राप्त दूध को A1 दूध कहा जाता है। इस दूध में A1 कैसिइन प्रोटीन पाया जाता है जिस कारण इसका नाम A1 दूध पड़ा है. केसीन प्रोटीन अल्फा और बीटा जैसे प्रोटीन होते हैं. एक बार जो भी इसका सेवन करता है उसे इसकी आदत पड़ सकती है. यह तंत्रिका विकार के लिए भी जिम्मेदार हो सकता है. भारतीय नस्ल की गायें जैसे गंगातीरी, साहीवाल, गिर, लाल सिंधी आदि से प्राप्त किया गया दूध A2 मिल्क की श्रेणी में आता है. इनकी दूध का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन आयुर्वेद संकाय के काय चिकित्सा विभाग एवं गो विज्ञान अनुसंधान केन्द्र देवलापुर, नागपुर (महाराष्ट्र एवं भारतीय गोविज्ञान अनुसंधान केंद्र) के संयुक्त तत्वावधान में किया जा रहा है.