पीएम मोदी ने आज केरल में देश को पहला ट्रांसशिपमेंट हब समर्पित किया. इस पोर्ट का कमर्शियल ऑपरेशन करीब 5 महीने पहले दिसंबर 2024 में शुरू हुआ था. इसी के साथ, केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम के पास स्थित, विझिनजम भारत का पहला डीपवाटर कंटेनर टर्मिनल और देश का पहला ट्रांसशिपमेंट हब बन गया है.
अब सवाल यह है कि यह क्या बला है जिसे ट्रांसशिपमेंट हब कहा जा रहा है. तो बता दें कि ट्रांसशिपमेंट, एक ऐसा बंदरगाह होता है जहां इंटरनेशनल शिपिंग के लिए कार्गो को एक जहाज से दूसरे जहाज में शिफ्ट किया जाता है.
ट्रांसशिपमेंट हब यानि प्रमुख बंदरगाह…
बता दें कि, ट्रांसशिपमेंट हब एक ऐसा प्रमुख बंदरगाह होता है, जहां कार्गो कंटेनरों को उनके फाइनल डेस्टिनेशन तक पहुंचाने के लिए एक जहाज से दूसरे जहाज में ट्रांसफर किया जाता है. बड़े जहाज इन गहरे पानी के बंदरगाहों पर कंटेनर उतारते हैं और फिर कार्गो को छोटे फीडर जहाजों पर ले जाया जाता है जो इसे क्षेत्रीय बंदरगाहों तक पहुंचाते हैं, जहां बड़े जहाजों को नहीं ले जाया जा सकता.
क्या होंगे इसके फायदे…
भारत के केरल में तैयार हुए पहले ट्रांसशिपमेंट हब का मुख्य उद्देश्य कोलंबो, सिंगापुर और दुबई जैसे विदेशी बंदरगाहों पर भारत की निर्भरता को कम करना है. वर्तमान में, भारत अपने लगभग 75% ट्रांसशिपमेंट कार्गो के लिए कोलंबो, सिंगापुर और दुबई जैसे विदेशी बंदरगाहों पर निर्भर है. लेकिन केरल में बने इस ट्रांसशिपमेंट हब से न सिर्फ भारत की दूसरे देशों पर निर्भरता कम होगी बल्कि ट्रांसशिपमेंट लागत में सालाना 200-400 मिलियन डॉलर की बचत भी होगी.
Adani ग्रुप कर रहा निवेश…
बता दें कि, Vizhinjam Port का निर्माण साल 2015 में शुरू हुआ था. इसे कई चरण में बनाया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट का पहला चरण पहले से चालू है लेकिन कहा जा रहा है कि प्रोजेक्ट के बाकि स्टेज 2028 के अंत तक तैयार होंगे. इसे केरल सरकार और अडानी ग्रुप द्वारा मिलकर तैयार किया जा रहा है. इस पोर्ट को PPP के तहत तैयार किया जा रहा है. इस प्रोजेक्ट में अभी तक 5000 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है और मैनेजिंग डायरेक्टर करण अडाणी ने हाल ही में इस प्रोजेक्ट में 20,000 करोड़ रुपये और निवेश करने की योजना की घोषणा की है.
कितने रुपयों में तैयार होगा ट्रांसशिपमेंट हब
गौरतलब है कि पीएम मोदी ने बताया कि इस बंदरगाह का निर्माण 8,800 करोड़ रुपये की लागत से किया गया है. आने वाले समय में इसके ट्रांसशिपमेंट हब की क्षमता तीन गुनी हो जाएगी. इस पोर्ट पर दुनिया के बड़े मालवाहक जहाज बड़ी आसानी से आ सकेंगे. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि यह बंदरगाह गेम चेंजर साबित होगा. इस बंदरगाह के बनने से विंझिजम और केरल के लोगों के लिए नए आर्थिक अवसर पैदा होंगे. साथ ही देश का पैसा अब देश के काम आएगा.
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कोलंबो, सिंगापुर को देगा टक्कार…
कहा जा रहा है कि विंझिजम इंटरनेशनल बंदरगाह भारत का पहला मेगा ट्रांसशिपमेंट कंटेनर टर्मिनल है. यह बंदरगाह भारतीय उपमहाद्वीप में एकमात्र ट्रांसशिपमेंट हब है, जो अंतरराष्ट्रीय शिपिंग मार्गों के सबसे करीब है. भारत के दक्षिणी सिरे पर स्थित होने के कारण यह,कोलंबो, सिंगापुर और मध्य पूर्व के बंदरगाहों के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकता है.
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विंझिजम बंदरगाह की गहराई 18 से 20 मीटर है, जो मेगा कंटेनर जहाजों के लिए उपयुक्त है. पहले चरण में यह 1 मिलियन टीईयू (ट्वेंटी-फुट इक्विवेलेंट यूनिट) कंटेनरों को संभालेगा और पूरा होने पर यह 6.5 मिलियन टीईयू तक की क्षमता तक पहुंच जाएगा.
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