Explainer : PMLA एक्ट के अधीन हई GST, अब GST मामलों में भी ED देगी दखल
केंद्र सरकार ने कर चोरी को रोकने के लिए एक नया फरमान जारी कर दिया है। अब केंद्र सरकार ने गुड्स एंड सर्विसेट टैक्स नेटवर्क (GSTN) को PMLA के तहत लाने का फैसला किया है। केंद्र सरकार के इस आदेश के बाद अब जीसएटी पर ईडी का कब्जा रहेगा। यानी अब जीएसटी से जुड़े सभी मामलों में ईडी सीधा दखल दे सकेगी। अब ईडी के पास जीएसटी चोरी करने वालों फर्म, व्यापारी या संस्था के खिलाफ सीधे कार्रवाई करने का अधिकार होगा। ऐसे में यह जानना सभी के लिए आवश्यक है कि PMLA एक्ट क्या है और कैसे जीएसटी इसके अधीन होने पर ईडी का हस्तक्षेप करना कानून कहलाएगा।
PMLA एक्ट के अधीन हुआ GSTN
लंबे समय से सभी तरह की कर चोरी की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार नए-नए पैंतरे अपनाती रही है। गुड्स एंड सर्विसेट टैक्स नेटवर्क (GSTN) इसी विचारधारा की देन है। मगर जीएसटी लागू होने के बाद भी इनडायरेक्ट टैक्स और कस्टम टैक्स चोरी को रोक पाने में सरकरा पूरी तरह से सफल नहीं हो पाई है। वहीं अब केंद्र सरकार ने कर चोरी को रोकने के लिए जीएसटी नेटवर्क को PMLA एक्ट के अधीन करने का फैसला किया है। केंद्र सरकार की ओर से इसकी अधिसूचना भी जारी कर दी गई है।
जीएसटी पर होगा ED का कब्जा
केंद्र सरकार की इस अधिसूचना के अनुसार, अब GSTN को PMLA एक्ट के तहत लाया जाएगा। जिसके बाद जीएसटी नेटवर्क के डाटा की पूरी सूचना ईडी को दी जाएगी। यहां यह जानना जरूरी है कि ईडी जीएसटी का डाटा किस अधिनियम के तहत अपने पास रखेगी। दरअसल, अधिसूचना पीएमएलए की धारा 66(1)(iii) के तहत ED और GSTN के बीच जानकारी साझा की जाएगी। पीएमएलए का अनुच्छेद 66- 1 और 66- 3 में यह ईडी को मनी लॉन्ड्रिंग की जांच का अधिकार है। ऐसे में जब जीएसटी नेटवर्क को पीएमएलए एक्ट के अंतर्गत लाया जा रहा है तो सीधे तौर पर अब ईडी को जीएसटी नेटवर्क का पूरा डाटा शेयर किया जाएगा। जिससे ईटी जीएसटी पर सीधा दखल करने का अधिकार रखेगी।
क्या है PMLA एक्ट
मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने और इसमें शामिल संपत्ति को जब्त करने के लिए प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग कानून (Prevention of Money Laundering Act) को तैयार किया गया था। इसके तहत सरकार गैरकानूनी तरीके से कमाए गए संपत्तियों को जब्त करने का अधिकारी रखती है। साल 2002 में PMLA कानून को पारित किया गया था। हालांकि धन शोधन निवारण अधिनियम या प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) को 1 जुलाई 2005 को लागू किया गया। अवैध स्रोत से आय/मुनाफे को वैध बनाने के आपराधिक अपराध के खिलाफ लड़ने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) बनाया गया था। धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 सरकार या सार्वजनिक प्राधिकरण को अवैध रूप से अर्जित आय से अर्जित संपत्ति को जब्त करने में सक्षम बनाता है।
क्यों बना था PMLA एक्ट
पीएमएलए को आतंकी फंडिंग और नशे के पदार्थों की तस्करी से निपटने के लिए लाया गया था। मनीकंट्रोल के मुताबिक, जीएसटीएन के तहत बहुत संवेदनशील जानकारी होती है, जिसके तहत जांच में सहायता हो सकती है। एक्सपर्ट ने कहा कि ईटी को इससे जांच में ज्यादा मदद मिल सकेगी। अधिसूचना अब जीएसटीएन और ईडी दोनों के बीच जानकारी या अन्य चीजों को शेयर करने की सुविधा देगी।
PMLA एक्ट जुड़े प्रमुख बिंदु :
- 1998 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा नशीली दवाओं के पैसे की गंभीर चिंता का मुकाबला करने के लिए PMLA को पारित किया गया था।
- पीएमएलए को अब धन विधेयक के रूप में संशोधित किया गया है।
- PMLA सीआरपीसी की तुलना में उच्च सुरक्षा उपायों पर विचार करता।
- विधेय अपराध में बरी होने से PMLA कार्यवाही स्वतः समाप्त नहीं होती है।
- PMLA के तहत केवल ‘अपराध की आय’ को वैध बनाना अपराध है।
- पीएमएलए को अब ‘साधारण अपराधों’ पर भी लागू किया जा रहा है।
- पीएमएलए के तहत वाणिज्य के लिए जांच केवल विधेय अपराध के बाद ही स्थापित होती है।
ED का बढ़ेगा दायरा
गौरतलब है कि जीएसटी को पीएमएलए एक्ट के तहत लाने के बाद ईडी का दायरा बढ़ जाएगा। ईडी के पास डायरेक्ट टैक्स चोरी के साथ-साथ इनडायरेक्ट टैक्स और कस्टम टैक्स चोरी को रोकने का भी जिम्मा होगा। जीएसटी नेटवर्क का पूरा ब्यौरा अब ईडी के पास भी होगा। जिससे कर चोरी को आसानी से रोका जा सकेगा। इस साल की एक रिपोर्ट में पाया गया था कि 2017 से बढ़कर टैक्सपेयर की संख्या दोगुनी हुई है। अभी करीब 1.4 करोड़ टैक्सपेयर्स हैं। वहीं एवरेज मंथली राजस्व भी 2017-18 में लगभग 90,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 1.69 लाख करोड़ रुपये हो चुका है। ऐसे में यह माना जा सकता है कि कर चोरी के मामलों को जीएसटी नेटवर्क से भी नहीं रोका जा सका है। जिसकी वजह से केंद्र सरकार ने कर चोरी को रोकने के लिए जीएसटी नेटवर्क को सीधे तौर पर ईडी के हाथ में देने का फैसला किया है।
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