यूपी के कई गांवों में आज भी नेटवर्क फेल, छत या पेड़ों पर रखते हैं मोबाइल, टेलीकॉम के दावे खोखले

0

मोदी सरकार के एजेंडे की राह पर चल रहे उत्तर प्रदेश में डिजिटलाइजेशन पर अधिक बल दिया जा रहा है। इस बाबत प्रदेश के पश्चिमी व मध्यांचल से एक रिपोर्ट आई है। जिसने यूपी के डिजिटलाइजेशन के दावों को खोखला साबित कर दिया है। एक ओर तो सरकार 5जी नेटवर्क की बात कर रही है। वहीं दूसरी ओर कई जगहों पर पुराना नेटवर्क भी नहीं मिल रहा। रिपोर्ट में बताया गया है कि कई गांवों तक आज भी मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध नहीं हो पा रहा है। टेलीकॉम कंपनियों के लाख स्कीमों के बाद भी इन गांवों में मोबाइल नेटवर्क का एक भी टावर नहीं लगा है। ऐसे में यहां के लोग नेटवर्क के लिए कहीं छत पर तो कभी बाहर पेड़ों की टहनियों में मोबाइल रखते हैं। ये हाल किसी एक या दो गांवों का नही है बल्कि कई गांवों का है।

डिजिटल युग में हवा के भरोसे नेटवर्क

मध्यांचल यूपी के कई गांवों में भी मोबाइल नेटवर्क दूर-दूर तक दिखाई नहीं देते हैं। डिजिटल क्रांति का युग आज भी लोगों के लिए एक सपना है। मोबाइल नेटवर्क की तलाश में लोग पेड़ों पर फोन लटका कर हवा चलने का इंतजार करते हैं। जिससे कि मोबाइल में नेटवर्क आ सके और वह अपने सगे संबंधियों से बात कर उनका हाल चाल जान सके। आपात स्थिति में 5-जी के दौर में यह लोग भगवान भरोसे हैं।

इन गांवों में ऑफ हो जाते हैं मोबाइल

उत्तर प्रदेश के मध्यांचल भाग में बसे उन्नाव, रायबरेली जैसे जिलों के गांवों में मोबाइल के टावर ढूंढने से भी नहीं मिलेंगे। लोग अपने घरों से एक से दो किमी दूर क्षेत्र में जाकर नेटवर्क तलाशते हैं और संबंधियों से बातचीत व अन्य जरूरी कार्य करते हैं। उन्नाव के भगवंतनगर, इबराहिमपुर, देवगांव, बधिया, पुरवा गांव में मोबाइल पर इंटरनेट सेवा तो छोड़िये कॉल के लिए भी छत पर बैठना पड़ता है। नो नेटवर्क की बात करें तो बीएसनएल और एयरटेल का सबसे बुरा हाल है। गांवों में प्रवेश करते ही मोबाइल फोन मानो स्विच ऑफ ही हो जाता है। यहां मोबाइल का होना और न होना एक ही है।

पश्चिमी गांवों में दूर-दूर तक नहीं नेटवर्क

वहीं, पश्चिमी यूपी के सात जिलों के करीब 78 गांव ऐसे हैं, जहां किसी भी मोबाइल कंपनी का नेटवर्क नहीं है। प्रदेश के इन गांवों में किसी निजी मोबाइल कंपनी का भी नेटवर्क उपलब्ध नहीं होने की बात सामने आई है। गांवों में मोबाइल नेटवर्क उपलब्ध नहीं होने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। लोग मोबाइल चलाने के लिए घरों से दूर जाकर हवा के सहारे नेटवर्क तलाशते हैं। नंगला, बेहट,नकुड़, देवबंद, सरसावा, मवाना जैसे गांवों में मोबाइल फोन में बिलकुल भी नेटवर्क नही आता है।

बीएसएनल ने उठाया टावर लगाने का बीड़ा

अब बीएसएनएल ने इन गांवों को 4जी नेटवर्क उपलब्ध कराने का बीड़ा उठाया है। दिसंबर 2023 तक 4जी सेवा उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय करते हुए टावर लगाने का काम शुरू हो गया। बीएसएनएल पश्चिमी यूपी परिमंडल के अधिकारियों ने प्रस्ताव तैयार किया।

इन गावों में लगेंगे मोबाइल टावर

लेकिन इस प्रस्ताव में भी केवल मेरठ का एक गांव मवाना का खानपुर गढ़ी, सहारनपुर जिले के नंगला, बेहट,नकुड़, देवबंद, सरसावा आदि इलाकों के 37 गांव, बिजनौर के धामपुर और नगीना क्षेत्र के 17 गांव ही शामिल किए गए हैं। साथ ही आगरा जिले के 5 गांव, पीलीभीत जिले के 8 गांव, औरैय्या जिले के 3 गांव, रामपुर जिले के 2 गांव भी शामिल किए गए हैं। इसके अलावा बीएसएनल ने दावा किया है कि जल्द ही कुछ और क्षेत्रों में 4जी नेटवर्क उपलब्ध कराएगा।

 

Also Read : दिल्ली में सेंट्रल विस्टा पर सियासी जंग, ‘प्रधानमंत्री नहीं राष्ट्रपति करें उद्घाटन!’

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. AcceptRead More