कर्नाटक सरकार के फैसले से नाखुश कर्मचारी, 12 घंटे करना होगा काम

Karnataka Government: एक तरफ दुनिया 4 दिन के वर्किंग कल्चर को अपनाना चाहती है तो दूसरी ओर काम के घंटों को कम करके कर्मचारियों को तनाव में डालने की चर्चा हो रही है. कुछ ऐसा ही कर्नाटक की सरकार उठाने जा रही है. मुख्यमंत्री सिद्धारमैया प्राइवेट कर्मचारियों के लिए एक मुसीबत बनने जा रही है. जी हां, कर्नाटक शॉप्स एंड कमर्शियल एस्टेब्लिशमेंट्स एक्ट के अनुसार, 1961 में संशोधन करने का कर्नाटक सरकार एक बड़ा फैसला लेने जा रही है.

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इस फैसले के तहत राज्य में ऑफिस कार्य 9 घंटे से बढ़कर अब 12 घंटे हो सकते हैं. जहां सरकार का मानना है कि इससे प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी. हालांकि, कर्नाटक सरकार का ये फैसला कर्मचारी संगठन को जरा भी भां नहीं रहा है. जिसका संगठन खुलकर विरोध कर रहा हैं. कर्मचारियों के इस परेशानी पर केआईटीयू का कहना है कि इससे वर्कफोर्स कम होगा, लेकिन कर्मचारियों पर हद से ज्यादा तनाव बढ़ेगा.

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कर्मचारियों को नहीं भां रही 12 घंटे की नौकरी

दरअसल, कर्नाटक सरकार ये चाहती है कि राज्य में काम करने वाले सभी कर्मचारी अब 12 घंटे तक ऑफिस में काम-काज करें. जिसको लेकर सीएम सिद्धारमैया अपनी तैयारियों में जुटे हुए है. बता दें, कर्नाटक राज्य आईटी/आईटीईएस कर्मचारी संघ यानी केआईटीयू ने इस कदम का विरोध जताया है. जिसे लेकर श्रम विभाग की बैठक की गई. इस बैठक के दौरान ट्रेड यूनियनों ने प्रस्ताव के विरोध में अपनी बात रखते हुए कहा कि, हालांकि इस फैसले से एक तिहाई वर्कफोर्स समाप्त हो जाएगा, लेकिन इससे भी बड़ी बात तो ये है कि कर्मचारियों पर कई गुना तनाव होगा.

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कर्मचारियों से एकजुट होने की अपील

केआईटीयू ने स्टेट इमोशनल वेलबीइंग रिपोर्ट 2024 का हवाला देते हुए कहना है कि, सिद्धारमैया के फैसले से 25 वर्ष से कम आयु के 90 प्रतिशत कॉर्पोरेट कर्मचारी चिंता से पीड़ित हैं, इस पर विचार करने के बजाय कर्नाटक सरकार कर्माचरियों को छोड़कर कॉर्पोरेट मालिकों को खुश करने में लगी है. जिसके चलते ट्रेन यूनियनों ने लोगों से प्रस्ताव के खिलाफ एकजुट होने का आग्रह किया है. ताकि राज्य की इस सरकार को इसे जारी करने से रोका जा सकें.

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