क्या बोर्ड में चार्जर लगा छोड़ देने से खर्च होती है बिजली? 100 में 90 लोग है अनजान
आज के समय में हमारे जीवन में मोबाइल फोन की जरुरत काफी बढ़ गयी है. वहीं फोन चार्ज न रहे तो वह किसी डिंब्बे से कम नहीं है. आज के समय में स्मार्टफोन के बीना कुछ कल्पना करना मुमकिन नहीं है. आज फोन एंटरटेनमेंट के साथ-साथ हमारी जरुरत बन गया है. जब भी हमें कहीं बहार जाना होता है तो हम ये जरूर से चेक करते है कि हमारे फोन की बैटरी चार्ज है या नहीं, यही वजह है कि हम में कई लोगों को फोन को हर समय चार्ज पर लगा देने की भी आदत हो जाती है.
हम में से अक्सर 99% लोग फोन को चार्ज करने के बाद उसे निकाल तो लेते है लेकिन अपने चार्जर को वैसे ही बोर्ड में लगा हुआ छोड़ देते है. आप खुद ही सोचिए कि ऐसे कितने लोग होंगे जो फो न को पहले चार्जर से निकालते हैं, फिर चार्जर भी स्विच बोर्ड से निकाल कर अलग रखते हैं.
जी हां, यकीनन न के बराबर ही लोग होंगे जो कि ऐसा करते होंगे. एनर्जी सेविंग ट्रस्ट के मुताबिक, प्लग-इन किया गया कोई भी स्विच ऑन चार्जर बिजली का इस्तेमाल करेगा. भले ही डिवाइस कनेक्टेड हो या न हो. इससे उत्पादित बिजली की मात्रा में केवल कुछ यूनिट खर्च होते हैं, लेकिन यह चार्जर के लाइफ को धीरे-धीरे कम कर देता है.
फोन बैटरी की लाइफ भी खुद ही खराब करते हैं लोग: फोन को बार-बार चार्ज करने से इसके बैटरी की लाइफ पर असर पड़ता है. यही वजह है कि फोन बैटरी के लिए 40-80 रूल को फॉलो करने के लिए कहा जाता है. ऑप्टिमाइज़ बैटरी लाइफ के लिए, आपका फोन कभी भी 40 प्रतिशत से कम या 80% से ज़्यादा नहीं होना चाहिए.
कई बार लोग फोन को अलग-अलग चार्जर से चार्ज कर लेते हैं. लेकिन ये किसी भी बैटरी के लिए सही नहीं होता है, और हमें सलाह दी जाती है कि फोन को हमेशा ओरिजिनल चार्जर से ही चार्ज करना चाहिए.
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