तिरुपति बालाजी मंदिर: 37 वर्ष पहले भगवान वैंकटेश्वर पर आज ही चढ़ा था हीरा जड़ित मुकुट, अब भी है विराजमान

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वैसे तो भारत में कई चमत्कारिक और रहस्यमयी मंदिर हैं, उनमें से एक दक्षिण भारत में स्थित भगवान तिरुपति बालाजी का मंदिर भी है. यह मंदिर भारत समेत दुनियाभर में प्रसिद्ध है. यह मंदिर भारतीय वास्तु कला और शिल्प कला का उत्कृष्ट उदाहरण है. तिरुपति बालाजी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है. तिरुपति बालाजी का वास्तविक नाम श्री वेंकटेश्वर स्वामी है. एक रोचक बात ये भी है कि वर्ष 1985 में तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान वैंकटेश्वर को 5.2 करोड रुपये की कीमत वाला हीरा जड़ित मुकुट चढ़ाया गया था, जोकि आज भी विराजमान है. 20 दिसंबर से इस मुकुट को 37 वर्ष पूरे हो चुके हैं.

Tirupati Balaji Temple Lord Sri Venkateswara

 

इस मंदिर की कई सारी रहस्यमयी बातें हैं जो शायद आप नहीं जानते होंगे. तो आइये जानते हैं मंदिर के बारे में.

तिरुपति बालाजी मंदिर आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में तिरुमला पर्वत पर स्थित है और यह भारत के मुख्य तीर्थ स्थलों में से एक है. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, भगवान श्री वेंकटेश्वर अपनी पत्नी पद्मावती के साथ तिरुमला में निवास करते हैं.

मान्यता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान वेंकटेश्वर के सामने प्रार्थना करते हैं, उनकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं. भक्त अपनी श्रद्धा के मुताबिक, यहां आकर तिरुपति मंदिर में अपने बाल दान करते हैं.

ऐसा बताया जाता है कि भगवान वेंकटेश्वर स्वामी जी की मूर्ति पर जो बाल लगे हैं वो असली हैं. यह बाल कभी भी उलझते नहीं हैं और हमेशा मुलायम रहते हैं. मान्यता है कि यहां भगवान खुद विराजमान हैं.

 

Tirupati Balaji Temple Lord Sri Venkateswara

 

जब मंदिर के गर्भ गृह में प्रवेश करेंगे तो ऐसा लगेगा कि भगवान श्री वेंकेटेश्वर की मूर्ति गर्भ गृह के मध्य में है. लेकिन आप जैसे ही गर्भगृह के बाहर आएंगे तो चौंक जाएंगे क्योंकि बाहर आकर ऐसा प्रतीत होता है कि भगवान की प्रतिमा दाहिनी तरफ स्थित है. अब यह सिर्फ भ्रम है या कोई भगवान का चमत्कार इसका पता आज तक कोई नहीं लगा पाया है.

ऐसी मान्यता है कि भगवान के इस रूप में मां लक्ष्मी भी समाहित हैं जिसकी वजह से श्री वेंकेटेश्वर स्वामी को स्त्री और पुरुष दोनों के वस्त्र पहनाने की परंपरा है. तिरुपति बाला मंदिर में भगवान वेंकटेश्वर की प्रतिमा अलौकिक है. विशेष पत्थर से बनी यह प्रतिमा इतनी जीवंत है कि ऐसा प्रतीत होता है जैसे भगवान विष्णु स्वयं यहां विराजमान हैं. भगवान की प्रतिमा को पसीना आता है, पसीने की बूंदें देखी जा सकती हैं, इसलिए मंदिर में तापमान कम रखा जाता है.

 

श्री वेंकेटेश्वर स्वामी के मंदिर से 23 किलोमीटर की दूरी पर एक गांव है जहां गांव वालों के अलावा कोई बाहरी व्यक्ति प्रवेश नहीं कर सकता. इस गांव लोग बहुत ही अनुशासित हैं और नियमों का पालन कर जीवन व्यतीत करते हैं. मंदिर में चढ़ाया जाने वाला पदार्थ जैसे की फूल, फल, दही, घी, दूध, मक्खन आदि इसी गांव से आते हैं.

 

Tirupati Balaji Temple Lord Sri Venkateswara

 

गुरुवार को भगवान वेंकेटेश्वर को चंदन का लेप लगाया जाता है जिसके बाद अद्भुत रहस्य सामने आता है. भगवान का श्रृंगार हटाकर स्नान कराकर चंदन का लेप लगाया जाता है और जब इस लेप को हटाया जाता है तो भगवान वेंकेटेश्वर के हृदय में माता लक्ष्मी जी की आकृति दिखाई देती है.

श्री वेंकेटेश्वर स्वामी मंदिर में एक दीया हमेशा जलता रहता है और सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस दीपक में कभी भी तेल या घी नहीं डाला जाता. यहां तक कि यह भी पता नहीं है कि दीपक को सबसे पहले किसने और कब प्रज्वलित किया था.

भगवान वेंकेटेश्वर की प्रतिमा पर पचाई कपूर लगाया जाता है. कहा जाता है कि यह कपूर किसी भी पत्थर पर लगाया जाता है तो पत्थर में कुछ समय में दरारें पड़ जाती हैं. लेकिन भगवान बालाजी की प्रतिमा पर पचाई कपूर का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है. उनकी प्रतिमा पर कान लगाकर सुनें तो समुद्र की लहरों की ध्वनि सुनाई देती है. यह भी कहा जाता है कि भगवान की प्रतिमा हमेशा नम रहती है.

Tirupati Balaji Temple Lord Sri Venkateswara

मंदिर में मुख्य द्वार के दरवाजे पर दाईं तरफ एक छड़ी है. इस छड़ी के बारे में मान्यता है कि बाल्यावस्था में इस छड़ी से ही भगवान वेंकेटेश्वर की पिटाई की गई थी जिसकी वजह से उनकी ठुड्डी पर चोट लग गई थी. तब से आज तक उनकी ठुड्डी पर शुक्रवार को चंदन का लेप लगाया जाता है, ताकि उनका घाव भर जाए.

 

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