डेरी को भी है Climate Change का ख़तरा

Dairy Products भारत के उपभोक्ताओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, इतना ही नहीं बल्कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा इन प्रोडक्ट्स पर निर्भर है।

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भारत में डेरी और पशु-आधारित उत्पादों के लिए पशुओं की वजह से 15 करोड़ किसानों को रोज़गार मिला। Dairy Products भारत के उपभोक्ताओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है, इतना ही नहीं बल्कि आबादी का एक बड़ा हिस्सा इन प्रोडक्ट्स पर निर्भर है। GDP में डेयरी क्षेत्र की हिस्सेदारी 4.2 प्रतिशत है।

कभी दूध की कमी से जूझता था भारत-

जी हां कई सालों पहले भारत दूध की कमी से परेशान रहता था। लेकिन आज का भारत तमाम देशों के लिए मिसाल बनता जा रहा है। आनंद मॉडल (अमूल), जिसे पूरे देश में सराहा गया है। उसने दूध उत्पादन को बढ़ावा दिया और डेरी को भारत में कृषि के बाद दूसरा सबसे बड़ा रोजगार क्षेत्र बना दिया। लेकिन उसके बावजूद कुछ कारणों ने बरपाया है इस इंडस्ट्री पे अपना कहर।

क्यों सुर्ख़ियों में है यह इंडस्ट्री?-

Nestle SA और Danone SA जैसी मल्टीनेशनल कंपनी पर आरोप लगाया जा रहा है कि इनकी डेरी Water Intensive है जिससे ग्राउंडवाटर पर ज्यादा दबाव पड़ रहा है। ऐसा उन प्रदेशों में हो रहा है जहां पर गेहूं की खेती सबसे ज्यादा की जाती है जैसे पंजाब।

कितनी स्वस्थ है डेरी-

सदियों से, हिंदू परंपरा में गाय के पवित्र महत्व के अलावा, सदियों पुरानी पारंपरिक ज्ञान द्वारा निर्देशित, हल्दी दूध, देसी घी और गोमूत्र को कई बीमारियों के लिए रामबाण माना गया है। दूध, घी, पनीर और दूध आधारित मिठाइयां और उत्पाद भारतीय तालू का एक अविभाज्य अंग रहे हैं।

डेरी की Ecological Footprint-

dairy climate change

भारत हो रहे है ग्रीनहाउस गैस एमिशन का 16 पर्सेंट डेरी फ़ार्मिंग से आता है। आश्चर्य वाली बात ये है कि जब-जब कोई भी जानवर बेकार चारे को खाकर डकार लेता है उससे भी एमिशन बढ़ते है।

डेरी में पानी का बहुत ज़्यादा उपयोग होता है, जिससे फ़्रेश्वॉटर के ऊपर और बोझ बढ़ता जा रहा है। 3 पर्सेंट फ़्रेश्वॉटर धरती पर है जिसमें से सिर्फ़ 1.2 पर्सेंट ही इस्तेमाल किया जा रहा है।

मानव और पशु जनसंख्या वृद्धि में के कारण भारत तेजी से जल-तनावग्रस्त होता जा रहा है। भारत अपने साथियों की तुलना में अपनी प्रमुख खाद्य फसलों को उगाने के लिए अक्षम रूप से दो-तीन गुना अधिक पानी का उपयोग करता है। एक सामान्य क्रॉसब्रेड गाय प्रति दिन लगभग 1,100 लीटर की खपत करती है।

स्थिति और खराब होने की संभावना-

आने वाले वर्षों में स्थिति और खराब होने की संभावना है। डेयरी उत्पादक इस क्षेत्र के climate change को अनदेखा नहीं कर सकते। उन्हें डेयरी उत्पादों के लिए पौधों पर आधारित मानव खाद्य विकल्पों के उत्पादन को सक्रिय रूप से बढ़ाने की आवश्यकता है।

15 करोड़ की आजीविका दांव पर लगी है, नीति निर्माताओं को विस्थापित लोगों के लिए वैकल्पिक रोजगार के अवसरों की पहचान करने की आवश्यकता होगी। बड़े पैमाने पर सामाजिक वानिकी ग्रह पर सकारात्मक परिणामों के साथ इस गिरावट को दूर करने का एक जवाब हो सकता है।

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