कोरोना का गांवों में कहर, मीडिया कवरेज शहरों तक सिमटी

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पूरा देश इस समय कोरोना की चपेट में है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने एक बार कहा था कि असली भारत गांवों में बसता है। ये वो दौर था, जब गांवों को भारत की आत्मा कहा जाता था। साल 1971 में एक फिल्म भी आई थी, जिसका नाम था ‘मेरा गांव, मेरा देश’। इस फिल्म में गांव की आशाओं और निराशाओं को दिखाया गया।  

भारत में लगभग 6 लाख 50 हजार गांव हैं, जिनमें लगभग 90 करोड़ लोग रहते हैं, और 45 करोड़ लोग शहरों में रहते हैं। यानी हमारे देश की आधी से भी ज्यादा आबादी गांवों में रहती है, जो अब तक कोरोना से बची हुई थी। लेकिन अब ये संक्रमण उन तक भी पहुंच गया है, और ये स्थिति अच्छी नहीं है।

भारत के गांवों की क्या स्थिति है ? पहले कुछ तस्वीरें देख लिजिए।

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यह तस्वीर उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले की हैं…जहां एंबुलेंस में एक मरीज को अस्पताल लाया गया, लेकिन अस्पलात में ताला लगा हुआ था। इलाज के अभाव में मरीज की मौत हो गई ऐसा परिजनों ने आरोप लगाया है।

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अब दूसरी तस्वीर देखिए…

यह तस्वीर यूपी के ही बरेली जिले की क्यारा ब्लॉक के क्यारा गांव की है…दैनिक जागरण में छपी रिपोर्ट की मानें तो इस गांव में 40 फीसदी घरों में लोग बीमार हैं, बीते आठ दिनों में गांव के 20 लोगों ने दम तोड़ दिया है।

तीसरी तस्वीर देखिए…

यह तस्वीर गोरखपुर स्थिति बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज का है। मृतक के भाई का आरोप है कि स्ट्रेचर नहीं मिलने पर अपने भाई को कंधे पर लाद कर ले गया लेकिन तब तक वो दम तोड़ दिया था।

अब चौथी, पांचवी और छठी तस्वीर देखिए…

ये तीनों तस्वीरें आज तक में छपी रिपोर्ट है…इन रिपोर्टों की मानें तो बीते 10 दिनों में गौतमबुद्धनगर में 50 से ज्यादा ग्रामीण लोगों की कोरोना से मौत हो गई। देवरिया के गांवों में 15 दिन के भीतर 32 मौतें, रायबरेली के सुल्तानपुर खेड़ा गांव में एक दो नहीं बल्कि 17 लोगों ने दम तोड़ दिया…बताया जा रहा है इन सब में कोरोना के लक्ष्ण थे।

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अब सातवी तस्वीर देखिए…

ये तस्वीर मध्य प्रदेश के आगर मलवा जिले की है…जहां खेत में कोरोना मरीजों का इलाज हो रहा है।

बिहार में बहार है, नीतेशे कुमार हैं वाले राज्य में भी बहार नहीं है…वहां के हालात भी बहुत अच्छी नहीं है। मुंगेर जिले के एक गांव में नो एंट्री कर दिया गया हैं ग्रामीणों द्वारा, क्योंकि पड़ोसी गांव में 12 लोगों की जान चली गई है।

दरअसल, हम धीरे-धीरे गांवों को भूल गए। क्योंकि सत्ता का जो केंद्र था, वो शहरों में था। मीडिया का केंद्र भी शहरों में था। आज भी हमारे देश का मीडिया शहरों की खबरें दिखाता है, और क्षेत्रीय मीडिया राज्यों की राजधानियों तक सीमित रहता है। हमारे देश के राय बनाने वाले भी शहरों में रहते हैं। सारे सेलेब्रिटी और फिल्म स्टार का घर भी शहरों में होता है। शायद इसीलिए हमारे देश की पूरी व्यवस्था शहरों तक सीमित है। मीडिया कवरेज भी शहरों तक सिमटी हुई है।

कोरोना काल में भी आज सब शहरों की बात कर रहे हैं, लेकिन कोई ये नहीं पूछ रहा कि गांवों में क्या हो रहा है? क्योंकि हमारे गांव तो बहुत पीछे छूट गए हैं। गांवों में दवाओं की कालाबाजारी शुरु हो गई है…कोरोना में खाए जाने वाली दवाईयों की भारी किल्लत हो रही है।

इस समय भारत में कुल पॉजिटिव मरीजों की संख्या 2 करोड़ 30 लाख है, जिनमें से अनुमान है कि लगभग 80 प्रतिशत मरीज बड़े शहरों में रहने वाले हैं। 18 से 19 प्रतिशत छोटे शहरों में हैं और एक प्रतिशत से भी कम गांवों में हैं। अब अगर गांवों में भी संक्रमण शहरों की तरह फैल जाता है तो आशंका है कि इससे करोड़ों लोग प्रभावित होंगे और ये आंकड़ा अच्छा नहीं होगा।

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