संसद नहीं संविधान है सर्वोच्चः जस्टिस गवई

Justice Gavai: 14 मई को जस्टिस बी.आर गवई देश के अगले प्रधान न्यायाधीश बनने जा रहे हैं. इसके पूर्व रविवार को गवई ने पहलगाम आतंकी हमले की घटना पर शीर्ष अदालत की ओर से बयान जारी करने के लिए एक बैठक भी बुलाई. इस दौरान मनोनीत सीजेआई ने कहा कि जब देश संकट में हो तो उच्चतम न्यायालय अलग नहीं रह सकता. हम भी देश का हिस्सा हैं. इस दौरान उन्होंने संसद और न्यायालय में कौन सर्वोच्च है पर भी अपनी राय दी है. उन्होंने कहा कि, संसद नहीं संविधान सर्वोच्च है.

14 मई को लेंगे CJI की शपथ…

बता दें कि, जस्टिस गवई 14 मई को देश के अगले CJI के रूप में शपथ लेंगे और वह इस पद पर पहुंचने वाले पहले बौद्ध होंगे. गवई देश के 52 वें मुख्य न्यायधीश के रूप में शपथ लेंगे.

हम भी हैं देश का हिस्सा

जस्टिस गवई ने कहा, ‘जब देश संकट में हो तो उच्चतम न्यायालय अलग नहीं रह सकता. हम भी देश का हिस्सा हैं. राजनीतिक नेताओं और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस बयान के बारे में पूछे गए सवालों के जवाब में कि संसद सर्वोच्च है, उन्होंने कहा, ‘संविधान सर्वोच्च है. जानकारी भी दी कि केशवानंद भारती मामले में 13 न्यायाधीशों की पीठ ने भी यही कहा है.

सेवानिवृत्ति के बाद नहीं लूंगा कोई पदः जस्टिस गवई

न्यायाधीशों द्वारा सेवानिवृत्ति के बाद राज्यपाल जैसे राजनीतिक पद स्वीकार करने से संबंधित प्रश्न पर न्यायमूर्ति गवई ने कहा, ‘मेरी कोई राजनीतिक महत्वाकांक्षा नहीं है. मैं सेवानिवृत्ति के बाद कोई पद नहीं लूंगा.

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भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश होंगे गवई …

बता दें कि, जस्टिस गवई भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश होंगे. उनकी नियुक्ति के लिए कानून मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर दी है. इसके पहले निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार उनका नाम 16 अप्रैल को सीजेआई खन्ना द्वारा केंद्र सरकार को सिफारिश के रूप में भेजा गया था. जस्टिस गवई का कार्यकाल छह महीने का होगा और वह 23 दिसंबर को 65 वर्ष की आयु पूरी करने पर सेवानिवृत्त होंगे.