कई रेलवे स्टेशनों के पीछे लिखा होता है सेन्ट्रल, जंक्शन और टर्मिनस, क्या है इनका मतलब? जानिए यहां
भारतीय रेल ना सिर्फ यात्रियों को अपने मजिल तक पहुंचाती है, बल्कि एक बड़े मालवाहक के रूप में भी कार्य करती है. रेल लोगों की जिंदगी का एक अहम हिस्सा है. कई बार रेल यात्रा के दौरान लोगों के सामने ऐसी चीजें सामने आती है जिसके बारे में उन्हें जानकारी नहीं होती है. देश में कई छोटे बड़े रेलवे स्टेशन हैं, जहां पर यह ट्रेनें पहुंचती हैं. लेकिन ट्रेन में सफर करते समय अपने कभी गौर किया है कि रेलवे स्टेशनों के नाम के पीछे जंक्शन, सेंट्रल और टर्मिनस क्यों लिखा जाता है? अगर नहीं तो चलिए हम आपको बताते हैं कि इन शब्दों का प्रयोग स्टेशन के नाम के पीछे क्यों किया जाता है.
बता दें कि रेलवे स्टेशनों को उनके काम व खासियत के आधार पर श्रेणियों में बांटा जाता है. यही श्रेणियां होती है टर्मिनल या टर्मिनस, जंक्शन और सेंट्रल. ये शब्द उस स्टेशन के बारे में एक महत्वपूर्ण जानकारी देते हैं. आज हम आपको बताएंगे कि इन शब्दों का क्या मतलब होता है. रेलगाड़ी के रूट में पड़ने वाले कई स्टेशनों के नाम के पीछे आपने जंक्शन लिखा देखा होगा. अक्सर यह बड़े स्टेशन के नाम के पीछे होता है.
क्या होता है जंक्शन और सेंट्रल…
इसका मतलब यह होता है कि इस स्टेशन पर ट्रेन के आने जाने के 1 से अधिक रास्ते हैं. यानी कि जो ट्रेन इस स्टेशन पर आ रही है वह दो रास्तों से होकर जा सकती है. ऐसे स्टेशन जहां से 2 या उससे अधिक रूट निकलते हों. अब बात करते हैं सेंट्रल की. मुंबई सेंट्रल या लखनऊ सेंट्रल ऐसे कई स्टेशनों के नाम आपने देखे होंगे जिनके बाद में सेंट्रल लिखा होता है. इसका मतलब यह है कि उस शहर में एक से अधिक रेलवे स्टेशन है और वह सेंट्रल वाला स्टेशन शहर का सबसे पुराना रेलवे स्टेशन होता है. यह शहर के सबसे व्यस्त रेलवे स्टेशनों में से एक होता है.
टर्मिनल या टर्मिनस का मतलब…
कई स्टेशनों के नाम के बाद टर्मिनस या टर्मिनल लिखा जाता है. इसका मतलब होता है कि उस स्टेशन के आगे रेलवे ट्रैक नहीं है. इसका मतलब कि वह स्टेशन उस जगह के लिए आखिरी स्टेशन होगा. इसके बाद ट्रेन वापस उसी रास्ते से लौट जाती है. स्टेशनों के नाम के आगे कई बार कैंट भी लगा होता है. इसका मतलब है कि उस शहर में सेना की छावनी यानी कैंटोनमेंट है. जैसे की अंबाला कैंट, आगरा कैंट, इलाहाबाद कैंट व अजमेर कैंट आदि.
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