भाजपा की जीत के पीछे छिपा है ‘ये गणित’
राज्यसभा में यूपी की 10 सीटों के लिए शुक्रवार को हुए चुनाव में बीजेपी ने विपक्ष का गणित बिगाड़ कर रख दिया। पार्टी ने अंकगणित में भारी दिख रहे विपक्ष में सेंध लगा पहले क्रॉस वोटिंग करवाई। फिर ‘सरप्लस’ और दूसरी वरीयता के वोटों के प्रबंधन से अपने सभी 9 उम्मीदवार जिता लिए। विपक्ष में एसपी का उम्मीदवार ही जीत सका, जबकि बीएसपी उम्मीदवार को हार का मुंह देखना पड़ा।
शुक्रवार को हुए मतदान में 400 विधायकों ने वोट डाले। इसमें बीएसपी और बीजेपी का एक-एक वोट अवैध घोषित कर दिए गए। वहीं एसपी और बीएसपी की अपने बागी विधायकों के वोट पर आपत्ति के चलते मतगणना दो घंटे विलंब से शुरू हो पाई। बीजेपी ने नौ और विपक्ष ने दो उम्मीदवार उतारे थे। बीजेपी के पास सीधे तौर पर आठ उम्मीदवार ही जिताने भर की संख्या थी।
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हालांकि, एसपी और बीएसपी के साथ ही पार्टी ने निर्दल विधायकों में भी सेंध लगा दी। विपक्ष का आंकड़ा शुक्रवार को भी एसपी के 45, बीएसपी के 17, कांग्रेस के 7, रालोद के 1 और 2 निर्दल विधायकों को लेकर 72 हो रहा था। सूत्रों की मानें तो बीजेपी के गठबंधन सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के दो विधायकों ने भी बीएसपी के पक्ष में क्रॉस वोटिंग की। इस हिसाब से विपक्ष का आंकड़ा 74 पहुंच रहा था। इसके बावजूद उसके दोनों उम्मीदवारों को महज 71 वोट ही मिले। साफ है कि 3 और वोट बीजेपी के पाले में चले गए।
फ्लोर मैनेजमेंट में भी विपक्ष फेल
बीजेपी जानती थी कि विपक्ष के दो विधायकों को वोटिंग का मौका न मिलने व क्रॉस वोटिंग की आशंकाओं के बीच 10वीं सीट का फैसला दूसरी वरीयता की गिनती से होगा। इसलिए बीजेपी ने पहले अपने 8 प्रत्याशियों को 39-39 वोट आवंटित किए, जबकि कोटा 36.19 वोट का था। ताकि एकाध वोट रद होने या क्रॉस वोटिंग होने की स्थिति में भी इनकी जीत पर कोई संशय न रहे। प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र नाथ पांडेय और संगठन महामंत्री सुनील बंसल ने इसकी मॉनिटरिंग की।
पार्टी ने अपने 9वें प्रत्याशी के लिए दूसरी वरीयता के पर्याप्त वोट आवंटित किए। पहले 8 प्रत्याशियों के सरप्लस वोट व दूसरी वरीयता के वोट से पार्टी का 9वां प्रत्याशी आसानी से जीत गया। दूसरी ओर, विपक्ष अति आत्मविश्वास में रहा। बीएसपी प्रत्याशी को दूसरी वरीयता के वोट न के बराबर आवंटित किए गए थे। पहली वरीयता के वोटों से बीएसपी प्रत्याशी जीत के कोटे तक नहीं पहुंच सका तो आगे के मुकाबले के लिए उसके पास दूसरी वरीयता के वोट ही नहीं थे।
एसपी वोट ले तो सकती है लेकिन दे नही सकती
वहीं, एसपी-बीएसपी जेल में बंद अपने विधायकों के मतदान के लिए आवश्यक कानूनी प्रक्रिया अपनाने में भी पिछड़ गई। राज्यसभा चुनाव में विपक्ष के प्रत्याशी की हार बीजेपी के लिए संजीवनी साबित होगी। लोस उपचुनाव में मिली हार ने पार्टी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की किरकिरी करवाई थी। इस जीत से बी जेपी का मनोबल तो बढ़ेगा ही पार्टी इसे विपक्षी गठबंधन में दरार के रूप में प्रचारित कर फायदा उठाने की कोशिश करेगी। जीत के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा, ‘एसपी वोट ले तो सकती है लेकिन दे नहीं सकती है। अब भी बीएसपी के पास संभलने का वक्त है। मैं पार्टी के सभी विधायकों और सहयोगी दलों का आभार व्यक्त करता हूं।
बीजेपी को दलित शब्द से भी नफरत है
‘ एसपी-बीएसपी के बीच बढ़ी नजदीकियों को इन नतीजों से झटका लग सकता है। बीएसपी को उसके कोटे के लिए आवंटित सभी वोट नहीं मिल पाए। दूसरी ओर, एसपी ने अपनी दूसरी वरीयता के वोट भी बीएसपी के लिए पर्याप्त संख्या में आवंटित नहीं किए। इस पर सवाल उठने लाजिमी हैं। सीएम ने खुद यह कहते हुए आग को हवा दी है कि ‘एसपी वोट ले तो सकती है लेकिन दे नहीं सकती।’ बीएसपी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा ने कहा है कि एसपी-बीएसपी-कांग्रेस गठबंधन के पर्याप्त मत बीएसपी प्रत्याशी को मिले। उन्होंने आरोप लगाया, ‘बीजेपी को दलित शब्द से भी नफरत है।
दलित को रास जाने से रोकने के लिए विधायकों की खरीद-फरोख्त की गई। हमारे दो विधायकों को मताधिकार से भी वंचित किया गया।’ प्रथम वरीयता के वोटों से जो कोटा प्राप्त कर लेते हैं, उनको विजेता घोषित कर दिया जाता है। इसके बाद बची सीटों पर गिनती कोटा प्राप्त होने तक चलती है। सबसे पहले बचे प्रत्याशियों के वोट में उस पार्टी के जीते हुए प्रत्याशी के सरप्लस वोट जोड़े जाते हैं।
8 प्रत्याशियों को 39-39 वोट अलाॅट कर रखे थे
अगर उसी से कोटा मिल गया तो परिणाम घोषित कर दिया जाता है। ऐसा नहीं हुआ तो फिर दूसरी वरीयता के वोटों की गिनती होती है। शुक्रवार को चुनाव में जीतने के लिए प्रत्येक प्रत्याशी को 36.19 वोट चाहिए थे। बीजेपी ने अपने सभी 8 प्रत्याशियों को 39-39 वोट अलाॅट कर रखे थे। इस हिसाब से हर प्रत्याशी के पास निर्धारित कोटे से 2.81 वोट अधिक थे। बीजेपी के 9वें प्रत्याशी को प्रथम वरीयता के 16 वोट मिले। साथ ही आठों प्रत्याशियों के सरप्लस वोट जुड़ गए और नौवें प्रत्याशी को निर्णायक बढ़त मिल गई।
NBT
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