गुजरात में हुए गोधरा कांड के 14 गवाहों की सुरक्षा हटा ली गई है. यह फैसला केंद्र सरकार की तरफ से लिया गया है. सरकार की माने तो 14 गवाहों की सुरक्षा में 150 CISF जवान सुरक्षा में तैनात थे. सूत्रों के मुताबिक गृह मंत्रालय ने SIT की रिकमेंडेशन रिपोर्ट के आधार पर 14 गवाहों की सुरक्षा को हटाने का फैसला लिया है. गोधरा कांड पर बनी SIT ने साल 2023 में ही सुरक्षा हटाने की रिपोर्ट दे दी थी.
क्या है गोधरा कांड?…
अब आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि यह गोधरा कांड क्या है. तो बता दें कि यह कांड साल 2002 में फरवरी में हुआ था जिसमें गुजरात के गोधरा में अयोध्या से लौट रहे कारसेवकों को ले जा रही साबरमती एक्सप्रेस की एक बोगी में आग लगा दी गई थी, जिसमें 58 लोगों की मौत हो गई थी. जिसके बाद पूरे राज्य में दंगे भड़क उठे थे और केंद्र सरकार को सेना भेजनी पड़ी थी उस समय पीएम मोदी गुजरात के सीएम थे.
भारत का सबसे बड़ा सांप्रदायिक हिंसा …
बता दें कि आज तक के इतिहास में भारत में इससे बड़ा कोई सांप्रदायिक हिंसा नहीं हुई. इस हिंसा में करीब 1100 लोग मारे गए थे जिसमें करीब 800 मुस्लिम और 250 हिन्दू लोग मारे गए थे. घटना के बाद बलात्कार, लूटपाट और संपत्ति के नुकसान, घरों और दुकानों को जलाने की भी खबरें आईं. इस कांड के बाद लगभग 2 लाख लोग विस्थापित हुए. उनमें से कई लोग नए इलाकों में जाकर बस गए.
इन लोगों की हटी सुरक्षा…
बता दें कि केंद्र सरकार ने जिन 14 लोगों के सुरक्षा हटाई है उसमें ज्यादातर मुस्लिम शामिल है. हबीब रसूल सय्यद 2. अमीनाबेन हबीब रसूल सय्यद 3. अकीलाबेन यासीनमिन 4. सैय्यद यूसुफ भाई 5. अब्दुलभाई मरियम अप्पा 6. याकूब भाई नूरान निशार 7. रजकभाई अख्तर हुसैन 8. नजीमभाई सत्तार भाई 9. माजिदभाई शेख यानुश महामद 10. हाजी मयुद्दीन 11. समसुद्दीन फरीदाबानू 12. समदुद्दीन मुस्तफा इस्माइल 13. मदीनाबीबी मुस्तफा 14. भाईलालभाई चंदूभाई राठवा शामिल है.
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गवाहों की सुरक्षा हटाने पर सवाल…
गवाहों की सुरक्षा हटाने के फैसले के बाद इस पर सवाल भी उठने लगे हैं. कई सामाजिक संगठनों और गवाहों के परिजनों ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है. उनका कहना है कि, इन गवाहों पर खतरा बना हुआ है और सरकार को उनकी सुरक्षा जारी रखनी चाहिए थी.हालांकि, गृह मंत्रालय का कहना है कि सुरक्षा समीक्षा के बाद यह निर्णय लिया गया है और मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए गवाहों पर किसी तरह का खतरा नहीं है.