आंदोलनकारी किसानों को बड़ा झटका, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की शंभू बॉर्डर खोलने की याचिका…
दिल्ली की कड़ाके की सर्दी में अपने हक की मांग करते किसानों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की शंभू बॉर्डर खाली कराने वाली याचिका को खारिज कर दिया है. इस याचिका को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि,” बार-बार एक ही प्रकार की याचिका क्यों दायर की जा रही है ? इस सिलसिले में पहले से ही मामला लंबित है, फिर क्यों ऐसी याचिका दायर की गई है ? इसके आगे कोर्ट ने कहा है कि वो इस याचिका को पहले ही से लंबित मामलों के साथ नहीं सुनेगी, इससे खराब संदेश जाता है औऱ हम याचिका खारिज कर रहे हैं. ” साथ ही बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने किसानों को हाईवे से हटाने का निर्देश देने की मांग की गई थी.
अदालत ने क्यों इख्तियार किया सख्त रवैय्या
जस्टिस सूर्यकांत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि, यह मामला प्रचार के उद्देश्य से दायर किया गया प्रतीत होता है. इस पर याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि, सुप्रीम कोर्ट ने किसानों की शिकायतों के समाधान के लिए सभी आवश्यक और रचनात्मक कदम उठाए हैं. उन्होंने कहा कि उनकी याचिका का उद्देश्य केवल यात्रियों को हो रही परेशानियों को उजागर करना है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वे स्थिति से पूरी तरह अवगत हैं और ऐसा नहीं है कि याचिकाकर्ता ही समाज का इकलौता जागरूक रक्षक है. अदालत ने यह भी कहा कि बार-बार एक ही मामले पर याचिका दाखिल करना उचित नहीं है.
गौरतलब है कि पहले से लंबित याचिकाओं के आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने एक पांच सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का गठन किया था. इस समिति को किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) और अन्य मुद्दों पर बातचीत करने का निर्देश दिया गया था. साथ ही, किसानों से बैरिकेडिंग हटाने को लेकर भी समाधान खोजने को कहा गया था. सुप्रीम कोर्ट ने किसानों से यह भी अपील की थी कि वे अपने आंदोलन को राजनीतिक मुद्दा न बनाएं और अपनी बैठकों में अनुचित मांगें न रखें.
कानूनी कार्रवाई की मांग पर जोर
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया कि किसानों को कानून और व्यवस्था का पालन करने का आदेश दिया जाए. उन्होंने दलील दी कि हाईवे को बाधित करना न केवल नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि यह राष्ट्रीय राजमार्ग कानून और भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध भी है. याचिकाकर्ता ने हाईवे ब्लॉक करने को अपराध मानते हुए इसके लिए कानूनी कार्रवाई की मांग की थी. बीते रविवार को प्रदर्शनकारी किसानों ने दिल्ली कूच की योजना को स्थगित कर दिया. यह निर्णय तब लिया गया जब हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस और वाटर कैनन का इस्तेमाल कर प्रदर्शनकारियों को रोकने की कोशिश की थी.
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शंभू बॉर्डर फरवरी से बंद
हरियाणा सरकार ने इस साल फरवरी में पंजाब से सटे शंभू बॉर्डर को बंद कर दिया था. इसका उद्देश्य यह था कि किसान दिल्ली कूच न कर सकें. वहीं 2020 में किसान आंदोलन ने तीन कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए सरकार को मजबूर कर दिया था. वर्तमान में किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी और अपनी जमीन के मुआवजे जैसी मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने किसानों के शंभू बॉर्डर पर बैठने को गंभीर समस्या करार दिया है. दूसरी ओर, किसान इसे अपने अधिकारों की लड़ाई बताते हुए सरकार के रुख का विरोध कर रहे हैं.