बांग्लादेशः चिन्मय दास को मिली बड़ी राहत, भट्टाचार्य ने कहा-‘वे देशद्रोही नहीं’

Chinmoy Das: बांग्लादेश में हिंदू संत चिन्मय कृष्ण दास इन दिनों राष्ट्रीय चर्चा का विषय बन बैठे हैं. देशद्रोह के गंभीर आरोपों में फंसे चिन्मय कृष्ण दास को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है. इसकी पुष्टि हम नहीं बल्कि, बांग्लादेशी अखबार द डेली स्टार ने की है. आपको बता दें कि देशद्रोह मामले में फंसे चिन्मय दास पर बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने का आरोप लगा है.

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आखिर कौन है चिन्मय कृष्ण दास

चिन्मय कृष्ण दास का पूरा नाम चंदन कुमार धर प्रकाश चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी है. वह संतान जागरण मंच के प्रवक्ता और चटगांव इस्कॉन के प्रमुख संत हैं जिसके चलते वो सनातनी माने जाते हैं. ये बांग्लादेश का वहीं चटगांव है जहां की अदालत ने राष्ट्रद्रोह के मामले में चिन्मय कृष्ण दास को जेल भेजने का आदेश दिया था.

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जानिए कैसे राष्ट्रद्रोह मामले में फंसे चिन्मय दास

कुछ समय पहले बांग्लादेश में घटे हिंसा के बीच हिंदुओं के साथ दुर्व्यव्हार किया गया. इसके चलते बांग्लादेशी हिंदुओं का जीवन तक तबाह हो गया था. ऐसे में इस स्थिति को संभालने की बजाय बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना 5 अगस्त 2024 को देश छोड़ कर भाग निकलीं. इसके बाद हिंदुओं के साथ हिंसक घटनाएं कम नहीं हुई बल्कि और भी चरम सीमा पर बढ़ गई जिसे संभालना काफी मुश्किल हो गया था. इसके बाद से बांग्लादेश की कमान संभालने के लिए अंतरिम सरकार बनना तय हो गया था.

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वहां अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस बने. मगर अफसोस की बात तो ये रही कि मोहम्मद यूनुस बांग्लादेश की कमान सही ढंग से संभालने में कामयाब नहीं हुए. इसी बीच बांग्लादेशी हिंदुओं और अल्पसंख्यकों के हितों की रक्षा के लिए सनातन जागरण मंच का गठन हुआ जिसके प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास बन बैठे. फिर क्या, इन्होंने अपने सनातनी जागरण मंच के द्वारा चटगांव और रंगपुर में कई रैलियों को संबोधित किया.

चिन्मय प्रभु की गिरफ्तारी का कारण बना ये मामला

दरअसल, चिन्मय कृष्ण दास ने बीते 25 अक्टूबर को चटगांव के लालदीघी मैदान में अपने सनातनी जागरण मंच से 8 सूत्री मांगों को लेकर एक रैली को संबोधित किया. इतना ही नहीं उसी दौरान कुछ लोगों ने आजादी स्तंभ पर भगवा ध्वज भी फहराया था. हैरानी की बात तो ये रही कि फहराए गये इस ध्वज पर आर्मी सनातनी लिखा हुआ था जो एक बड़े विवाद का कारण बन बैठा. इसी राष्ट्रीय ध्वज अपमान के कारण 31 अक्टूबर को बेगम खालिदा जिया की बीएनपी पार्टी के नेता फिरोज खान ने चिन्मय दास समेत 19 लोगों के खिलाफ चटगांव में राजद्रोह मामले का केस दर्ज करवाया था.

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एयरपोर्ट पर किया गया था गिरफ्तार

वहीं पिछले साल 25 नवंबर 2024 को ढाका के हजरत शाहजलाल इंटरनेशनल एयरपोर्ट से चिन्मय कृष्ण दास को बांग्लादेश की पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. इस गिरफ्तारी पर इस्कॉन के सदस्यों ने विरोध जताते हुए कहा कि पुलिस ने बिना गिरफ्तारी वारंट दिखाये ही चिन्मय प्रभु को अपनी हिरासत में लिया है, जो सरासर गलत है. इसी बीच ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी शाखा (डीबी) के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त रेजाउल करीम मल्लिक ने अपने बयानों में बताया कि चिन्मय कृष्ण दास को गिरफ्तार किया गया है.

जानिए चिन्मय की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाई रोक

बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय के अपीलीय प्रभाग ने राष्ट्रीय ध्वज मामले को गंभीरता से लेते हुए उच्च न्यायालय के उस आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें पूर्व इस्कॉन भिक्षु और सनातनी जागरण के प्रवक्ता चिन्मय कृष्ण दास उर्फ चंदन कुमार धर को जमानत दी गई थी. वहीं बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज के अपमान को देखते हुए चिन्मय की गिरफ्तारी से हिंदू समुदाय में तेजी से विरोध प्रदर्शन शुरू होता नजर आ रहा है.

देशद्रोही नहीं आरोप है देशद्रोह का

चिन्मय कृष्ण दास के वकील अपूर्व कुमार भट्टाचार्य ने उनके बचाव पक्ष में एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि, “चिन्मय कृष्णा दास अपनी मां की तरह मातृभूमि का सम्मान करते हैं ऐसे में वो देशद्रोही नहीं हैं. ” इसके बाद भी मेट्रोपॉलिटन सत्र न्यायाधीश मोहम्मद सैफुल इस्लाम की अगुवाई वाली कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद से अपना फैसला सुनाते हुए जमानत याचिका को खारिज कर दिया था.