वाराणसी: बनारस का पुरातन नाम काशी, जहां मृत्यु भी एक महोत्सव है, वहां रंगभरी एकादशी पर हर साल मसाने की होली खेली जाती है. इस बार भी काशी मोक्षदायिनी सेवा समिति द्वारा बाबा मसान नाथ की भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जो रविंद्रपुरी स्थित बाबा कीनाराम स्थल से शुरू होकर हरिश्चंद्र घाट पर संपन्न हुई.
परंपरा और आस्था का संगम

इस शोभायात्रा में बाबा की झांकी, डमरू दल, बैंड-बाजे और सैकड़ों श्रद्धालु शामिल हुए. यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं ने बाबा पर पुष्पवर्षा की. हरिश्चंद्र घाट पर पहुंचने के बाद भव्य आरती हुई, जिसके बाद नागा साधुओं, अघोरियों और संन्यासियों ने चिता भस्म, रंग और गुलाल से होली खेली. इस दौरान बनारसी नगाड़ों की धुन पर शिव तांडव का दिव्य दृश्य देखने को मिला.
ALSO READ: श्री काशी विश्वनाथ धाम में उत्साह से मनाया जा रहा रंगभरी एकादशी उत्सव…
मसाने की होली: मृत्यु का उत्सव
काशी में मृत्यु को जीवन का अंत नहीं, बल्कि मोक्ष का द्वार माना जाता है. यही कारण है कि यहां होली सिर्फ रंगों से नहीं, बल्कि चिता भस्म से भी खेली जाती है. महाश्मशान पर इस आयोजन को विशेष रूप से भव्य बनाने के लिए इस वर्ष 5 क्विंटल चिता भस्म पहले से मंगाई गई थी.
ALSO READ: इस्कॉन मंदिर में होली महोत्सव,दिखा धार्मिक, सांस्कृतिक व आध्यात्मिक भावनाओं का संगम
विश्व में अनूठा आयोजन

आयोजन समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष पवन चौधरी और डोम राजा ने बताया कि यह दृश्य दुनिया में कहीं और नहीं देखने को मिलता. इस अनुष्ठान के साथ ही काशी में होली के पर्व की शुरुआत हो जाती है, जहां भक्त बाबा से आशीर्वाद लेकर रंगों के इस उत्सव में शामिल होते हैं.
काशी की यह परंपरा जहां आस्था और भक्ति का प्रतीक है, वहीं यह मृत्यु के भय से मुक्त होने का संदेश भी देती है. हर साल की तरह इस बार भी श्रद्धालुओं ने मोक्षधाम में नाच-गाकर यह संदेश दिया कि काशी में मृत्यु भी उत्सव है.