कृषि विधेयक पर गरमाई राजनीति, 25 सितंबर को ‘भारत बंद’ का एलान

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मोदी सरकार द्वारा खेती-किसानी को लाभकारी बनाने के मकसद से लाए गए तीन अहम विधेयकों को लेकर पूरे देश में राजनीति गरमा गई है। विधेयक का विरोध संसद के बाद अब सड़कों पर जोर पकड़ने लगा है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) समेत विभिन्न किसान संगठनों ने 25 सिंतबर को देशभर में चक्का जाम करने का एलान किया है। किसान संगठनों द्वारा आहूत भारत बंद को विपक्ष में शामिल विभिन्न राजनीतिक दलों का साथ मिल रहा है। भाकियू के प्रवक्ता और उत्तर प्रदेश के किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि कृषि विधेयकों के विरोध में पूरे देश में 25 सितंबर को चक्का जाम रहेगा, जिसमें पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, उत्तराखंड, महाराष्ट्र, कर्नाटक समेत तकरीबन पूरे देश के किसान संगठन अपनी विचारधाराओं से ऊपर उठकर एकजुट होंगे।

एमएसपी की गारंटी देने के लिए कानूनी प्रावधान करने की मांग

किसान संगठनों ने केंद्र सरकार से इन विधेयकों को किसान विरोधी और कॉरपोरेट को फायदा पहुंचाने वाले विधेयक करार देते हुए, इन्हें वापस लेने और फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने के लिए कानूनी प्रावधान करने की मांग की है। उनका कहना है कि सरकार ने विधेयकों पर किसानों की सहमति नहीं ली।

किसानों के साथ बैठक कर आगामी बंद की रूपरेखा तैयार

भाकियू की ओर से बुधवार को पंजाब के मोगा में किसानों के साथ एक बैठक कर आगामी बंद की रूपरेखा तैयार की गई। पंजाब में भाकियू के प्रदेश अध्यक्ष और संगठन के ऑल इंडिया कोर्डिनेशन कमेटी के सीनियर कोर्डिनेटर अजमेर सिंह लखोवाल ने मीडिया को बताया 25 सितंबर को पूरे देश में चक्का जाम रहेगा और पंजाब में इसे तमाम दलों का समर्थन मिल रहा है।

कृषि से जुड़े विधेयकों के विरोध में संसद में आवाज मुखर करने वाला शिरोमणि अकाली दल (शिअद) समेत कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने सरकार के इस कदम को किसान विरोधी बताया है। विधेयक के विरोध में शिअद सांसद हरसिमरत कौर बादल ने केंद्रीय मंत्री परिषद से इस्तीफा दे दिया।

हालांकि, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने तीनों विधेयकों को किसान हितैषी बताया है। उनका कहना है कि इससे किसानों को मौजूदा व्यवस्था के साथ एक और विकल्प मिलेगा।

बीते रविवार को हरियाणा में किसानों और व्यापारियों ने प्रदेशभर में सड़कों पर जाम लगाकर विरोध प्रदर्शन किया। भाकियू के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष गुराम सिंह ने आईएएनएस को बताया कि अब 25 सितंबर को देशव्यापी बंद की तैयारी चल रही है।

उत्तर प्रदेश में भारतीय किसान संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र यादव ने बताया कि 25 सितंबर के भारत बंद में उनका संगठन भी शामिल है। यादव ने कहा कि यह किसानों का मसला है, इसलिए किसी भी दल से जुड़े किसान संगठनों हों उनको इसमें शामिल होना चाहिए। यादव ने कहा कि सरकार जब इस कानून को किसान हितैषी कहती है, तो इस पर किसानों की राय लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट घरानों और पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए कोरोना काल में सरकार ने कृषि से संबंधित अध्यादेश लाए। कृषि से जुड़े तीन अहम विधेयकों, कृषक उपज व्यापार एवं वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक-2020 को भी संसद की मंजूरी मिल चुकी है। ये तीनों विधेयक कोरोना काल में पांच जून को घोषित तीन अध्यादेशों की जगह लेंगे। पहले विधेयक में किसानों को कृषि उपज विपणन समिति द्वारा संचालित मंडी के बाहर देश में कहीं भी अपनी उजप बेचने की आजादी दी गइर्, जिस पर कोई शुल्क नहीं लगेगा। लेकिन किसान संगठनों का कहना है कि इससे मंडियां समाप्त हो जाएंगी, जिसके बाद किसान औने-पौने भाव अपने उत्पाद बेचने को मजबूर होंगे। वहीं, कृषक (सशक्तीकरण व संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 पर किसान संगठनों का कहना है कि इससे वे कॉरपोरेट के बंधुआ मजदूर बन जाएंगे।

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