सबसे कम उम्र की पहली महिला पायलट बनकर रचा इतिहास

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कोई भी काम करने के लिए जरुरी नहीं होता कि आप उम्र के उस पड़ाव पर पहुंच कर ही वो काम कर सकते हैं। बचपन में हमारी आंखों में तमाम सपने होते हैं जिन्हें बड़ा होकर पूरे करने की सोचते हैं। बचपन एक ऐसा दौर होता है जब हमारे मन में तमाम जिज्ञासाएं होती है नई-नई चीजों के बारे में जानने औऱ समझने की लेकिन उम्र की बंदिशों की वजह से मन मारकर कभी-कभी रहना पड़ता है। लेकिन आप को बता दें कि बचपन के बहुत से सपने ऐसे होते हैं जिनको पूरा करने के लिए हमें उम्र का मोहताज होना नहीं पड़ता है।

हवाई जहाज को उड़ते देखकर मन में तमाम सवाल पैदा होते हैं

जब हम छोटे थे तो अक्सर आसमान में हवाई जहाज को उड़ते देखते थे तो मन में कई सवाल अपने आप पैदा होने लगते थे, कि ये कैसे उड़ता है इसको चलाने वाले लोग किस तरह इसे चलाते होंगे, ये गिरता क्यों नहीं है इतनी उंचे क्यों उड़ता है जैसे सवाल हमें परेशान करते थे।

विश्व की सबसे कम उम्र की महिला पायलट बनीं दिव्या

कुछ ऐसा ही एनी दिव्या के साथ होता था जब वो हवाई जहाज को उड़ता हुआ देखती थीं तो ढेर सारे सवाल उन्हें घेर लेते थे। जिसके बारे में वो अक्सर अपने मां-बाप से इनके बारे में पूछा करती थीं। एक वो दौर था जब इतनी उत्सुकता सेहवाई जहाज के बारे में ढेर सारे सवाल लेकर उनके उत्तर पाने के लि बेचैन होती रहती थी, एक आज का दिन है जब वो खुद हवाई जहाज उड़ा रही हैं वो भी दुनिया की सबसे कम उम्र की पायलट का इतिहास रचकर।

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पठानकोट में हुआ था दिव्या का जन्म

एनी दिव्या बोइंग 777 एक बड़े विमान की महिला कमांडर हैं। दिव्या एनी का जन्म पंजाब के पठानकोट के एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था उनके पिता सेना में नौकरी करते थे जिससे उनका ठिकाना अक्सर बदलता रहता था। एनी दिव्या 17 साल की उम्र में अपनी पढ़ाई पूरी कर अपने पिता से पायलट बनने की बात कही, बेटी की बात सुनकर मा-पिता को तोड़ी हैरानी हुई क्योंकि उन्हें पता था कि इसके लिए काफी पैसा खर्च होता है लेकिन बेटी के सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने हां कह दी।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय प्रतिष्ठान में लिया दाखिला

एनी ने इसी के साथ उड़ान भरने की तैयारी करने के लिए यूपी के इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी में दाखिला ले लिया। दिव्या के सामने अपने सपने को पूरा करने के लिए कड़ी चुनोतियों से गुजरना था ये वो जान चुकी थीं। लेकिन दिव्या ने अपने कदमों को पीछे नहीं हटाया और दिनरात मेहनत करते हुए अपने सपने को पूरा करने में कामयाब हो गईं।

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पहली बार हवाई जहाज उड़ाने पर मिली सबसे ज्यादा खुशी

दिव्या बताती है कि जब उन्होंने अपनी ट्रेनिंग पूरी कर पहली बार प्लेन उड़ाया तो बहुत ही उत्साह भरा हुआ था, क्योंकि पहले जहाजों को सिर्फ उड़ते हुए देखा था कबी बैठी भी नहीं थी। उन्होंने कहा पहली उड़ान भरना मेरे लिए सबसे अहम पल था। दिव्या का कहना है कि जब वो पहली उड़ान भरने के बाद जब जमीन पर उतरीं तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था।

दिव्या उन महिलाओं के लिए मिसाल जो कुछ करना चाहती हैं

ऐनी दिव्या ने महज 19 साल की छोटी सी उम्र में पढ़ाई पूरी कर हवाई जहाज उड़ाने वाली विश्व की पहली महिला बनीं। ऐनी दिव्या की सफलता उन लोगों के मुंह पर एक करारा तमाचा है जो महिलाओं को सिर्फ घर के किचन चतक सीमित रखतना चाहते हैं और महिलाओं को भोगविलास की वस्तु  के अलावा कुछ नहीं समझते हैं। ऐनी दिव्या लाखों महिलाओं के लिए प्रेरणा हैं जो कुछ करने की चाहत रखती हैं।

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