Supreme Court: हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों की पेंशन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जजों की एंट्री और उनके कार्यकाल के आधार पर कोई पक्षपात नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के जजों के काम के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता कि वह कब सेवा में आए और या उनकी नियुक्ति न्यायिक सेवा से हुई है या बार से…
CJI बी आर गवई की बेंच ने फैसले में क्या कहा ?
केंद्र सभी न्यायाधीशों के लिए वन रैंक-वन पेंशन के सिद्धांत का पालन करेगा, चाहे वे किसी भी उच्च न्यायालय में कार्यरत हों.
हम मानते हैं कि सभी सेवानिवृत्त न्यायाधीश, चाहे उनकी नियुक्ति की तिथि कुछ भी हो, पूर्ण पेंशन के हकदार होंगे.
हम मानते हैं कि सभी उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को पूर्ण पेंशन मिलेगी.
नई पेंशन योजना लागू होने के बाद नियुक्त न्यायाधीशों को देय पेंशन के मामले में हम मानते हैं कि सेवानिवृत्ति के बाद टर्मिनल लाभों के लिए न्यायाधीशों के बीच कोई भी भेदभाव अनुच्छेद 14 का उल्लंघन होगा.
इस प्रकार हम सभी उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को पूर्ण पेंशन के हकदार मानते हैं, चाहे वे किसी भी समय नियुक्त हुए हों.
हम यह भी मानते हैं कि अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में सेवानिवृत्त हुए उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को भी पूर्ण पेंशन मिलेगी तथा न्यायाधीशों और अतिरिक्त न्यायाधीशों के बीच कोई भी भेद करना अन्याय होगा.
ALSO READ : लश्कर का खूंखार आतंकी सैफुल्लाह का खात्मा, कभी रची थी RSS और CPRF मुख्यालय हमले की साजिश
“एक रैंक- एक पेंशन” का कड़ाई से पालन…
न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के लिए “एक रैंक- एक पेंशन” के सिद्धांत का कड़ाई से पालन किया जाएगा. इसका अर्थ है कि उनके प्रवेश का स्रोत (जिला न्यायपालिका या बार से) या जिला न्यायाधीश या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में सेवा के वर्षों की संख्या कुछ भी हो, सभी को पूर्ण पेंशन का भुगतान किया जाएगा.
ALSO READ : पाकिस्तान ने बना लिया है मुझे दूल्हाः ओवैसी
सेवा में अंतराल के बावजूद पूर्ण पेंशन…
यदि कोई सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय का न्यायाधीश पहले जिला न्यायाधीश के रूप में सेवा दे चुका है, तो जिला न्यायपालिका के न्यायाधीश के रूप में उनकी सेवानिवृत्ति की तिथि और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्यभार ग्रहण करने की तिथि के बीच सेवा में किसी भी तरह के अंतराल के बावजूद, भारत सरकार उन्हें पूर्ण पेंशन का भुगतान करेगी.