अखाड़ा परिषद ने कहा, Wrong नंबर हैं ये बाबा…

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संत राम रहीम के साथ ही राधे मां को फर्जी बाबा घोषित करने वाले अखिल भारतीय अखाडा परिषद् ने आज दूसरी सूची जारी की है। इसमें तीन बाबाओं को फर्जी घोषित किया गया है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने आज तीन फर्जी बाबा का नाम घोषित करते हुए इन बाबाओं का सामाजिक बहिष्कार करने की अपील की है। आज 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों की इस बैठक में तीन बाबा को सर्वसम्मति से फर्जी घोषित किया गया।

फर्जी बाबाओं की दूसरी लिस्ट जारी

अखिल भारतीय अखाडा परिषद ने दूसरी बार फर्ज़ी बाबाओं की लिस्ट जारी करते हुए उनके सामाजिक बहिष्कार की अपील की। कुल 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों की बैठक में पारित सात प्रस्ताव में छठवां प्रस्ताव फर्जी संतों से संबंधित है। इस सूची में दूसरा नाम दिल्ली के वीरेंद्र देव दीक्षित का है जिन पर अध्यात्मिक विश्वविद्यालय के नाम पर महिलाओ के यौनशोषण का आरोप लगा है। पहले नंबर पर बस्ती के स्वामी सचिदानंद सरस्वती है और तीसरे नंबर पर परी अखाड़े इलाहाबाद की त्रिकाल भवंता। त्रिकाल भवंता खुद को पीठाधीश्वर बताती हैं। उज्जैन के सिंहस्थ कुंभ में पीठाधीश्वर के रूप में सुविधाओं के लिए उन्होंने हंगामा मचाया था। अखाडा परिषद् के अध्यक्ष स्वामी नरेंद्र गिरि का कहना है कि मीडिया को भी ऐसे बाबाओं का बहिष्कार करना चाहिए।

कुंभ मेले को लेकर भी हुई चर्चा

बैठक में कुंभ मेले से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करते हुए राज्य सरकार से पर्याप्त सम्मान व सुविधाओं की मांग की गई। ज्योतिषपीठ के पीठाधीश्वर विवाद से भी परिषद ने यह कहते हुए पल्ला झाड़ लिया है कि मामला न्यायालय में है। परिषद अध्यक्ष ने कहा कि वह सभी संतों का सम्मान करते हैं। रविवार को परिषद से जुड़े संत व पदाधिकारी स्वामी वासुदेवानंद के माघमेला क्षेत्र में पहुंचने के समय उनके साथ रहेंगे। बताते चलें कि अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने इससे पहले द्वारिका पीठाधीश्वर स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती को उचित सुविधाएं नहीं मिलने पर नाराजगी जताई थी।

इन बाबाओं को बताया गया फर्जी

इन तीन में से दिल्ली के वीरेंद्र देव दीक्षित जिन पर महिलाओ के शोषण के तमाम मामले दर्ज हैं। दूसरे नंबर पर बस्ती के स्वामी सचिदानंद सरस्वती हैं। लिस्ट में तीसरा नाम महिला संत इलाहबाद की त्रिकाल भवंता का है। जिन्होंने अपने को ही को शंकराचार्य घोषित करते हुए अपना अलग अखाडा परी अखाड़ा के नाम से बनाया था।

अखिल अखाडा परिषद् के अध्यक्ष स्वामी नरेंद्र गिरी का कहना है कि अब तो मीडिया को भी ऐसे बाबाओं का बहिष्कार करना चाहिए जो समाज को गलत दिशा देकर अपना लाभ उठा रहे हैं। अखाड़ा परिषद् की इस बैठक में कुम्भ मेला से सम्बंधित तमात मुद्दों पर चर्चा की गयी।

फर्जी बाबा की दूसरी सूची में आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के नाम पर महिलाओं का शोषण करने वाले दिल्ली के बाबा वीरेंद्र देव दीक्षित का नाम शीर्ष पर है। इसके बाद महिलाओं के शोषण के कारण चर्चा में आए बाबा बस्ती के सच्चिदानंद सरस्वती तथा इलाहाबाद की त्रिकाल भवंता का नाम है।

नहीं थम रहा फर्जी बाबाओं का कारनामा

देश में फर्जी ढोंगी बाबाओ के सामने आने का सिलसिला न थमने के बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने आज फिर फर्जी बाबाओं के खिलाफ एक और बड़ी कार्यवाही की है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने देश के तीन और बाबाओं को फर्जी करार दिया है। नई नयी सूची में दिल्ली के वीरेंद्र देव दीक्षित उर्फ कालनेमी बाबा, बस्ती के सच्चिदानंद सरस्वती और इलाहबाद की महिला संत त्रिकाल भवंता शामिल है। इलाहाबाद की मठ बाग्म्बरी गद्दी में आयोजित अखाड़ों की बैठक में यह ऐलान किया गया है। इस बैठक में कुम्भ में अखाड़ों को सुविधाए देने को लेकर भी कई प्रस्ताव पारित हुए है।

अखाड़ा प्रतिनिधियों को सौंपी गई जिम्मेदारी

परिषद से जुड़े सभी तेरह अखाड़ों के प्रतिनिधियों को जिम्मेदारी सौंपी गई थी कि वे अपने मठाधिकार क्षेत्र में ऐसे बाबाओं की तलाश करके उनका नाम परिषद को सौंपे ताकि ऐसे लोगों को आगाह करते हुए शासन-प्र्रशासन से उनके बारे में कार्रवाई के लिए कहा जा सके।

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पीएम और सीएम योगी को भेजी जाएगी फर्जी बाबाओं की लिस्ट

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि का कहना है कि वीरेंद्र देव दीक्षित सहित ऐसे तमाम लोग धर्म और समाज की पवित्रता, शुचिता को धूमिल करने में जुटे हैं। ऐसे बाबाओं का सनातन धर्म और संत समाज से कोई लेना देना नहीं है। परिषद की ओर से जारी नई सूची को भी मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री को भेजा जाएगा ताकि उन पर कार्रवाई करते हुए उन्हें समाज से बहिष्कृत किया जा सके। ऐसे लोगों को परिषद आगे भी चिन्हित करता रहेगा। उन्होंने मीडिया से भी ऐसे दुराचारियों को बाबा कहकर महिमामंडित न करने की अपील की है।

कथावाचक संत नहीं

अखाड़ा परिषद का मानना है कि कथावाचकों को संत नहीं कहा जाना चाहिए। कथावाचक सिर्फ कथावाचक है। ऐसे लोग जो किसी परंपरा से जुड़े नहीं हैं, वे संत नहीं हो सकते हैं। ऐसे लोग मनमुखी संत हैं, भीड़ बटोरने से कोई संत नहीं हो जाता है। संत होने के लिए सनातन, संन्यासी, आचार्य, नाथ जैसी किसी परंपरा से जुड़ाव जरूरी है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की शुक्रवार को मठ बाघंबरी गद्दी में सुबह 11 बजे बैठक होगी। इसमें सभी तेरह अखाड़ों के प्रतिनिधि जुटेंगे। बैठक का मुख्य मुद्दा कुंभ की तैयारियों पर विमर्श है लेकिन इसमें फर्जी बाबाओं की नई सूची भी जारी की जाएगी।

महिला संत भी फर्जी बाबाओं की लिस्ट में शामिल

पहली बार किसी महिला संत को फर्जी बाबाओं की सूची में शामिल किया गया है। महिला संत त्रिकाल भवंता जो खुद को देश के पहले कथित महिला अखाड़े परी अखाड़े का महामंडलेश्वर बताती है उन्हें फर्जी घोषित किया गया है। इलाहाबाद के मठ बाघम्बरी गद्दी में आज देश भर के सभी 13 अखाड़ों के संत एकत्र हुए और सभी ने एक स्वर से साधू संतों के नाम से करोड़ों का कारोबार करने वाले बाबाओं को अपनी जमात से बाहर का रास्ता दिखाते हुए उनकी यह सूची जारी की है। अखाड़ो ने फैसला किया है की इन सभी साधू-संतों को साधू समाज के किसी भी धार्मिक आयोजन में आने की अनुमति नहीं दी जायेगी चाहे वह माघ मेला हो या फिर महाकुंभ। सभी अखाड़ो ने परिषद् के इस कदम का खुले दिल से स्वागत किया है।

इस बैठक में कुम्भ विकास प्राधिकरण में अखाड़ो को शामिल न किये जाने पर नाराजगी जाहिर की गई है। इस बैठक में यह बात भी प्रस्ताव के जरिये सामने आई है की सरकार भी इस मामले में अगुवाई करे और इसके लिए खुद केंद्र सरकार एक कानून बनाये। बैठक में मीडिया से भी यह अपील की गई की वह साधू संतो को पैनेल डिस्कसन में बैठाने के पहले उनकी जानकारी कर ले तभी उनके नाम के आगे पदाधिकारियों का ब्यौरा लिखे।

पहले भी 14 बाबाओं की लिस्ट हो चुकी है जारी

इसके पहले 10 सितम्बर को परिषद देश के 14 बाबाओं को फर्जी घोषित करने वाली लिस्ट जारी कर चुकी है। जिसमें निर्मल बाबा, राधे मां, आशाराम बापू, सचिन दत्ता, गुरमीत सिंह, ओम बाबा, इच्छाधारी भीमा नन्द , स्वामी असीमांनंद, ओम नम: शिवाय बाबा, नारायण साईं, रामपाल, आचार्य कुश्मुनी , ब्रहस्पति गिरी और मलखान गिरी शामिल थे।

(साभार-जागरण)

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