एआई शिखर सम्मेलन 10-11 फरवरी को, नरेंद्र मोदी लेंगे हिस्सा

नई दिल्ली: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) अब अपरिहार्य हो चुका है और इस पर पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है. विभिन्न उद्योगों में इसके विकास को उत्साह और चिंता दोनों के साथ देखा जा रहा है. इसी विषय पर 10-11 फरवरी को पेरिस में आयोजित होने वाले एआई शिखर सम्मेलन में गहन चर्चा होगी. इसमें एआई से जुड़े संभावित दुष्प्रभावों और इनके समाधान पर विचार किया जाएगा. इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भी शामिल होने की संभावना है. इस एआई शिखर सम्मेलन की मेज़बानी फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों कर रहे हैं.

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एआई की पर्यावरणीय भूमिका: समाधान या समस्या?

जहां एआई अत्यधिक बिजली-पानी की खपत और कार्बन उत्सर्जन के कारण पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है, वहीं यह जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी सहायक साबित हो सकता है. एआई तकनीक:
ऊर्जा दक्षता को सुधार सकती है,
अधिक टिकाऊ सामग्रियों के विकास को गति दे सकती है,
आपदा प्रतिक्रिया में मदद कर सकती है,
कटाव, भूस्खलन और मौसम के पैटर्न जैसी पर्यावरणीय प्रक्रियाओं का सटीक पूर्वानुमान लगा सकती है.

बिजली खपत: गूगल सर्च से 10 गुना अधिक

अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) के अनुसार, एक एआई चैटबॉट पर किया गया प्रत्येक अनुरोध प्रति घंटे लगभग 2.9 वाट बिजली की खपत करता है, जो गूगल सर्च (0.3 वाट घंटे) की तुलना में 10 गुना अधिक है. अकेले चैटजीपीटी के 30 करोड़ से अधिक उपयोगकर्ता हैं, जिससे बिजली की खपत में भारी वृद्धि हो रही है.

बिजली के साथ पानी की भी भारी खपत

एआई सिस्टम को ठंडा करने के लिए पानी की भी भारी मात्रा में खपत हो रही है. शोधकर्ताओं के मुताबिक, जीपीटी-3 को 10 से 50 प्रतिक्रियाएं उत्पन्न करने के लिए लगभग आधा लीटर पानी की जरूरत होती है. भविष्य में पानी की मांग 4.2 अरब से 6.6 अरब क्यूबिक मीटर तक बढ़ने का अनुमान है.

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कार्बन उत्सर्जन: सैकड़ों उड़ानों के बराबर

मैसाचुसेट्स एमहर्स्ट विश्वविद्यालय के शोध के मुताबिक, एक बड़े भाषा मॉडल (LLM) को प्रशिक्षित करने से करीब 300 टन ग्रीनहाउस गैस का उत्सर्जन होता है. यह न्यूयॉर्क और बीजिंग के बीच 125 उड़ानों से हुए कार्बन उत्सर्जन के बराबर है

डाटा सेंटर बन रहे प्रमुख ऊर्जा उपभोक्ता

कंसल्टेंसी फर्म डेलॉइट के अनुसार, वर्तमान में डाटा सेंटर वैश्विक बिजली खपत का 1.4 प्रतिशत उपयोग कर रहे हैं, जो 2030 तक बढ़कर 3 प्रतिशत तक पहुंच सकता है. आईईए का अनुमान है कि 2022 की तुलना में 2026 तक इनकी बिजली खपत 75 प्रतिशत से अधिक बढ़ जाएगी.

बढ़ता इलेक्ट्रॉनिक कचरा

एआई अनुप्रयोगों से उत्पन्न इलेक्ट्रॉनिक कचरे की मात्रा तेजी से बढ़ रही है.
2023 में 2,600 टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा निकला, जिसमें ग्राफिक्स कार्ड, सर्वर और मेमोरी चिप्स शामिल थे.
2030 तक यह आंकड़ा बढ़कर 2.5 मिलियन टन तक पहुंच सकता है.

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भारत समेत दुनिया में बढ़ रहा एआई का उपयोग

भारत में हर 10 में से 9 इंटरनेट उपयोगकर्ताओं ने स्वीकार किया कि वे एआई का उपयोग कर रहे हैं.
फ्रांस में 18-24 आयु वर्ग के 70% लोग एआई का इस्तेमाल कर रहे हैं.
अमेरिका में 13-17 वर्ष के 65% किशोर एआई से जुड़े टूल्स का उपयोग कर रहे हैं.

पेरिस में होने वाले इस एआई शिखर सम्मेलन में विशेषज्ञ, नीति निर्माता और शोधकर्ता पर्यावरण पर इसके प्रभाव और इससे निपटने के उपायों पर चर्चा करेंगे.

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