अलवर, अजमेर लोकसभा सीट पर इन 5 वजहों से हारी BJP

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राजस्थान में 2013 में विधानसभा चुनाव में रिकॉर्ड 163 सीटों की जीत के बाद बीजेपी ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व में प्रदेश में लोकसभा चुनाव की अब तक की सबसे बड़ी जीत हासिल की थी। 25 में से सभी 25 सीटों पर बीजेपी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया था लेकिन उपचुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी की दो सीटों पर सेंधमारी करते हुए सत्ता का सेमीफाइनल जीत लिया है। 29 जनवरी को हुए अलवर और अजमेर लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों ने भारी मतों से जीत हासिल की। बीजेपी की इस चुनाव में हार के पीछे राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो पांच कारण प्रमुख रहे हैं…

आनंदपाल एनकाउंट के बाद विवाद

राजस्थान की राजनीति में पिछले साल गैंगस्टर आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद भूचाल आ गया। राजपूत संगठनों ने इस एनकाउंट को फर्जी बताते हुए हत्या करार दिया गया और लोग सड़कों पर उतर आए। सरकार इस माहौल को भांप नहीं पाई और राजपूत समाज ने जनसभाओं में सरकार के खिलाफ जमकर विरोध किया और चुनाव में सबक सिखाने की चुनौतियां भी दी गई।

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आनंदपाल प्रकरण को लेकर राजपूत संगठन की मांग थी कि आनंदपाल प्रकरण की सीबीआई जांच हो। राजपूत संगठनों का आरोप है कि सरकार ने हमारे ही खिलाफ जांच खोल कर राजपूत युवाओं को फंसाने का षड़यंत्र किया है। राजपूत और रावणा राजपूत इस अत्याचार का बदला लेंगे। जयपुर में इकट्‌ठा हुए संगठनों ने उपचुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा कर दी।

‘पद्मावती’ पर सरकार की रणनीति

फिल्म ‘पद्मावती’ मुद्दा भी सरकार के लिए गले की फांस बना। नाराज राजपूत वोटों पर सियासी गलियारों में तय की गई रणनीति फेल हो गई। दरअसल, सरकार से नाराज राजपूत संगठनों ने उपचुनाव से पहले वसुंधरा सरकार पर वादाखिलाफी के आरोप लगाते हुए कांग्रेस को समर्थन देने की घोषणा कर दी थी। सरकार ने फिल्म पर बैन की घोषणा करने में ही दो महीने लगा दिए। राजपूतों के विरोध के बाद राज्य सरकार ने 20 नवंबर को मौखिक रूप से फिल्म पर बैन लगाने की बात कही लेकिन 2 महीने तक इसकी घोषणा नहीं की। इस दौरान राजपूतों की नाराजगी और बढ़ती गई। हालांकि 17 जनवरी को सरकार ने अधिकारिक घोषणा करते हुए फिल्म पर बैन लगा दिया। लेकिन अगले ही दिन 18 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने ‘पद्मावत’ के रिलीज को हरी झंडी दे दी। राज्य सरकार के फिर याचिका लगाई जिसे भी खारिज कर दिया गया।

बेरोजगारी: अधिकांश सरकारी भर्तियां कोर्ट में अटकी

बीजेपी सरकार ने सत्ता में आने से पहले जो 15 लाख नौकरियों का वादा किया था उसे पूरा करने में कामयाब नहीं हुई। शुरुआती तीन साल में सरकारी विभागों में एक लाख से अधिक भर्तियां निकाली गई लेकिन इनमें से 42 विभागों में करीब 8 हजार लोगों को ही नियुक्ति दी गई है। कोर्ट में फंसने के कारण 48 हजार और एसबीसी आरक्षण विवाद के कारण करीब 28 हजार भर्तियां अटक गई। अब भी अधिकांश भर्तियां कानूनी दांव-पेच में उलझी है और युवा बेराजगारी से तंग हैं।

नाराज किसान, कर्ज माफी पर नाखुश

कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले साल राजस्थान में कहा था कि सरकार को मजबूर देंगे कि किसानों का कर्ज माफ करना होगा। लेकिन किसानों को इसके लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा, चक्का जाम के हालता बने. आखिर राजस्थान में किसानों ने सरकार को झुकी और राज्य के किसानों के 50 हजार तक के कर्ज माफी की घोषणा कर दी गई लेकिन किसानों को 13 दिन तक चले आंदोलन के बाद इसे ऊंट के मुंह में जीरा बताते हुए नाखुशी जाहिर की।

महंगाई, जीएसटी और नोटबंदी

जीएसटी के समय प्रदेश के छोटे-बड़े सभी व्यापारियों में रोष पैदा हुआ। जीएसटी में कई विसंगतियां और पेचीदगियां से परेशान लोगों में सरकार के खिलाफ मानस बना और लोग विरोध में सड़कों पर उतरे। कांग्रेस ने भी महंगाई, जीएसटी और नोटबंदी को आमजन पर अत्याचार बताते हुए सरकार के खिलाफ माहौल तैयार किया।

news18

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