Satyapal Malik: जम्म्मू- कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मालिक की मुश्किलें एक बार फिर बढ़ गई है. उसके खिलाफ अब एक घोटाले में याचिका दायर हुई है. किरु हाइड्रो परियोजना से जुड़े मामले में सीबीआई ने चार्जशीट दायर की है. इस याचिका में सत्यपाल मालिक का नाम शामिल है. इसके साथ कुछ अन्य लोगों का भी नाम शामिल है.
सीबीआई अधिकारी ने दी जानकारी…
बता दें कि, सीबीआई के एक अधिकारी ने कहा कि, कथित किरु हाइड्रो परियोजना से जुड़े भ्रष्टाचार मामले में सत्यपाल मालिक उनके प्राइवेट सेक्रटरी और अन्य चार के खिलाफ याचिका दायर की गई है. इतना ही नहीं इस एक्शन पर अभी सत्यापल की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है. अब देखना यह है , इस मामले में उन्होंने ऐसी कई कार्यवाही को राजनितिक से प्रेरित बताया था.
मालिक और सरकार के बीच टकरार…
बता दें कि, पिछले कई सालों से सत्यपाल और सरकार के बीच तल्खी चल रही है. वह बात चाहे पुलवामा हमले की हो या किसान आंदोलन की मालिक हमेशा सरकार के खिलाफ नजर आए है और केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ाई है. उसके बाद से रिश्तों में करवाहट आ गई है. बता दें कि जिस मामले में सरकार ने उनके खिलाफ चार्ज शीट दायर की है. उसमे काफी समय से जांच चल रही है.
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क्या है Kiru HEP हाइड्रोप्रोजेक्ट?…
जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर 624 मेगावाट क्षमता का किरु हाइड्रो इलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट (Kiru HEP) पर काम हो रहा है. यह एक महत्वाकांक्षी रन-ऑफ-रिवर परियोजना है, जिसे चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (CVPPPL) विकसित कर रहा है. यह ज्वाइंट प्रोजेक्ट है, जिसमें केंद्र की NHPC यानी हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन 51% की साझेदारी है जबकि जम्मू-कश्मीर स्टेट पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन यानी JKSPDC के पास 49% हिस्सा है. इस परियोजना की अनुमानित लागत 4,287 करोड़ रुपये है, जिसमें 2,200 करोड़ रुपये के सिविल कार्यों का ठेका शामिल है.
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प्रोजेक्ट के दौरान कहां हुआ भ्रष्टाचार?…
जम्मू-कश्मीर के विकास से जुड़े इस प्रोजेक्ट में करप्शन का मामला 2019 में सामने आया था. सिविल कार्यों के लिए ठेके के आवंटन में कथित अनियमितताओं की बात कही गई. सीबीआई ने अप्रैल 2022 में जम्मू-कश्मीर सरकार के अनुरोध पर यह मामला दर्ज किया था. सीबीआई के अनुसार CVPPPL की 47वीं बोर्ड बैठक में ई-टेंडरिंग और रिवर्स ऑक्शन के साथ री-टेंडर का निर्णय लिया गया था, लेकिन 48वीं बैठक में इसे रद्द कर ठेका पैटल इंजीनियरिंग लिमिटेड को दे दिया गया. इस प्रक्रिया में नियमों का उल्लंघन और भ्रष्टाचार के आरोप लगे.