एक ऐसा शहर जहां नहीं बजते 12, घड़ी में 11 बजे के बाद सीधे 1 बजता है, क्या है वजह?

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अक्‍सर लोग सुबह जगने के लिए अलार्म लगाते हैं और सुबह उठने पर सोचते हैं कि 5 मिनट की नींद और ले लेते हैं. फिर जब दोबारा आंख खुलती है तो पता चलता है एक घंटा गुजर गया. फिर शुरू होती है अपने काम पर पहुंचने की हड़बड़ी. सोचिए अगर हर दिन आपके जीवन के दो घंटे चुरा लिए जाएं और चोरी घड़ी करे तो क्‍या होगा. जी हां, दुनिया में एक शहर ऐसा भी है, जहां की हर घड़ी दिन के 24 घंटे में से दो बार एक-एक घंटा चुरा लेती है. सोचिए, जिस समय को बड़े-बड़े विद्वानों, उद्यमियों, वैज्ञानिकों और लेखकों सबसे मूल्‍यवान बताया है, उसे आपके जीवन से खुद घड़ी ही चुरा रही है.

हमारे-आपके जीवन में समय की काफी अहमियत होती है. हम अपने दिन के हर काम को समय के हिसाब से ही तय करते हैं. हममें से ज्‍यादातर लोग सुबह उठने, ऑफिस जाने, दोपहर का भोजन करने, घर वापस लौटने, डिनर करने और फिर सोने का समय तय करते हैं. ज्‍यादातर लोग थोड़ा बहुत आगे पीछे करके अपने इस शेड्यूल को फॉलो भी करते हैं. घड़ी भी बिना किसी गड़बड़ी के 1 के 2 और 11 के बाद 12 बजाने का संकेत देती रहती है. लेकिन, दुनिया में एक शहर ऐसा भी है, जहां घड़ी दिन में दोनों बार 11 के बाद 12 नहीं बजाती, बल्कि सीधे 1 बजने का संकेत देती है.

कहां है वक्‍त चोरी करने वाली घड़ियों का शहर…

एक तरफ हमारे बड़े बुजुर्ग हमें समय को बेकार में जाया नहीं करने की सलाह देते हैं और दूसरी तरफ स्विट्जरलैंड के सोलोथर्न शहर की सभी घड़ियों में सिर्फ 11 बजे तक के ही सूचक हैं. इसके बाद इन घड़ियों में सीधे 1 बजना शुरू हो जाता है, जबकि स्विस घड़ियां पूरी दुनिया में फेमस हैं. दुनियाभर में बेची जाने वाली स्विस घड़ियों में 11 के बाद 12 ही बजता है, जबकि अपने ही देश में सीधे 1 तो इसकी वजह क्‍या है. दरअसल, स्विट्जरलैंड के सोलोथर्न शहर के लोगों को 11 नंबर से खासा लगाव है. यहां के लोग 12 नंबर को कोई तव्‍वजो नहीं देते हैं. सिर्फ इसी वजह से इस शहर की सभी घड़ियों में सिर्फ 11 अंक ही रखे जाते हैं.

सोलोथर्न शहर में अंक 11 से इतना लगाव क्‍यों…

स्विस सिटी सोलोथर्न के घरों और दुकानों में लगी घड़ियों में 11 के बाद सीधे 1 बजता है. इस शहर के अंक 11 से लगाव की खास वजह भी है. दरअसल, इस शहर में कुल संग्रहालयों की संख्‍या भी 11 ही है. इसके अलावा सोलोथर्न शहर में 11 टॉवर और 11 झरने भी हैं. इस शहर में मौजूद मुख्‍य चर्च क्रीसेंट और सूस को बनाने में पूरे 11 साल लगे थे. यही नहीं इस चर्च में लगी घंटियों और खिड़कियों की संख्‍या भी 11 ही है. इस शहर के लोगों को 11 नंबर से इतना लगाव है कि सोलोथर्न का जन्‍मदिन भी 11 तारीख को ही सेलिब्रेट किया जाता है.

एकदूसरे को देते हैं 11 नंबर से जुड़े उपहार…

हद तो ये है कि यहां किसी खास मौके पर लोग एकदूसरे की पसंद या जरूरत को ध्‍यान में रखकर उपहार नहीं देते हैं. यहां लोग गिफ्ट देते समय यह ध्‍यान रखते हैं कि उसका 11 नंबर से कोई ना कोई संबंध जरूर हो. यहां के लोगों का 11 नंबर को लेकर इतना लगाव होने के पीछे की एक कहानी भी काफी प्रचलित है. बताया जाता है कि सोलोथर्न के लोग बहुत मेहनती थे, लेकिन उनके जीवन में खुशियां फिर भी नहीं थीं. फिर एक दिन सोलोथर्न की पहाड़ी इलाकों से एल्‍फ आया. एल्‍फ ने लोगों का हौंसला बढ़ाया और कहा कि मेहनत करते रहें, जीवन में खुशियां जरूर आएंगी. इसके बाद सोलोथर्न के लोग खुश रहने लगे. बता दें कि जर्मन लैंग्‍वेज में एल्‍फ का मतलब 11 ही होता है. हालांकि, इस कहानी को पुख्‍ता करने का कोई प्रमाण मौजूद नहीं है.

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