आईटी, सस्ती डिजिटल प्रौद्योगिकी का वैश्विक केंद्र : रविशंकर प्रसाद

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भारत में सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) के क्षेत्र में नौकरियां जाने की बातों को ‘प्रायोजित’ बताकर उसे खारिज करते हुए केंद्र सरकार ने शुक्रवार को आईटी क्षेत्र को साल 2022 तक 1,000 अरब डॉलर की ऐसी अर्थव्यवस्था बनाने के अपने दृष्टिकोण को रेखांकित किया, जो सस्ती डिजिटल प्रौद्योगिकी का वैश्विक केंद्र होगी।

इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, “कई तरह की बातें सामने आई हैं और अर्थव्यवस्था के किसी भी मानक के हिसाब से यही कहा जाएगा कि आईटी क्षेत्र में नौकरियों के कम होने की बात ‘प्रायोजित’ है।”

मंत्री ने यह बात आईटी क्षेत्र को 1,000 अरब की अर्थव्यवस्था बनाने के सपने को साकार करने को लेकर उसके ब्लूप्रिंट पर काम करने के लिए आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान कही।

उन्होंने कहा, “बीते कुछ दशकों में आईटी क्षेत्र देश का सबसे बड़ा नियोक्त बनकर उभरा है, जो प्रत्यक्ष तौर पर 40 लाख लोगों तथा परोक्ष तौर पर 1.3 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान कर रहा है।”

मंत्री ने नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसेज कंपनीज (नैसकॉम) की हालिया रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसके मुताबिक बीते तीन वर्षो में आईटी क्षेत्र में लगभग तीन लाख लोगों को नौकरी मिली, जबकि साल 2016-17 में लगभग 1.7 लाख लोगों को नौकरी मिली।

नैसकॉम की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि साल 2025 तक 25-30 लाख नई नौकरियों का सृजन होगा, जिसने उस रिपोर्ट को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया है कि अगले तीन साल में छह लाख आईटी पेशेवरों को नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा।

प्रसाद ने कहा कि यह उद्योग पहले ही लगभग 400-500 अरब डॉलर का हो चुका है और भारतीय आईटी उद्योग को 1,000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा।

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उन्होंने कहा, “भारतीय डिजिटल अर्थव्यवस्था की अपनी रफ्तार है और इसकी सस्ती डिजिटल प्रौद्योगिकी की चर्चा पूरी दुनिया में होती है।”

मंत्री ने कहा, “डिजिटल इंडिया भारतीयों का तकनीकी सशक्तिकरण है और हमारा दृष्टिकोण विकास के उस भारतीय मॉडल का निर्माण करना है, जो डिजिटल तथा गैर-डिजिटल की खाई को पाटेगा।”

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