पढ़ें, छठ पूजन का शुभ मुहूर्त और महत्व

0

नवरात्र, दूर्गा पूजा की तरह छठ पूजा भी हिंदूओं का प्रमुख त्योहार है। कार्तिक महीने में मनाए जाने वाले छठ पूजा त्योहार का बेहद महत्व है। छठ पूजा मुख्य रूप से सूर्यदेव की उपासना का पर्व है। छठ को सूर्य देवता की बहन माना जाता है। छठ पर्व में सूर्योपासना करने से छठ माई प्रसन्न होती हैं और घर परिवार में सुख शांति व धन-धान्य से संपन्न करती हैं।

CHHATH POOJA

सूर्य देव की आराधना का यह पर्व साल में दो बार मनाया जाता है। चैत्र शुक्ल षष्ठी व कार्तिक शुक्ल षष्ठी। हालांकि कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाने वाला छठ पर्व मुख्य माना जाता है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व को छठ पूजा, डाला छठ, छठी माई पूजा, सूर्य षष्ठी पूजा आदि कई नामों से जाना जाता है।

CHHATH POOJA

क्यों करते हैं छठ पूजा?

छठ पूजा करने या उपवास रखने के सबके अपने अपने कारण होते हैं लेकिन मुख्य रूप से छठ पूजा सूर्य देव की उपासना कर उनकी कृपा पाने के लिये की जाती है। सूर्य देव की कृपा से सेहत अच्छी रहती है। सूर्य देव की कृपा से घर में धन धान्य के भंडार भरे रहते हैं। छठ माई संतान प्रदान करती हैं। सूर्य सी श्रेष्ठ संतान के लिये भी यह उपवास रखा जाता है। अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिये भी इस व्रत को रखा जाता है।

CHHATH POOJA

कौन हैं देवी षष्ठी और कैसे हुई उत्पत्ति?

छठ देवी को सूर्य देव की बहन बताया जाता है। लेकिन छठ व्रत कथा के अनुसार छठ देवी ईश्वर की पुत्री देवसेना बताई गई हैं। देवसेना अपने परिचय में कहती हैं कि वह प्रकृति की मूल प्रवृति के छठवें अंश से उत्पन्न हुई हैं यही कारण है कि इन्हे षष्ठी कहा जाता है। देवी कहती हैं यदि आप संतान प्राप्ति की कामना करते हैं तो मेरी विधिवत पूजा करें। यह पूजा कार्तिक शुक्ल षष्ठी को करनी चाहिए।

CHHATH POOJA

पौराणिक ग्रंथों में इस रामायण काल में भगवान श्री राम के अयोध्या आने के पश्चात माता सीता के साथ मिलकर कार्तिक शुक्ल षष्ठी को सूर्योपासना करने से भी जोड़ा जाता है, महाभारत काल में कुंती द्वारा विवाह से पहले सूर्योपासना से पुत्र की प्राप्ति से भी इसे जोड़ा जाता है.

मुहूर्त

13 नवंबर

छठ पूजा के दिन सूर्योदय – 06:41

छठ पूजा के दिन सूर्यास्त – 17:28

षष्ठी तिथि आरंभ – 01:50 (13 नवंबर 2018)

षष्ठी तिथि समाप्त – 04:22 (14 नवंबर 2018)

छठ पूजा के चार दिन

1. छठ पूजा का पहला दिन नहाय खाय (11 नवंबर, रविवार)- छठ पूजा का त्यौहार भले ही कार्तिक शुक्ल षष्ठी को मनाया जाता है लेकिन इसकी शुरुआत कार्तिक शुक्ल चतुर्थी को नहाय खाय के साथ होती है। मान्यता है कि इस दिन व्रती स्नान आदि कर नये वस्त्र धारण करते हैं और शाकाहारी भोजन लेते हैं. व्रती के भोजन करने के पश्चात ही घर के बाकि सदस्य भोजन करते हैं।

Also Read : सपा नेता राम गोविंद चौधरी को पड़ा दिल का दौरा

2. छठ पूजा का दूसरा दिन खरना (12 नवंबर, सोमवार)- कार्तिक शुक्ल पंचमी को पूरे दिन व्रत रखा जाता है और शाम को व्रती भोजन ग्रहण करते हैं। इसे खरना कहते है। इस दिन अन्न व जल ग्रहण किये बिना उपवास किया जाता है। शाम को चावल और गुड़ से खीर बनाकर खाया जाता है। नमक व चीनी का इस्तेमाल नहीं किया जाता।

CHHATH POOJA

3. सायंकालीन अर्घ्य (13 नवंबर, मंगलवार)- षष्ठी के दिन छठ पूजा का प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद व फल लेकर बांस की टोकरी में सजाये जाते हैं। टोकरी की पूजा कर सभी व्रती सूर्य को अर्घ्य देने के लिये तालाब, नदी या घाट आदि पर जाते हैं। स्नान कर डूबते सूर्य की आराधना की जाती है।

4. प्रात:कालीन अर्घ्य (14 नवंबर, बुधवार)- अगले दिन यानि सप्तमी को सुबह सूर्योदय के समय भी सूर्यास्त वाली उपासना की प्रक्रिया को दोहराया जाता है। विधिवत पूजा कर प्रसाद बांटा कर छठ पूजा संपन्न की जाती है।

महावरदान 1

इस बार चाहते हैं अच्छी सेहत तो षष्टी तिथि पर ताम्बे के सिक्के किसी भी नदी में प्रवाह करें।

महावरदान 2

संतान प्राप्ति के लिए षष्टी तिथि पर व्रत करें साथ ही सवा सौ ग्राम बादाम लाल कपडे में बांधकर दान करें।

महावरदान 3

अच्छी नौकरी के लिए षष्टी तिथि पर गुड़ अपने हातों से किसी भूरी गाये को खिलाएं।

महावरदान 4

मान सम्मान के लिए इस दिन ॐ घृणि सूर्याय नमः का जाप 108 बार करें।

महावरदान 5

अगर चाहते है कलह कलेश से मुक्ति को इस दिन सुबह की पहली रोटी गाये को खिलाये और संध्याकाळ के समय साफ़ जल में गुड़ और केसर डाल कर सूर्य को जल दें। साभारAAJTAK

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं।)

Leave A Reply

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More