बंगला ही नहीं अब ‘कार्यालय’ भी जाएगा हाथ से !

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उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्रियो के बंगला खाली करने वाला घमासान अभी शांत ही हुआ था कि अब नया बखेड़ा खड़ा हो गया है। सरकारी बंगले पर घमासान मचने के बाद एक नए मामले को हवा मिली है। दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका में राजनीतिक पार्टियों के कार्यालय को लेकर दायर की गई है।

अधिवक्ता मोतीलाल यादव द्वारा दाखिल जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि राज्य संपत्ति विभाग के नियमों को ताक पर रखते हुए इन पार्टियों के दफ्तरों का विस्तार किया गया है। जनहित याचिका की सुनवाई मंगलवार को होगी।

अवैध खर्च की रिकवरी का भी याचिका में जिक्र

याचिका में कहा गया है कि अवैध रूप से पार्टी दफ्तरों के विस्तार के लिए सरकारी बंगलों का विलय करा दिया गया है। इतना ही नहीं याचिका में कहा गया है कि इन पार्टियों ने सत्ता में रहते हुए सरकारी खर्चे से पार्टी कार्यालय का विस्तार कराया है। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से राजनितिक पार्टियों के दफ्तर में कराए गए अवैध खर्च की रिकवरी का भी याचिका में जिक्र किया है।

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कोर्ट ने जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए मामले की सुनवाई की तारीख सोमवार यानी 17 सितम्बर तय की है। गौरतलब है कि इससे पहले भी पूर्व मुख्यमंत्रियों को सरकारी बंगले के आवंटन को लेकर भी जनहित याचिका दाखिल की गई थी।

मायावती और अखिलेश यादव को अपने बंगले खाली करने पड़े थे

जिसमे हाई कोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने उसे असंवैधानिक करार दिया था। जिसके बाद इसी साल पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह, एनडी तिवारी, राजनाथ सिंह, मुलायम सिंह यादव, मायावती और अखिलेश यादव को अपने बंगले खाली करने पड़े थे।

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