शहीद राजगुरु RSS के स्वयंसेवक, हेडगेवार से थे घनिष्ठ संबंध

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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने शहीद राजगुरु को संघ का स्वयंसेवक बताया है। संघ प्रचारक और एबीवीपी के हरियाणा में संगठन मंत्री रहे नरेंद्र सहगल की किताब में दावा किया गया है कि राजगुरु संघ की मोहिते बाड़े शाखा के स्वयंसेवक थे। नागपुर के हाईस्कूल ‘भोंसले वेदशाला’ के छात्र रहते हुए राजगुरु का संघ संस्थापक हेडगेवार से घनिष्ठ परिचय था। किताब में यह भी दावा किया गया है कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस संघ से काफी प्रभावित थे।

आरएसएस की आजादी में भागीदारी दर्शाने की कोशिश

सहगल की किताब ‘भारतवर्ष की सर्वांग स्वतंत्रता’ के पेज नंबर 147 में लिखा है, ‘लाला लाजपत राय की शहादत का बदला लेने के लिए सरदार भगत सिंह और राजगुरु ने अंग्रेज अफसर सांडर्स को लाहौर की मालरोड पर गोलियों से उड़ा दिया। फिर दोनों लाहौर से निकल गए।

राजगुरु नागपुर आकर डॉ. हेडगेवार से मिले। राजगुरु संघ के स्वयंसेवक थे। हेडगेवार ने अपने सहयोगी कार्यकर्ता भैयाजी दाणी के फार्म हाउस में राजगुरु के ठहरने और खाने-पीने की व्यवस्था की थी।’

संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इस किताब की भूमिका लिखी है। उन्होंने लिखा कि यह किताब स्वतंत्रता संग्राम में संघ की भूमिका पर सवाल उठाने वालों को जवाब देगी। किताब की भूमिका में भागवत ने लिखा है कि ‘हेडगेवार का जीवन भी भारत की स्वतंत्रता, एकात्मता, अखंडता और परमवैभव के लिए समर्पित देशभक्त का जीवन रहा। पिछले 92 सालों में संघ के स्वयंसेवकों ने लौकिक प्रसिद्धि से दूर रहकर भारत की स्वतंत्रता और सर्वांगीण उन्नति के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है।’

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भागवत ने इस किताब की अहमियत बताते हुए लिखा है कि यह किताब उन लोगों को जवाब देगी जो स्वतंत्रता संग्राम में संघ की भूमिका पर सवाल उठाते रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक हाल ही में नागपुर में हुई संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में भी प्रतिनिधियों को यह किताब बांटी गई।

संघ लंबे वक्त से इन आरोपों से जूझ रहा है कि स्वतंत्रता संग्राम में संघ की और संघ के लोगों की कोई भूमिका नहीं थी। संघ इस तरह की किसी किताब की जरूरत शिद्दत से महसूस कर रहा था। सूत्रों के मुताबिक इसलिए संघ के लोग अब इस किताब के जरिए स्वतंत्रता संग्राम में संघ और स्वयंसेवकों की भूमिका स्थापित करने की कोशिश करेंगे।

किताब में लिखा है ‘हेडगेवार ने 26 जनवरी 1930 को देश के प्रत्येक प्रांत में स्वतंत्रता दिवस मनाने वाले नेहरु के आदेश पर प्रसन्नता प्रकट करते हुए पूरे देश में, खासकर संघ की शाखाओं में स्वतंत्रता दिवस मनाने का निर्देश दिया।’ किताब में दावा किया गया है कि गांधीजी के सत्याग्रह में स्वयंसेवकों ने बढ़चढ़कर भाग लिया और खुद हेडगेवार ने भी सत्याग्रह किया।

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इसमें लिखा है कि 1930 में भी दशहरे के दिन पथ-संचलनों के कार्यक्रम हुए, लेकिन इस बार सभी शाखाओं में एक पत्रनुमा पेपर पढ़ा गया। इसमें स्वतंत्रता संग्राम में पूरी ताकत से कूद पड़ने का आह्वान किया गया था।

दरअसल, संघ लंबे वक्त से इन आरोपों से जूझ रहा है कि स्वतंत्रता संग्राम में संघ की और संघ के लोगों की कोई भूमिका नहीं थी। सूत्रों के मुताबिक, हाल में संघ की नागपुर बैठक में यह किताब बांटी गई थी। संघ के लोग अब इस किताब के जरिए स्वतंत्रता संग्राम में संघ की भूमिका स्थापित करने की कोशिश करेंगे।

नवभारत टाइम्स

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